अंग्रेजी में एक कहावत है डोंट पुट आल योर एग इन वन बास्केट। यानी अपने सभी अंडे एक टोकरी में मत रखो। निवेश के लिहाज से इसका मतलब है कि अपनी सारी रकम एक ही जगह निवेश न करके दो तीन विकल्पों में निवेश करनी चाहिए। जब हम बड़े हुए और निवेशक बने तो हमें पता चला कि निवेशक के लिए इसका पालन करना जरूरी है। यही डावर्सीफिकेशन है।
फंड में निवेश करने वाले इसे एक आदेश के तौर पर लेते हैं कि उनको सिर्फ एक या दो फंड के बजाए बडी संख्या में फंड में निवेश करना चाहिए। ऐसे में वे फैसला करते हैं कि दो फंड में निवेश करना एक फंड में निवेश करने से बेहतर है। इसी तरह से तीन फंड में निवेश करना दो फंड में निवेश करने से बेहतर है। और चार फंड में निवेश करना तीन फंड में निवेश करने से बेहतर है। क्या इसकी कोई अधिकतम सीमा है ? क्या 10 फंड में निवेश करना 9 फंड में निवेश करने से बेहतर है ? 10 फंड में निवेश करना कैसा रहेगा। अगर 50 या इससे अधिक फंड में निवेश किया जाए तो ? एक सीमा के बाद डायवर्सीफिकेशन का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसके बाद इससे फायदा होने के बजाए नुकसान होता है और यह मजाक बन जाता है।
क्या इससे रिटर्न घटता है ? ज्यादातर निवेशक सोचते हैं कि डायवर्सीफिकेशन की एक सीमा होना अच्छी बात नहीं है। कुछ साल पहले किसी ने मुझसे पूछा था कि कितने फंड में निवेश करना चाहिए। मैने कहा तीन या चार फंड में निवेश करना बेहतर है। बाद में उस व्यक्ति ने मुझे अपना पोर्टफोलियो ईमेल किया। तब मुझे पता चला कि वह मेरी सलाह को नहीं समझ पाया है। मेरा मतलब था कि आपको अधिकतम तीन या चार फंड में निवेश करना चाहिए। लेकिन उसने इसका मतलब निकाला कि उसे कम से कम तीन या 4 फंड में निवेश करना चाहिए।
निवेशक सोचते हैं कि डायवर्सीफिकेशन के लिए ज्यादा से ज्यादा फंड में निवेश करना चाहिए। हालांकि, सच यह है कि अगर एक सीमा से अधिक संख्या में फंड में निवेश करते हैं तो यह आपको अतिरिक्त डायवर्सीफिकेशन मुहैया नहीं कराता है। म्युचुअल फंड अपने आप में निवेश नहीं हैं। इसके जरिए आप इक्विटी फंड या स्टॉक्स में निवेश करते हैं। अगर कोई फंड ज्यादा संख्या में स्टॉक खरीदता है तो हो सकता है वे एक ही तरह के हों। इसकी वजह से एक सीमा के बाद ज्यादा डायवर्सीफिकेशन का कोई मतलब नहीं रह जाता है। एक छोटी संख्या के बाद जब आप ज्यादा फंड लेते हैं तो आप आम तौर पर ऐसे और ज्यादा स्टॉक खरीद रहे होते हैं जो कि उन स्टॉक्स की तरह ही हैं जो आपके पास पहले से हैं।
यह डायवर्सीफिकेशन नहीं है। इसे समझने के लिए पहले हम इस बात पर विचार करते हैं कि हम अपने निवेश को डायवर्सीफाय क्यों करते हैं। डायवर्सीफिकेशन आपको एक तरह से निवेश के खराब प्रदर्शन से बचाता है। अगर पूरे बाजार की तुलना में एक कंपनी या सेक्टर खराब प्रदर्शन करता है तो अगर आपके निवेश का एक छोटा हिस्सा इसमें है तो आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है। आप छोटी, बड़ी और मझोले आकार की कंपनियों में भी निवेश करके डावर्सीफिकेशन कर सकते हैं। कभी- कभी सिर्फ छोटी या बड़ी कंपनियां ही अच्छा या खराब प्रदर्शन करती हैं। अगर पूरा मार्केट ही जोरदार गिरावट की चपेट में आ जाता है तो डायवर्सीफिकेशन से कोई मदद नहीं मिलती है।
आम तौर पर निवेशक इसलिए कई फंड में निवेश करते हैं क्योंकि किसी ने उनको ये फंड बेच दिए हैं और कमीशन कमाया है। निवेशक को यह पता नहीं होता है कि डायवर्सीफिकेशन क्या है और वह मानता है कि ज्यादा से ज्यादा फंड में निवेश करना अच्छा है। सवाल सिर्फ यह नहीं है कि ज्यादा फंड में निवेश करने कोई फायदा होता है या नहीं। वास्तव में इससे नुकसान होता है। एक इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में बहुत ज्यादा फंड होने से म्युचुअल फंड में निवेश का सबसे बड़ा लाभ कम होता है। यह लाभ है निवेश को आसानी से ट्रैक करना और उसका आंकलन करना। समय समय पर जैसे एक तिमाही में एक बार निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में एक- एक फंड का आकलना करके देखना चाहिए कि आपको यह फंड उम्मीद के मुताबिक रिटर्न दे रहा है या नहीं। अगर आपके पोर्टफोलियो में म्युचुअल फंड की संख्या काफी अधिक है तो यह काम काफी कठिन हो जाता है। अगर आपके पास 15 या 20 फंड हैं और इनमे से ज्यादातर ऐसे फंड है जिसे किसी ने आपको बेचा है तो आपके लिए फंड के प्रदर्शन की समीक्षा करना असंभव है। अगर आप अपने पोर्टफोलियो का आंकलन नहीं कर सकते और मैनेज नहीं कर सकते हैं तो आपके लिए अपने फाइनेंशियल गोल को हासिल करना बहुत मुशिकल है।
आपको ज्यादा से ज्यादा तीन या चार फंड में निवेश करना चाहिए। इससे अधिक फंड में निवेश करना समय और प्रयासों की बर्बादी है। निवेश के आकार के आधार पर यह और भी कम हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति हर माह पांच या छह हजार रुपए निवेश कर रहा तो उसके लिए एक या दो बैलेंस्ड फंड ठीक हैं। इससे ज्यादा फंड में निवेश करने का कोई मतलब नहीं है।