हाल में सोशल मीडिया पर एक वीडियो ख़ासा वायरल हो रहा है, जो एक बैंक मैनेजर और बैंक के क्लाइंट के बीच मारपीट से संबंधित है. हालांकि, इस विवाद के पीछे की वजह ख़ासी दिलचस्प है. असल में बैंक का क्लाइंट अपने फ़िक्स्ड डिपॉज़िट पर मिले ब्याज पर बैंक द्वारा काटे गए TDS से काफ़ी नाराज था. और, इसी वजह से वो बैंक मैनेजर से नाराज था और ये घटना हो गई.
ऐसे में आपके लिए फ़िक्स्ड डिपॉजिट पर लगने वाले TDS के बारे में जानना ज़रूरी हो जाता है, जिससे आपको इस तरह की असहज स्थितियों का सामना न करना पड़े.
क्या होती है बैंक FD? (bank fd kya hoti hai)
बैंक FD (Fixed Deposit) निवेश का एक ऐसा विकल्प है जिसमें आप एक तय अवधि के लिए बैंक में पैसा जमा करते हैं. इसमें आपको पहले से तय ब्याज दर पर गारंटीशुदा रिटर्न मिलता है. FD का टेन्योर 7 दिन से लेकर 10 साल तक हो सकता है. यह सुरक्षित निवेश का माध्यम है, क्योंकि इसमें आपके पैसे पर बाज़ार के उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता. निवेशक मैच्योरिटी के बाद मूलधन और ब्याज प्राप्त करते हैं. ये उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो सुरक्षित और निश्चित रिटर्न चाहते हैं.
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बैंक FD पर टैक्स सेविंग? (bank fd par tax saving kaise kare)
बैंक FD पर टैक्स सेविंग का लाभ विशेष रूप से टैक्स सेविंग FD के माध्यम से लिया जा सकता है. ये 5 साल की लॉक-इन पीरियड वाली फ़िक्स्ड डिपॉजिट होते है, जिनमें निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट मिलती है.
FD के ब्याज पर कितना टैक्स? (FD par kitna tax lagta hai)
सीनियर सिटीजंस को छोड़कर सभी के लिए FD के ब्याज पर TDS की छूट सीमा ₹40,000 है. इसका मतलब है कि अगर किसी फ़ाइनेंशियल ईयर में FD पर अर्जित ब्याज ₹40,000 से कम है, तो TDS नहीं काटा जाएगा. सीनियर सिटीजंस के लिए ये सीमा ₹50,000 है.
ऐसे में लिमिट से ज़्यादा ब्याज होने पर बैंक या वित्तीय संस्थान ब्याज पर TDS काट लेगा.
TDS का रिफ़ंड कर सकते हैं क्लेम (tds ka refund kaise hota hai)
जिन लोगों की कुल टैक्सेबल इनकम ₹2.5 लाख से कम है, उन्हें अपनी FD पर TDS से पूरी तरह छूट दी गई है. और, आप TDS कटौती से बचना चाहते हैं तो आपको अपने बैंक में पहले से फ़ॉर्म 15G/15H दाखिल करना होगा. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं और FD के ब्याज पर TDS कट जाता है तो आप ये रक़म ITR के ज़रिये रिफ़ंड के तौर पर क्लेम कर सकते हैं.
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