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कैसे काम करता है 'डिकम्‍पाउंड' इंटरेस्‍ट

महंगाई आपकी रकम की खरीद क्षमता को खाती है। यानी महंगाई आपकी रकम के लिए 'डिकम्‍पाउंडिंग' कर रही है। यह काम कैसे करती है, इसे समझना जरूरी है

कैसे काम करता है ‘डिकम्‍पाउंड’ इंटरेस्‍ट

सेविंग क्‍या है? इनकम का वह हिस्‍सा जो आप खर्च नहीं करते हैं। अगर आप हर माह अपनी इनकम का 10 फीसदी खर्च नहीं करते हैं और कैश अपनी अलमारी में रखते हैं तो माना जाएगा कि आप सेविंग कर रहे हैं। ऐसा करना आम बात है। लेकिन इस तरह से आप खुद अपनी रकम का नुकसान कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि रकम अपनी वैल्‍यू को बरकरार नहीं रख पाती है। ऐसा होता है कीमतें बढ़ने की वजह से। जो चीज आपने पिछले साल 100 रुपए की खरीदी थी, इस साल अब उसी चीज के लिए आपको 5, 10 या 20 रुपए ज्‍यादा चुकाने पड़ सकते हैं।

महंगाई आपकी सेविंग को खाती रहती है जैसे चूहा घर में रखी किसी चीज को आराम से कुतरता रहता है। और महीनों के बाद आपको पता चलता है कि चूहे ने तो बड़ा नुकसान कर दिया। हम सब लोग इस बात को जानते हैं लेकिन इसके बावजूद हम सेविंग और निवेश के फैसलों में अपनी इस समझ का इस्‍तेमाल नहीं कर पाते। और जब हम लंबे समय के लिए किसी सुरक्षित डिपॉजिट में रकम निवेश करते हैं तो महंगाई की चिंता बिल्‍कुल नहीं करते।


डिकम्‍पाउंडिंग का असर

कम्‍पाउंडिंग इंटरेस्‍ट के असर को बहुत से लोग समझते होंगे, लेकिन उनकी रकम पर महंगाई का 'डिकंपाउंडिंग' असर होता भी होता है। इस बात को बहुत कम लोग समझते हैं। आपकी रकम पर कम्‍पाउंड इंटरेस्‍ट जो देता है, महंगाई उसे खा जाती है। आसान शब्‍दों में कहें तो महंगाई कम्‍पाउंड इंटरेस्‍ट के ठीक उलटा काम करती है। हर साल महंगाई पिछले साल की महंगाई में जुड़ती जाती है, इसका मतलब है कि इसका असर ठीक कम्‍पाउंड इंटरेस्‍ट की तरह होता है।


कैसे काम करती डिकम्‍पाउंडिंग

कैसे काम करता है 'डिकम्‍पाउंड' इंटरेस्‍ट

मान लेते हैं कि आपने 1 लाख रुपए बैंक FD में जमा किए और इस पर आपको सालाना 7 फीसदी ब्‍याज मिल रहा है। इसके साथ ही कीमतें भी सालाना 7 फीसदी की दर से बढ़ रही हैं। ऐसे हालात में आपका कम्‍पाउंड रिटर्न सिर्फ इतना होगा कि यह महंगाई का मुकाबला कर पाए। आपकी रकम तो बढ़ेगी लेकिन आप इससे कुछ खरीद नहीं पाएंगे। आप इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। अगले 10 साल में आपके 1 लाख रुपए 2.16 लाख रुपए बन जाएंगे। लेकिन कीमतें बढ़ने की वजह से जो चीज आज आप 1 लाख रुपए में खरीद सकते हैं 10 साल के बाद उसकी कीमत भी 2.16 लाख रुपए हो जाएगी। तो सही मायने में आपको कोई फायदा नहीं हुआ। आपके 1 लाख रुपए की परचेजिंग पावर यानी खरीद क्षमता अब भी 1 लाख रुपए ही है।

फ्यूचर के लिए बचत और निवेश में महंगाई का रोल

हम सबको याद है पहले चीजों की कीमतें क्‍या थीं। आज के 30 साल पहले 10,000 रुपए मासिक आय में एक परिवार आराम से खर्च चला लेता था। लेकिन बचत और निवेश के मामले में इस तरह की कैलकुलेशन पर कम लोग ही गौर करते हैं। और बाद में रकम की किल्‍लत का सामना करते हैं। ऐसे में अगर आप इस समस्‍या से बचना चाहते हैं तो आपको महंगाई को ध्‍यान में रखते हुए बचत और निवेश की प्‍लानिंग करनी चाहिए।

अगर आज आपको लगता है कि आज से 20 साल बाद आपके पास 2 करोड़ रुपए होने चाहिए तो वास्‍तव में आपको उस समय तक 10 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। अब अगर आप 20 साल में 10 करोड़ रूपए की रकम बनाना चाहते हैं और अगर रिटर्न सालाना 8 फीसदी मान लिया जाए तो आपको हर माह 1.7 लाख रुपए हर माह बचाना होगा। और अगर रिटर्न 10 फीसदी मान लिया जाए तो आपको हर माह 1.3 लाख रुपए हर माह सेविंग करनी होगी।


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