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अपना पोर्टफ़ोलियो कैसे तैयार करें?

How to Build a Mutual Fund Portfolio: अपने फ़ाइनेंशियल गोल्स तक पहुंचने के लिए एक सही पोर्टफ़ोलियो ज़रूरी होता है

अपना पोर्टफ़ोलियो कैसे तैयार करें?

How do I create my own Mutual Fund portfolio: आपके जीवन भर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिहाज से एक अच्छा पोर्टफ़ोलियो अहम हो जाता है. अगर आपके निवेश पर मिल रहा रिटर्न महंगाई दर से बेहतर बना हुआ है तो आपको भविष्य में कभी आर्थिक तंगी नहीं होगी. हम यहां आपको एक बेहतरीन पोर्टफ़ोलियो तैयार करने का तरीक़ा बताने जा रहे हैं.

इसे समझने से पहले ये जानने की ज़रूरत है कि इस शब्द का मतलब क्या है. साथ ही, ये समझना भी ज़रूरी है कि पोर्टफ़ोलियो की क्या अहमियत होती है.

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पोर्टफ़ोलियो क्या है?

पोर्टफ़ोलियो दरअसल एक बैग है, जिसे कागज़ रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ये निवेश के साथ इसलिए जुड़ गया, क्योंकि 20वीं सदी की शुरुआत में स्टॉक ब्रोकर हर क्लायंट के शेयर सर्टिफ़िकेट एक अलग पोर्टफ़ोलियो में रखते थे. वहां से ये शब्द, उन सभी बातों के साथ जुड़ गया और हर तरह के कागज़ात रखने वाले बैग के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा. फ़ाइनांस की दुनिया में इसका इस्तेमाल ख़ास तौर पर निवेशकों के निवेश के लिए किया जाता है यानी पोर्टफ़ोलियो, निवेशक के सभी निवेश हैं.

हालांकि, ये शब्द पर्सनल फ़ाइनेंस के संदर्भ में बदलता रहा है. "धनक" में हम ये बिल्कुल नहीं मानते है कि इसका इस्तेमाल सिर्फ़ निवेश के लिए ही किया जाना चाहिए. एक पोर्टफ़ोलियो किसी कागज़ी कलेक्शन से कहीं ज़्यादा है. लोगों को अपने निवेश को बेहतर तरीक़े से प्लान करने के लिए, अपने हर फ़ाइनेंशियल गोल के लिए एक अलग पोर्टफ़ोलियो बनाना चाहिए.

कई फ़ंड, स्टॉक और दूसरी तरह के एसेट को मिक्स करने से, एक अलग ही किस्म का रिस्क तैयार हो जाता है. इसके अलावा ये मिश्रण निवेशकों की अपेक्षाओं पर भी आसानी से खरा नहीं उतर पाता. मिक्स फ़ंड के लिए अगर आपसे पूछा जाए, 'आपका रिस्क लेवल क्या है?' तो आप कोई भी जवाब दें, वो एक मात्र अनुमान ही होगा.

हालांकि अगर आप किसी ख़ास फ़ाइनेंशियल गोल के बारे में सोच रखते हैं, और उसके लिए कितना पैसा चाहिए इस बारे में भी आप को पक्का पता है, तो आप रिस्क और रिटर्न के बारे में पूछे गए सवाल का सटीक जवाब दे सकेंगे. जैसे कि, आपको अपनी बेटी की हायर-एजुकेशन के लिए तीन साल बाद पैसों की ज़रूरत होगी. आप रिटायर होने के कम-से-कम 10 साल पहले अपना घर ख़रीदना चाहेंगे. आप दो साल बाद यूरोप में छुट्टियां बिताने जाना चाहेंगे. आप चाहेंगे कि इमरजेंसी के लिए, आपके पास ₹2 लाख हमेशा रहें. इन सभी प्लानिंग का सटीक जवाब आपके पास होगा.

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हर गोल होता है अहम

इनमें से हर गोल के एक अलग और बड़े मायने हैं और हर बात के साथ जुड़े रिस्क अलग होते हैं. साथ ही, उसके लिए पैसों की ज़रूरत को स्पष्टता से बयान किया जा सकता है. इससे ये तय करना आसान हो जाता है कि हर ज़रूरत के लिए आपको कितना निवेश करना चाहिए. धनक के पास सोचने के तरीक़ो में, अकेले शख्स के लिए एक पोर्टफ़ोलियो का कोई कॉंन्सेप्ट नहीं है. इसकी जगह, हर किसी के पास कई पोर्टफ़ोलियो होने चाहिए, जो हर गोल के लिए एक अलग पोर्टफ़ोलियो हो. दूसरी बात, ये है कि पोर्टफ़ोलियो का मतलब सिर्फ़ कलेक्शन नहीं है. इसके अलग-अलग हिस्से हैं, जो किसी ख़ास रोल में फ़िट होते हैं और दूसरे फ़ंड से तालमेल बनाए रखते हैं. ये तीन फ़ंड हो सकते हैं, जिसमें से दो गेन के लिए हों, और एक स्टेबिलिटी के लिए. बाद में आपको ये भी लग सकता है कि आप किसी एक, या दूसरे को चुनते तो बेहतर था, मगर दोनों तरह के फंड ने अपना रोल अदा करना ज़्यादा ज़रूरी बात है.

वक्त के साथ, अपने अनुभव से पोर्टफ़ोलियो बनाने की बुनियादी बातें, और साथ ही मॉडल पोर्टफ़ोलियो के बारे में आप जान ही जाएंगे. लेकिन अभी हम यहां कुछ और बुनियादी बातों के बारे में बात करेंगे.

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पोर्टफ़ोलियो कैसे बनाएं?

अपने गोल को लेकर बिल्कुल स्पष्ट रहना, पोर्टफ़ोलियो बनाने की दिशा में पहला कदम है. एक बार जब आप ऐसा कर लेते हैं, तो पोर्टफ़ोलियो तैयार करना आसान हो जाता है, जो आपके गोल से मेल खाता हो.

शॉर्ट टर्म गोल के लिए फ़िक्स्ड इनकम में निवेश करना सबसे अच्छा विकल्प है. ये निवेश किसी बैंक के ज़रिए हो सकता है, या फ़िक्स्ड डिपॉज़िट हो सकता है, या फिर ये पोस्ट-ऑफ़िस डिपॉज़िट स्कीम का विकल्प हो सकता है. अगर आप लगातार ऐसे गोल के लिए बचत कर रहे हैं जिसे आप जल्दी हासिल करना चाहते हैं तो पोस्ट ऑफ़िस रेकरिंग डिपॉज़िट स्कीम, एक सही विकल्प साबित हो सकता है. इसमें 6.7 फ़ीसदी की ब्याज दर से आपको सालाना रिटर्न मिलता है. हालांकि, इस विकल्प को तभी आज़माना चाहिए जब आप की बचत का टार्गेट दो या तीन साल तक ही सीमित हो.

लॉन्ग-टर्म फ़ाइनेंशियल गोल के लिए सबसे अच्छा विकल्प ये है कि आपका पोर्टफ़ोलियो इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड पर आधारित होना चाहिए. इक्विटी ही वो तरीक़ा है, जिससे ये पक्का हो जाता है की आप महंगाई दर के मुक़ाबले ज़्यादा तेज़ी से अपनी रक़म को बढ़ा सकते हैं. सही मायनों में इक्विटी में आपके निवेश की वैल्यू नहीं गिरती. फ़िक्स्ड इनकम के निवेश सुरक्षित हैं, मगर आमतौर पर ये मंहगाई को मात नहीं दे सकते हैं.

हालांकि एक बात ये भी है, कि इक्विटी में तेज़ी से बदलाव होते हैं, और इसलिए ये सिर्फ़ लॉन्ग-टर्म के निवेश के लिए ही सही विकल्प है. शॉर्ट-टर्म में स्टॉक में भारी उतार-चढ़ाव आपके निवेश को नुक़सान पहुंचा सकते हैं. लेकिन ऐसा तब मुमकिन है, जब आपका फ़ाइनेंशियल गोल तीन या पांच साल से कम हो.

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