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सीनियर सिटीजंस के लिए भी फायदेमंद है ईएलएसएस

टैक्‍स सेविंग म्‍युचुअल फंड सिर्फ युवा और काम कर रहे निवेशकों के लिए नहीं बल्कि रिटायर हो चुके और सीनियर सिटीजन भी इसे अपने पोर्टफोलियो में शामिल करके ऊंचा रिटर्न पा सकते हैं

सीनियर सिटीजंस के लिए भी फायदेमंद है ईएलएसएस

इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग स्‍कीम यानी ईएलएसएस को लेकर कुछ लोगों एक सोच बना ली है। यह सोच कहती है कि ईएलएसएस सीनियर सिटीजंस और रिटायर्ड लोगों के लिए निवेश का सही ऑप्‍शन नहीं है। यह सोच इस बात के आधार पर बनी है कि उम्रदराज लोगों के लिए इक्विटी में निवेश करना ठीक नहीं है।

लेकिन यह सच नहीं है। सच इसका ठीक उलटा है। इक्विटी में जोखिम है और यह सिर्फ युवा निवेशकों के लिए ठीक है। इस सोच की वजह बहुत से उम्रदराज लोग पैसों की किल्‍लत के साथ जी रहे हैं। इक्विटी के जोखिम पर तो सब लोग जोर देते हैं लेकिन वे महंगाई के खतरे को नजरअंदज कर देते हैं। महंगाई उनकी वित्‍तीय सेहत को सबसे ज्‍यादा नुकसान पहुंचा सकती है।

कम अवधि में इक्विटी में उतार चढ़ाव होता है लेकिन अगर तीन साल से पांच या इससे अवधि अवधि के इक्विटी निवेश पर गौर करें तो आप पाएंगे कि यह कह जोखिम के साथ अधिक रिटर्न देने वाली है। लंबी अवधि के निवेश में कम अवधि का उतार चढ़ाव चिंता की बात नहीं है। अगर हम महंगाई का हिसाब लगाएं तो बैंक एफडी और इस तरह की गारंटीड रिटर्न वाली स्‍कीमें महंगाई से थोड़ा ज्‍यादा ही रिटर्न देती हैं। ऐसे में या इन स्‍कीमों में निवेश से आपके रकम की वैल्‍यू या तो कम हो जाती है या वैल्‍यू मेनटेन रहती है। फिक्‍स्ड डिपॉजिट में आपकी रकम की खरीद क्षमता लगभग उसी दर से कम होती जाती है जितनी दर से रकम की वैल्‍यू बढ़ती है। इसका मतलब है कि

काम की बात यह समझना है कि रिटायरमेंट के बाद कॉर्पस एक हिस्‍सा जो आप लंबी अवधि यानी पांच साल या इससे अधिक अवधि के बाद इस्‍तेमाल करने वाले हैं उसे इक्विटी में लगाना चाहिए। इससे आप महंगाई दर से अधिक रिटर्न हासिल कर पाएंगे। और अगर आपकी इनकम पर टैक्‍स बन रहा है तो आपके लिए ईएलएसएस से बेहतर कोई विकल्‍प नहीं है।

ईएलएसएस के और फायदे

दूसरे इक्विटी इन्‍वेस्‍टमेंट की तरह ईएलएसएस में भी निवेश का सबसे अच्‍छा सिस्‍टमेटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान यानी एसआईपी के जरिए पूरे साल हर माह नियमित तौर पर निवेश करना है। हम यहां ईएलएसएस के कुछ और फायदों के बारे में बता रहे हैं


-एक फाइनेंशियल ईयर में ईएलएसएस से 1 लाख रुपए तक का गेन यानी मुनाफे पर कोई टैक्‍स नहीं लगता है। 1 लाख रुपए से अधिक के मुनाफे या रिटर्न पर 10 फीसदी टैक्‍स लगता है। वहीं बैंक एफडी पर मिलने वाला ब्‍याज आपकी इनकम में जोड़ा जाता है और इस पर सालाना टीडीएस काटा जाता है। हर साल टीडीएस कटने से आपका रिटर्न और कम हो जाता है क्‍योंकि लंबी अवधि की कंपाउंडिंग के लिए कम रकम बचती है।

- ईएलएसएस में लॉक इन पीरियड सिर्फ तीन साल का है। वहीं टैक्‍स सेविंग एफडी में लॉक इन पीरियड पांच साल का है। ऐसे में लिक्विडिटी के लिहाज से ईएलएसएस ज्‍यादा बेहतर है। टैक्‍स सेविंग एफडी में आप पैसा आप पांच साल से पहले नहीं निकाल सकते हैं। इसके अलावा आप इस एफडी पर लोन भी नहीं ले सकते हैं।


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