मेरी निवेश यात्रा

हमारे 10 साल पुराने पाठक के निवेश पर 10 अहम सबक़

वी. सुब्रमण्‍यम हमारे पाठक भी हैं और एक सफल निवेशक भी, उनके अनुभव हम सभी के लिए बड़े काम के हो सकते हैं

how to make profit in share market: निवेश से ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा कैसे हासिल करें

चेन्‍नई के रहने वाले वी सुब्रमण्‍यम लगभग 10 साल से वैल्‍यू रिसर्च ऑनलाइन के पाठक हैं. उन्‍होंने हमें पत्र लिख कर एक निवेशक के तौर पर अपनी सफलता के अनुभव साझा किए. सुब्रमण्‍यम को इस सफ़र में 10 ख़ास सबक़ मिले हैं जो आपके भी काम के हो सकते हैं. सुब्रमण्‍यम का पत्र कुछ इस तरह है...

मैं पिछले 10 साल से भी ज़्यादा समय से आपकी वेबसाइट का एक्टिव यूज़र रहा हूं. मैंने सोचा कि मुझे म्‍यूचुअल फ़ंड और सीधे इक्विटी में निवेश का अनुभव साझा करना चाहिए, जिससे इस वेबसाइट के दूसरे पाठकों को फ़ायदा हो.

थोड़ा मुनाफ़ा होने पर ही बेच देता था फ़ंड

1977 में मेरे एक दोस्‍त ने मेरा परिचय एक स्‍टॉक ब्रोकर से कराया. मेरे दोस्‍त ने IIM अहमदाबाद से MBA किया था. इसके बाद मैंने इक्विटी में निवेश करना शुरू किया. मैं इक्विटी में लंबे समय तक निवेश बनाए रखने के फ़ायदे नहीं जानता था. इसलिए थोड़ा भी मुनाफ़ा होने पर मैं फ़ंड बेच देता था और दूसरा फ़ंड ख़रीद लेता था. उस समय बाज़ार में अकेला यूनिट ट्रस्‍ट फ़ंड ही इक्विटी ओरिएंटेड फ़ंड के तौर पर उपलब्‍ध था. लेकिन उसका NAV कोई ख़ास बढ़त नहीं दिखा रहा था.

इसके अलावा मैंने IPO में भी निवेश किया. 2006 में भी मैं इक्विटी में सीधे निवेश कर रहा था. उस समय तक शेयर चुनने की मेरी समझ बेहतर हो गई थी, लेकिन मेरा पोर्टफ़ोलियो तब भी उतना रिटर्न नहीं दे रहा था जिसे अच्‍छा कहा जा सके. ये काफ़ी निराशाजनक अनुभव था. इसके बावजूद, इक्विटी में मेरी दिलचस्‍पी बनी रही. मेरा ये भरोसा भी बना रहा कि इक्विटी मीडियम से लॉन्ग टर्म में FD और गोल्‍ड की तुलना में बेहतर रिटर्न देती है.

62 फ़ंड में निवेश

इसके बाद मैंने इक्विटी म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश करना शुरू किया. शुरुआत में मुझे भारी नुक़सान उठाना पड़ा. इसकी कई वजहें थीं. म्‍यूचुअल फ़ंड कंपनियों के विज्ञापन इसकी एक वजह थे. फिर भी इक्विटी म्‍यूचुअल फ़ंड से बेहतर रिटर्न पाने के लिए मैंने विभिन्‍न फ़ंड कैटेगरी के लगभग 62 फ़ंड में निवेश कर दिया. इसकी वजह से मेरी इनडायरेक्‍ट स्‍टॉक होल्डिंग लगभग 500 स्‍टॉक की हो गई. इसके बाद मुझे पता चला कि अगर आपके पास बेहतर मैनजमेंट के साथ अच्‍छा मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनियों के 25 इक्विटी शेयर से ज़्यादा हैं तो आपको इसका कोई अतिरिक्‍त फ़ायदा नहीं मिलता है. इसके बाद मेरे सामने अपने फ़ंड्स की संख्या कम करने की चुनौती खड़ी हो गई. यहां ये भी ध्‍यान रखना था कि मुझे ऐसा करते हुए कम से कम एग्ज़िट लोड और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्‍स का भुगतान करना पड़े.

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वैल्यू रिसर्च के बारे में कब पता चला?

2006-07 में मैंने फ़ाइनेंशियल प्‍लानिंग का कोर्स भी किया. कोर्स की मेरी एक क़िताब से मुझे वैल्‍यू रिसर्च के बारे में पता चला. मैंने वेबसाइट चेक की और पाया कि ज्‍यादातर मेरे फ़ंड की रेटिंग कम थी. यहां मैंने जाना कि मैं इन फ़ंड्स से एग्ज़िट कर सकता हूं यानी अपना निवेश भुना सकता हूं. मैंने 4 या 5 स्‍टार रेटिंग वाले फ़ंड्स को बनाए रखा और इससे कम रेटिंग वाले फ़ंड्स से अगले कुछ साल के दौरान एग्ज़िट कर गया. मौजूदा समय में मेरे पास सिर्फ़ 6 फ़ंड हैं. ये सभी टॉप रेटेड फ़ंड हैं. मेरे म्‍युचुअल फ़ंड पोर्टफ़ोलियो ने फ़ाइनेंशियल ईयर 2016-17 में 22.6 फ़ीसदी रिटर्न दिया.

2014 में, मैंने एक बार फिर सीधे इक्विटी में निवेश करना शुरू किया. मैंने अपनी रिसर्च के लिए वैल्‍यू रिसर्च वेबसाइट का इस्‍तेमाल किया. जल्‍द ही मेरे पास 75 शेयर हो गए. इसके बाद मैंने ख़राब प्रदर्शन करने वाली कंपनियों के शेयर बेचने शुरू कर दिए. अब मेरे पास 65 शेयर हैं और मैं इन्हें और कम करना चाहता हूं. मैंने कुछ शेयर नुक़सान होने पर बेच दिए थे, लेकिन इन्‍हीं शेयरों ने अगले एक साल या उससे कुछ ज़्यादा समय में बहुत अच्‍छा रिटर्न दिया.

ट्रेडिंग और छोटे निवेशक

शेयर ट्रेडिंग को लेकर मेरा मानना है कि छोटा निवेशक इसमें नुक़सान उठाता है. छोटे निवेशक के लिए ये भांपना लगभग असंभव है कि कम अवधि में कोई शेयर कैसा प्रदर्शन करेगा. इसके अलावा, छोटे निवेशकों को डे‍रिवेटिव्‍स और मार्जिन ट्रेडिंग से भी दूर रहना चाहिए.

मेरे पास डेट म्‍युचुअल फ़ंड और PPF जैसे दूसरे डेट प्रोडक्‍ट भी हैं. मैंने अपने कुल निवेश का 45 से 50 फ़ीसदी हमेशा डेट (debt) में रखा. मेरा कोई भी निवेश गोल्‍ड में नहीं है. मैंने सिर्फ़ ज्‍वैलरी ख़रीदी है. कुल मिला कर मुझे लगता है कि सीधे इक्विटी में और म्‍यूचुअल फ़ंड के ज़रिए इक्विटी में निवेश करने का मेरा तरीक़ा मेरे लिए अच्‍छा काम कर रहा है.

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मेरे निवेश के 10 सबक़

1. अगर आप इक्विटी में सीधे निवेश करना चाहते हैं तो आपको 40 या 45 ऐसे शेयरों में निवेश करना चाहिए जिनका पिछले कई साल में अच्‍छा प्रदर्शन रहा हो. इसके अलावा भविष्‍य में भी उनकी संभावनाएं अच्‍छी हों. अगर आप ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं तो लंबे समय में अच्‍छा रिटर्न हासिल कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. अगर आप इक्विटी में सीधे निवेश नहीं करना चाहते हैं तो आप अच्‍छे ट्रैक रेकॉर्ड वाले 4 या 5 डाइवर्सिफ़ाइड म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश कर सकते हैं.

2. इक्विटी में निवेश करना हो या पैसा निकालना हो आपको SIP और SWP के ज़रिए क़िश्‍तों में ही ऐसा करना चाहिए. आपको एकमुश्‍त निवेश करने से या एक बार में पैसा निकालने से बचना चाहिए.

3. आपको समय-समय पर म्‍यूचुअल फ़ंड निवेश की समीक्षा करनी चाहिए. ख़राब प्रदर्शन करने वाले फ़ंड बेच कर बेहतर प्रदर्शन करने वाले फ़ंड को अपने पोर्टफ़ोलियो में शामिल करना चाहिए.

4. आपको ज़्यादा से ज़्यादा 6 म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश करना चाहिए. ये ज़रूरी है कि इन फ़ंड्स में लार्ज, मिड और स्‍मॉल कैप फ़ंड्स का अच्‍छा रेशियो हो. इसके अलावा ये फ़ंड अलग-अलग फ़ंड हाउस के भी होने चाहिए.

5. अगर आप मानसिक दबाव के‍ लिहाज से देखें तो म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश इक्विटी की तुलना में आसान है. म्‍यूचुअल फ़ंड का NAV रोज़ घटता-बढ़ता है लेकिन इसमें अंतर काफ़ी कम होता है. वहीं इक्विटी में बहुत तेज़ उतार-चढ़ाव आते हैं.

6. इक्विटी में या म्‍यूचुअल फ़ंड दोनों से पैसा निकालना आसान है. कुछ दिनों में पैसा आपके बैंक अकाउंट में आ जाता है.

7. ऐसा हो सकता है कि आपने अपनी हिस्‍सेदारी अभी बेची और थोड़ी देर बाद उसी इक्विटी शेयर की क़ीमत में उछाल आ जाए. इसी तरह से ऐसा भी हो सकता है कि आपने अभी शेयर ख़रीदा और थोड़ी देर में ही उसकी क़ीमत गिर जाए. तो इक्विटी में सीधे निवेश करने पर आपको नुक़सान उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए.

8. एक्‍सपर्ट की सलाह के आधार पर निवेश करने के बाद मुझे पता चला कि ज़रूरी नहीं है कि एक्‍सपर्ट की सलाह पर आप शेयर ख़रीदें और बेचें तो आपको मुनाफ़ा ही हो.

9. मीडियम से लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करने पर आपको फ़ायदा ज़रूर होगा. लेकिन थोड़े समय के निवेश और शेयर ट्रेडिंग से फ़ायदा होना मुश्किल है.

10. ऑनलाइन अकाउंट के ज़रिए शेयरों और म्‍यूचुअल फ़ंड में निवेश तेज़ी से किया जा सकता है. वहीं ऑफ़लाइन निवेश करने में काफ़ी समय लगता है और पेपरवर्क और डॉक्‍यूमेंटेशन भी ज़्यादा होता है. इसलिए, आपको KYC ज़रूर करा लेनी चाहिए.

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