"कभी-कभी उल्टा सोचना ही सही होता है." ये डायलॉग तो आपको शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्म "चक दे इंडिया" से याद ही होगा. ठीक वैसे ही, जैसे क्रिकेट में कप्तान धोनी अपने चौंकाने वाले फ़ैसलों के लिए मशहूर थे. ऐसा ही कुछ निवेश में भी होता है जब बात कॉन्ट्रा फ़ंड्स की आती है. कॉन्ट्रा फ़ंड्स उन मौक़ों को पकड़ने की कोशिश करते हैं जिन्हें बाक़ी लोग अनदेखा कर देते हैं.
लेकिन कॉन्ट्रा फ़ंड आख़िर होते क्या हैं? सीधे-सपाट शब्दों में कहें, तो ये ऐसे इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड हैं जो विपरीत रणनीति अपनाते हैं जिसे अंग्रेज़ी में contrarian strategy कहा जाता है. यानी, जब बाज़ार में किसी सेक्टर या स्टॉक को कमज़ोर समझा जा रहा होता है, तब ये फ़ंड उनमें निवेश करने ध्यान देते हैं. आख़िर सस्ता ख़रीदकर महंगा बेचना ही तो निवेश की बुनियाद है.
अब एक मिसाल लेते हैं, अगर किसी सेक्टर को मार्केट में फ़िलहाल कमज़ोर माना जा रहा है, लेकिन फ़ंड मैनेजर को लगता है कि आने वाले समय में ये बेहतर प्रदर्शन करेगा, तो कॉन्ट्रा फ़ंड उस सेक्टर में निवेश करते हैं.
मगर एक बात है, ये आज लगाया, कल निकाला की तर्ज़ पर निवेश करने वालों के लिए नहीं बल्कि लॉन्ग-टर्म के नज़रिए वाली होती है और उन स्टॉक्स पर फ़ोकस करती है जो फ़िलहाल अपनी वैल्यू से नीचे (undervalued) होते हैं हैं, मगर जिनकी बुनियाद मज़बूत (strong fundamentals) होती है.
ये वीडियो देखें: कैसे काम करते हैं कॉन्ट्रा और वैल्यू फ़ंड्स?
कॉन्ट्रा फ़ंड क्या है? (Contra Fund kya hota hai)
सीधे-सपाट शब्दों में कहें, तो ये ऐसे इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड हैं जो विपरीत रणनीति अपनाते हैं जिसे अंग्रेज़ी में contrarian strategy कहा जाता है. यानी, जब बाज़ार में किसी सेक्टर या स्टॉक को कमज़ोर समझा जा रहा होता है, तब ये फ़ंड उनमें निवेश करने ध्यान देते हैं. आख़िर सस्ता ख़रीदकर महंगा बेचना ही तो निवेश की बुनियाद है.
कॉन्ट्रा फ़ंड में निवेश क्यों करें?
1. डाइवर्सिफ़िकेशन का बढ़िया ज़रिया
कॉन्ट्रा फ़ंड आपके पोर्टफ़ोलियो में विविधता (diversification) लाने का काम करते हैं. ये फ़ंड ऐसे स्टॉक्स में निवेश करते हैं जो आमतौर पर बाक़ी फ़ंड्स के रडार पर नहीं होते.
2. रिस्क और रिवार्ड का बैलेंस
हालांकि कॉन्ट्रा फ़ंड का जोखिम (risk) थोड़ा ज़्यादा हो सकता है, लेकिन लंबे समय में ये बेहतर रिटर्न देने के क़ाबिल हो सकते हैं. ये फ़ंड उन निवेशकों के लिए सही हैं जो धीरज रखते हैं और लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएशन पर ध्यान देते हैं.
3. कौन्ट्रेरियन स्ट्रैटजी का फ़ायदा
Contrarian Strategy का सीधा मतलब है, "भीड़ से हटकर चलना." ये फ़ंड उन मौक़ों को भुनाने की कोशिश करते हैं जब बाज़ार किसी सेक्टर या स्टॉक को नज़रअंदाज कर रहा हो.
कॉन्ट्रा फ़ंड में निवेश कैसे शुरू करें? (contra fund me nivesh kaise kare)
1. जोखिम लेने की अपनी क्षमता को समझें
कॉन्ट्रा फ़ंड में निवेश से पहले ये समझना ज़रूरी है कि ये फ़ंड उनके लिए सही हैं जिनका जोखिम सहन करने का स्तर (risk tolerance) मध्यम से ऊंचा है. अगर आप बाज़ार के उतार-चढ़ाव को लेकर चिंतित रहते हैं, तो बात यहीं ख़त्म करते हैं क्योंकि ये फ़ंड आपके लिए नहीं हैं.
2. सही फ़ंड का चुनाव करें
भारत में कई फ़ंड हाउस कॉन्ट्रा फ़ंड्स ऑफ़र करते हैं. फ़ंड के पिछले प्रदर्शन (past performance), फ़ंड मैनेजर के अनुभव और पोर्टफ़ोलियो में शामिल स्टॉक्स का विश्लेषण करें.
3. SIP करें या एकमुश्त निवेश
नए निवेशकों के लिए SIP (Systematic Investment Plan) सबसे सही तरीक़ा है. ये आपको बाज़ार के उतार-चढ़ाव से बचाता है और नियमित निवेश की आदत डालता है.
4. लंबी अवधि का नज़रिया रखें
कॉन्ट्रा फ़ंड का असली फ़ायदा तभी मिलता है जब आप इसमें 5-7 साल या उससे ज़्यादा का समय दें.
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कॉन्ट्रा फ़ंड पर टैक्स कैसे लगता है? (contra fund par tax kitna lagta hai)
कॉन्ट्रा फ़ंड इक्विटी फ़ंड के तहत आते हैं, इसलिए इन पर टैक्सेशन भी इक्विटी फ़ंड की तरह होता है:
- शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG): अगर आप अपना निवेश 1 साल के अंदर बेचते हैं, तो 15% का टैक्स लगता है.
- लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG): ₹1 लाख तक के मुनाफ़े पर कोई टैक्स नहीं है. ₹1 लाख से ऊपर के मुनाफ़े पर 10% का टैक्स देना होता है.
टैक्स के ये नियम आपके कुल रिटर्न पर असर डाल सकते हैं, इसलिए निवेश से पहले इसका ध्यान में रखें.
क्या आपको कॉन्ट्रा फ़ंड में निवेश करना चाहिए?
कॉन्ट्रा फ़ंड उन निवेशकों के लिए सही हैं जो:
- लॉन्ग-टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं.
- मार्केट ट्रेंड्स को समझने और धैर्य रखने में सक्षम हैं.
- अपने पोर्टफ़ोलियो में डाइवर्सिफ़िकेशन लाना चाहते हैं.
अगर आप अपने निवेश को एक अलग नज़रिए से देखना चाहते हैं और "भीड़ से हटकर" फ़ैसले लेने के इच्छुक हैं, तो कॉन्ट्रा फ़ंड आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकते हैं.
तो पूरी बात का नतीजा क्या है?
कॉन्ट्रा फ़ंड की दुनिया किसी रोमांचक क्रिकेट मैच की तरह है. जैसे कप्तान धोनी ने अपने चौंकाने वाले फ़ैसलों से कई बार मैच पलटे, वैसे ही ये फ़ंड लॉन्ग-टर्म में आपके पोर्टफ़ोलियो को मज़बूती दे सकते हैं. मगर, याद रखें, धैर्य और सही रणनीति ही इस खेल में आपकी जीत पक्की करेगी. निवेश से पहले अपनी फ़ाइनेंशियल स्थिति और रिस्क लेने की क्षमता का सही अंदाज़ा लगाना न भूलें. और हां, जाते-जाते एक बात और... सारे अंडे एक ही टोकरी में कभी न रखें.
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