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निवेश की आदत को बनाएं अपनी ताकत

एसआईपी के जरिए निवेश आपकी निवेश की आदत को मजबूत बनाता है और इससे आपको फायदा होता है

निवेश की आदत को बनाएं अपनी ताकत

पिछले माह मैंने एक शानदार किताब पढ़ी। किताब का नाम है द पॉवर ऑफ हैबिट। किताब को चार्ल्‍स डुहिग ने लिखा है। किताब में रोचक उदाहरण और वैज्ञानिक तथ्‍यों के जरिए यह बताया गया है कि किस तरह से आपका रोजमर्रा का व्‍यवहार आपकी आदतों पर आधारित होता है। किताब में यह भी बताया गया है कि आदत कैसे बनती है और कैसे बदलती है और किसी चीज की आदत को आप कैसे विकसित कर सकते हैं। इस किताब को पढ़ते हुए मैं इस बात को समझ गया कि बचत और निवेश पर भी यह बात लागू होती है, जो बात डुहिग ने कही है। किसी एक क्षेत्र में आपकी आदत न सिर्फ दूसरे क्षेत्र में भी आपकी आदत विकसित करती है।

लंबे समय के अनुभवों से अब यह यह बात काफी हद तक साफ हो चुकी है कि सुव्‍यवस्थित निवेश योजना यानी एस.आई.पी. के जरिए निवेश से आपको रिटर्न का फायदा तो मिलता ही है लेकिन इसके कई मनौवैज्ञानिक लाभ भी हैं। एक पांरपरिक सोच यह है कि एसआईपी निवेश को निवेश शुरू करने के लिए प्रोत्‍साहित करती है साथ ही एसआईपी निवेशक में अनुशासित तरीके से नियमित तौर पर निवेश की आदत को विकसित करती है।

अगर आप इस बात को ध्‍यान में रख कर सोचें कि म्‍युचुअल फंड में एसआईपी निवेश का बेहतर तरीका क्‍यों है तो आप पाएंगे कि निवेश से मिलने वाले रिटर्न और सफलता को बढ़ावा देने के पीछे मनोवैज्ञानिक कारक हैं। हम एक बार फिर देखते हैं कि आपके रिटर्न के लिए एसआईपी क्‍यों अच्‍छा है। एसआईपी का मतलब है कि आप नियमित तौर पर एक तय रकम निवेश करते हैं और ऐसा करते हुए इस बात की चिंता नहीं करते हैं कि इस समय एनएवी की कीमत क्‍या है या बाजार की स्थिति क्‍या है। जब बाजार निचले स्‍तर पर होता है तो निवेशक अपने आप ज्‍यादा यूनिट खरीदता है। इसका गणित स्‍पष्‍ट है।

मान लेते हैं कि आप हर माह 10,000 रुपए निवेश कर रहे हैं। जब एनएवी की कीमत प्रति यूनिट 20 रुपए है तो आपको 500 यूनिट मिलेंगे। वहीं अगर बाजार गिरता है और एनएवी गिर कर 16 रुपए पर आ जाता है तो आपको 625 यूनिट मिलेंगे। इस तरह से बाजार गिरने पर आपने अपने आप ज्‍यादा यूनिट खरीदी। जब आप अपने निवेश को बेचते हैं तो आपको ज्‍यादा फायदा होता है क्‍योंकि आपने यह यूनिट कम कीमत में खरीदी थी और अब यूनिट की कीमत बढ़ गई है। यानी निवेश की पूरी प्रक्रिया के दौरान आपने जो औसत कीमत चुकाई है वह कम रही है और इससे आपको ज्‍यादा रिटर्न मिलता है। इस तरह से एस.आई.पी. के जरिए आप कम कीमत में खरीदने और ऊंची कीमत में बेचने का लक्ष्‍य अपने आप हासिल कर लेते हैं। यह गणित है अब आदत का मनोविज्ञान कहां काम करता है ?

निवेश में सबसे बड़ी समस्‍या कहां निवेश करना नहीं है।इसके बजाए निवेश करने और हर हाल में निवेश को जारी रखने से जुड़ी है। लोग निवेश शुरू करते हैं और इक्विटी मार्केट गिरने पर निवेश बंद कर देते हैं। ऐसा ज्‍यादातर निवेशकों के साथ होता है क्‍योंकि आम तौर पर इक्विटी कीमतों में गिरावट को संकट के तौर पर पेश किया जाता है। एसआईपी आपके लिए फायदेमंद है क्‍योंकि निवेश करना आपकी आदत में शुमार हो गया है। यह आपके रोजमर्रा के व्यवहार में शामिल हो गया है। आप अपने आप हर माह एस.आई.पी. में निवेश करते हैं और आपको हर माह निवेश करने के लिए किसी तरह का अतिरिक्‍त प्रयास नहीं करना पड़ता है। चार्ल्‍स डुहिग अपनी किताब में एक और दिलचस्‍प बात यह बताते हैं कि आपकी आदतें आपके रोजमर्रा के व्‍यवहार में बदलाव लाती हैं। अगर आप किसी एक विषय से जुड़ी आदत विकसित करते हैं तो यह आदत आपके व्‍यवहार में बदलाव लाती है।

यह बदलाव सकारात्‍मक और नकारात्‍मक दोनों हो सकता है। अगर हम सकारात्‍मक पहलू से शुरुआत करें तो आपको एक मासिक एसआईपी की शुरुआत करनी चाहिए। इसकी शुरुआत आप टैक्‍स बचाने वाले फंड से कर सकते हैं। धीरे धीरे जब आप बिना किसी अतिरिक्‍त प्रयास के पैसा इकठ्ठा करेंगे तो कुछ समय के बाद आप और एसआईपी शुरू कर सकते हैं। जब आप एक से ज्‍यादा एसआईपी शुरू करेंगे तो आप अपने आप गैर जरूरी खर्चों में कटोती करेंगे क्‍योंकि एसआईपी. में निवेश के लिए आपको पैसों की जरूरत होगी।

वहीं अगर आप पैसा हर माह एसआईपी के बजाए किसी दूसरे गैर ऑटोमैटिक रूट से निवेश करने का फैसला करते हैं तो आपके लिए नियमित तौर पर निवेश कर पाना कठिन है। इस तरीके से ज्‍यादातर लोग कुछ पैसा यहां निवेश करते हैं और कुछ पैसा वहां निवेश करते हैं और निवेश आपकी आदत नहीं बन पाता है। मनोवैज्ञानिक रूप से भी इससे आपको कोई और फायदा नहीं मिलता है।


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