म्यूचुअल फ़ंड का नाम जब भी सुनते हैं, दिमाग़ में अक्सर यही सवाल आता है: "क्या म्यूचुअल फ़ंड में पैसा डूब सकता है?" दरअसल, ये डर उन लोगों का होता है जो मार्केट के उतार-चढ़ाव से घबराते हैं या जिन्हें म्यूचुअल फ़ंड्स की बारीक़ियां ठीक से समझ नहीं आतीं.
अगर आप भी ऐसे सवालों से परेशान हैं, तो चिंता छोड़िए. इस आर्टिकल में हम म्यूचुअल फ़ंड्स से जुड़े मिथक तोड़ेंगे, रिस्क को समझेंगे और जानेंगे कि आप निवेश को सुरक्षित कैसे रखें.
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1. म्यूचुअल फ़ंड में पैसा डूबने की सच्चाई क्या है?
म्यूचुअल फ़ंड्स को लेकर ग़लतफ़हमियां और मिथक
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ग़लतफ़हमी:
म्यूचुअल फ़ंड में पैसा डूब सकता है ये एक ग़लतफ़हमी है और इस मिथक की कोई बुनियाद नहीं. हमें फ़ंड निवेश को ठीक से समझना होगा. इक्विटी फ़ंड मार्केट से जुड़े होते हैं, इसलिए मार्केट के हिसाब से इनमें भी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. ऐसे में अगर मार्केट गिरता है और आपके फ़ंड ने उन स्टॉक्स में निवेश किया है जिनमें गिरावट आती है तो फ़ंड के उस स्टॉक में निवेश के अनुपात में गिरावट होगी.
मगर क्योंकि ये निवेश लंबे समय के लिए किया गया है, ऐसे में ऐतिहासिक मार्केट इंडेक्स दिखाते हैं कि लंबे अर्से में मार्केट ऊपर ही गया है. यानि, लंबे समय का निवेश है, तो नुक़सान होने की संभावना नहीं है. इसी तरह डेट इन्स्ट्रुमेंट में निवेश करने वाले डेट फ़ंड होते हैं जिनमें छोटी अवधि का निवेश इसलिए किया जाता है क्योंकि इनमें नुक़सान की संभावना बेहद कम होती है. मगर ये भी मध्यम अवधि में मुनाफ़ा ही देते आए हैं.
- हक़ीक़त: म्यूचुअल फ़ंड में निवेश का पैसा पूरी तरह डूबना लगभग नामुमकिन है. दरअसल, म्यूचुअल फ़ंड्स किसी एक स्टॉक या कंपनी पर निर्भर नहीं करते. ये अलग-अलग शेयरों, बॉन्ड्स और सेक्टरों में पैसा लगाते हैं. इससे आपका पैसा बिखरकर सुरक्षित रहता है. मिसाल के तौर पर, अगर किसी एक कंपनी का प्रदर्शन ख़राब हो जाए, तो दूसरी कंपनियों का अच्छा प्रदर्शन नुक़सान को संभाल सकता है.
फिर भी रिस्क क्यों है?
म्यूचुअल फ़ंड्स में रिस्क ज़रूर है, लेकिन ये "पैसा डूबने" जैसा रिस्क नहीं है. जब मार्केट नीचे जाता है, तो फ़ंड्स की वैल्यू भी गिरती है. लेकिन जैसे ही मार्केट रिकवर करता है, आपकी इन्वेस्टमेंट की वैल्यू भी बढ़ जाती है.
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2. म्यूचुअल फ़ंड्स में रिस्क को समझें
म्यूचुअल फ़ंड्स के बड़े रिस्क
1. मार्केट रिस्क: जब शेयर मार्केट में गिरावट आती है, तो इक्विटी फ़ंड्स (equity funds) के रिटर्न पर असर पड़ता है.
2. क्रेडिट रिस्क: अगर डेट फ़ंड्स (debt funds) में निवेश किया गया पैसा किसी कंपनी के कर्ज चुकाने में फंस जाए, तो रिटर्न कम हो सकता है.
3. इन्फ्लेशन रिस्क: अगर फ़ंड्स का रिटर्न महंगाई दर (inflation) से कम है, तो असल में आपके पैसे की वैल्यू घट सकती है.
लेकिन ध्यान रखें:
रिस्क को समझदारी से मैनेज किया जा सकता है. इसके लिए सही फ़ंड का चुनाव और रणनीति जरूरी है.
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3. क्या पैसा डूबने से बचा जा सकता है?
1). अपने निवेश को डायवर्सिफ़ाई करें: सभी अंडे एक ही टोकरी में न रखें - म्यूचुअल फ़ंड्स के मामले में ये सलाह सोने पर सुहागा है.
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अलग-अलग एसेट क्लास (इक्विटी, डेट, हाइब्रिड) में निवेश करें.
- सेक्टरों और कंपनियों में डाइवर्सिफ़िकेशन अपनाएं.
2). सही फ़ंड चुनें:
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अपनी ज़रूरत और जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार
फ़ंड चुनें.
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अगर आप जोखिम कम रखना चाहते हैं, तो डेट फ़ंड्स सही हैं.
- लंबी अवधि में ज़्यादा रिटर्न चाहते हैं, तो इक्विटी फ़ंड्स का चुनाव करें.
3). SIP का इस्तेमाल करें
सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP)
के ज़रिए आप नियमित रूप से छोटे-छोटे अमाउंट निवेश कर सकते हैं. इससे आप मार्केट वोलैटिलिटी यानि बाज़ार के उतार-चढ़ाव का सामना बेहतर तरीक़े से कर पाएंगे.
4). धैर्य रखें
शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फ़ंड्स में उतार-चढ़ाव होते रहेंगे. अगर आप लंबे समय तक निवेश में बने रहते हैं, तो नुक़सान के मुक़ाबले मुनाफ़ा मिलने की संभावना ज़्यादा होती है.
4. म्यूचुअल फ़ंड्स क्यों हैं सुरक्षित?
1. प्रोफेशनल मैनेजमेंट का फ़ायदा
म्यूचुअल फ़ंड्स को एक्सपर्ट टीम मैनेज करती है, जो बाज़ार की चाल और रिस्क को समझकर निवेश करती है.
2. रेग्युलेटर की सुरक्षा
म्यूचुअल फ़ंड्स पर सेबी (SEBI) का कड़ा नियंत्रण है, जो इस निवेश को बहुत सुरक्षित बना देता है.
3. एसेट एलोकेशन
म्यूचुअल फ़ंड्स का पैसा कई सेक्टर और इंस्ट्रूमेंट्स में बंटा होता है. इससे भी रिस्क काफ़ी कम हो जाता है.
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5. निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखें?
1). ख़ुद रिसर्च करें
किसी भी फ़ंड में पैसा लगाने से पहले उसकी परफ़ॉर्मेंस, मैनेजमेंट और पोर्टफ़ोलियो को ज़रूर जांचें.
2). फाइनेंशियल एडवाइज़र से सलाह लें
अगर म्यूचुअल फ़ंड्स की ज़्यादा जानकारी नहीं है, तो किसी एक्सपर्ट से गाइडेंस लें. आप धनक पर आ सकते हैं जहां बहुत सी जानकारियां,
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3). इमरजेंसी फ़ंड बनाएं
निवेश शुरू करने से पहले कम से कम
तीन से छह महीने का इमरजेंसी फ़ंड बनाएं.
यानि आपके पास इतनी बचत होनी चाहिए जो आपके तीन से छह महीने के बुनियादी ख़र्चों के लिए काफ़ी हो. इससे अचानक ज़रूरत पड़ने पर आपको निवेश तोड़ने की नौबत नहीं आएगी.
4). लॉन्ग-टर्म के लिए सोचें
आज के माहौल में तुरंत ही अमीर बनने के तरीक़े बताने वाले तमाम लोग और तरीक़े इंटरनेट और सोशल मीडिया पर नज़र आ जाएंगे. मगर आपको शॉर्ट-टर्म मुनाफ़े के लालच में नहीं पड़ना है. म्यूचुअल फ़ंड्स लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न देते हैं.
6. फ़िक्स्ड डिपॉज़िट बनाम म्यूचुअल फ़ंड्स
लोग अक्सर म्यूचुअल फ़ंड्स और फ़िक्स्ड डिपॉज़िट की तुलना करते हैं. आइए इन दोनों के फ़र्क़ को समझें:
पैरामीटर | म्यूचुअल फ़ंड्स | फ़िक्स्ड डिपॉज़िट (FD) |
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रिटर्न | मार्केट-लिंक्ड, ज़्यादा हो सकता है | तयशुदा, लेकिन कम रिटर्न |
लिक्विडिटी | निवेश कभी भी निकाल सकते हैं | मेच्योरिटी तक लॉक-इन |
रिस्क | हाई से लो, फ़ंड पर निर्भर है | बहुत कम, लगभग सुरक्षित |
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7. किसके लिए सही हैं इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स?
म्यूचुअल फ़ंड्स उन लोगों के लिए सही हैं जो:
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लंबे समय तक निवेश करना चाहते हैं.
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अपने पैसे को तेज़ी से बढ़ाना चाहते हैं.
- मार्केट रिस्क को समझने के लिए तैयार हैं.
म्यूचुअल फ़ंड्स उनके लिए नहीं हैं जो:
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तुरंत रिटर्न चाहते हैं.
- मार्केट की गिरावट से डरते हैं.
आप क्या करें: डर छोड़िए, समझ बढ़ाइए
म्यूचुअल फ़ंड्स में पैसा डूबने का डर कई लोगों को निवेश करने से रोक देता है. लेकिन हक़ीक़त ये है कि समझदारी और सही प्लानिंग से आप रिस्क को काफ़ी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं.
तो अगली बार जब कोई आपसे पूछे, "क्या म्यूचुअल फ़ंड में पैसा डूब सकता है?" तो पूरे आत्मविश्वास से कहिए, "अगर समझदारी से निवेश करेंगे, तो नहीं!"
याद रखें, म्यूचुअल फ़ंड्स लंबी अवधि की दौड़ में आपको विजेता बनाते हैं. ये निवेश की दुनिया में आपका साथी है, दुश्मन नहीं.
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डिस्क्लेमर: ये लेख आपकी निवेश यात्रा को आसान और बेहतर बनाने के लिए है. निवेश सोच-समझकर करें और अपने लक्ष्यों को हासिल करें.
FAQs
1. म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश करने का जोखिम क्या है?
म्यूचुअल फ़ंड्स में मुख्य जोखिम मार्केट रिस्क, क्रेडिट रिस्क और इन्फ्लेशन रिस्क होते हैं. हालांकि, समझदारी से चुने गए फ़ंड्स और नियमित SIP के ज़रिए इन जोखिमों को कम किया जा सकता है.
2. म्यूचुअल फ़ंड्स और फ़िक्स्ड डिपॉज़िट में क्या अंतर है?
फ़िक्स्ड डिपॉज़िट्स तयशुदा रिटर्न देते हैं और कम जोखिम वाले होते हैं, जबकि म्यूचुअल फ़ंड्स में ऊंचा रिटर्न मिलने की संभावना होती है, लेकिन साथ ही थोड़ा ज़्यादा जोखिम भी होता है.
3. SIP क्या है और क्यों इसका उपयोग करना चाहिए?
SIP (Systematic Investment Plan) के ज़रिए आप नियमित रूप से छोटी रक़म निवेश कर सकते हैं, जो बाज़ार के उतार-चढ़ाव को बेहतर तरीके से संभालने में मदद करता है.
4. किसके लिए म्यूचुअल फ़ंड्स सही हैं?
म्यूचुअल फ़ंड्स उन लोगों के लिए सही हैं जो लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, बाज़ार के उतार-चढ़ाव को समझते हैं और जोखिम लेने के लिए तैयार हैं.
5. क्या म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश करने से पैसे की सुरक्षा होती है?
अगर सही फ़ंड और निवेश रणनीति का चुनाव किया जाए तो म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश सुरक्षित हो सकता है. इनका पैसा विभिन्न कंपनियों और सेक्टरों में बंटा होता है, जिससे जोखिम कम होता है.