Anand Kumar
अगर कबूतर बेतरतीब घटनाओं को लेकर अंधविश्वास विकसित कर सकते हैं, तो निवेशक भी ऐसा कर ही सकते हैं. 1948 में, प्रसिद्ध व्यवहार वैज्ञानिक बी.एफ़. स्किनर ने कबूतरों के साथ एक दिलचस्प प्रयोग किया, जो पचहत्तर साल बाद, निवेशकों के व्यवहार की कुछ समझ देता है, कम से कम मुझे तो यही लगता है. पक्षियों को ख़ास कामों के लिए पुरस्कार देने के बजाय, स्किनर ने उन्हें बेतरतीब ढंग से खाना दिया. नतीजे चौंकाने वाले रहे: आठ में से छह कबूतरों ने अजीब तरह के 'अंधविश्वासी' व्यवहार शुरू कर दिए, उन्हें यक़ीन हो गया कि उनकी अजीबोग़रीब हरकतें ही उनके खाने की डिलीवरी के लिए ज़िम्मेदार थीं.
एक कबूतर अपने पिंजरे के चारों ओर दो या तीन बार गोल-गोल घूमता. दूसरा बार-बार पिंजरे के एक कोने में अपना सिर घुसाता. तीसरा अजीब ढंग से उछलता, जैसे अपने सिर पर कोई भार उठा रहा हो. और दो कबूतर अपने सिर को पेंडुलम की तरह एक दाएं-बाएं घुमाते रहते. हरेक पक्षी ने, अपने-अपने तरीके़ से, एक रिचुअल या आदत बना ली थी, जिसके बारे में उनका मानना था कि इससे उन्हें पुरस्कार यानि खाना मिलेगा.
अगर ये मिसाल आपको बाज़ार के उतार-चढ़ावों में निवेशकों का व्यवहार याद दिलाती है, तो आप अकेले नहीं हैं. स्किनर के कबूतरों की तरह, निवेशक अक्सर बाज़ार में सफलता को लेकर अपने ख़ुद के 'रिचुअल' और अंधविश्वास गढ़ते रहते हैं. फ़ाइनेंशियल न्यूज़ देखिए, और आप चुनाव के नतीजों से लेकर क्रिकेट मैच तक हर चीज़ से बाज़ार की गतिविधियों को जोड़ने की अंतहीन कोशिशें पाएंगे. निवेशकों की चर्चाएं सुनें, और आपको टेक्निकल पैटर्न, ग्रह-नक्षत्रों के परिवर्तन या नंंबरों के असर पर बड़े-बड़े सिद्धांत मिल जाएंगे जो बाज़ार की भविष्यवाणियां करते नज़र आएंगे.
कबूतरों की मिसाल के साथ इनकी समानताएं अनोखी हैं. जिस तरह से खाने पर कबूतरों के रिचुअल का कोई असर न होने के बावजूद उन्होंने अपनी हरकतें जारी रखीं, ठीक वैसे ही निवेशक भी अक्सर ऐसी रणनीतियों से चिपके रहते हैं जिनका बाज़ार के नतीजों से कोई लेना-देना नहीं होता. एक ट्रेडर ख़ुद को ये विश्वास दिला सकता है कि बाज़ार हमेशा मंगलवार को ही बढ़ता है या एक ख़ास टेक्निकल पैटर्न शेयरों के दाम में उलटफेर की गारंटी है. दूसरा इस बात की क़समें खा सकता है कि हर रोज़ पांच बार शेयर क़ीमतें चेक करना क़िस्मत चमका देता है.
कबूतरों के बेतरतीब व्यवहार को मज़ूबत बनाने वाला पुरस्कार ठीक वही है जो शेयर बाज़ार को अंधविश्वासी सोच की उपजाऊ ज़मीन बना देता है. कभी-कभी लगता है कि ये "रिचुअल" काम कर रहे हैं - जैसे कभी-कभी अपनी चुनी हुई हरकतों के तुरंत बाद कबूतर खाना पा जाते हैं. जब कोई ख़ास अनालेसिस या ट्रेडिंग स्ट्रैटजी, फ़ायदा दिला देती है तो उस पर भरोसा गहरा जाता है, फिर चाहे सफलता पूरी तरह से एक संयोग ही क्यों न हो.
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ये घटना तेज़ी के बाज़ार में ख़ासतौर पर ख़तरनाक हो जाती है, जब बढ़ती क़ीमतें लगभग किसी भी रणनीति को सफल बना सकती हैं. निवेशक अपने मुनाफ़े का श्रेय अपने सुबह के ध्यान को, अपनी भाग्यशाली ट्रेडिंग शर्ट या अपने जटिल चार्ट के पैटर्न को दे सकते हैं. असलियत ये है कि वे बस एक बड़ी लहर का फ़ायदा पाते हैं जो सभी नावों को ऊपर उठा रही होती है.
मार्केट के अंधविश्वासों का सबसे बड़ा छल ये है कि सबूत चाहे जो कहें पर ये वैसे के वैसे बने रहते हैं. जिस तरह स्किनर के कबूतरों ने पुरस्कारों के बेतरतीब स्वभाव के बावजूद अपने व्यवहार जारी रखे, निवेशक भी अक्सर असफल रणनीतियों पर दोगुना दांव लगाने लगते हैं, वो मानते हैं कि उन्हें ज़्यादा सटीक होने या अपने विश्वास पर और मज़बूती से अमल करने की ज़रूरत है.
इस इंसानी फ़ितरत का तोड़ क्या है? सबसे पहले, पहचानें कि स्किनर के खाना बांटने के तरीक़े की तरह, बाज़ार हमारे अपने रिचुअल और विश्वासों से काफ़ी हद तक आज़ाद है. दूसरा, निवेश करने के लिए सधा हुआ और सबूतों पर आधारित नज़रिया अपनाएं. नियमित SIP निवेश, सही एसेट एलोकेशन और समय-समय पर रीबैलेंस करना मार्केट के 'सीक्रेट कोड' तलाशने जितना रोमांचक भले न हो, लेकिन ये कहीं ज़्यादा भरोसेमंद है.
हाल में हुए राज्यों के चुनावों के बाद बाज़ार के उतार-चढ़ावों पर सोचिए. निवेशक जो बाद की रैली का श्रेय अपने ख़ास अनालेसिस या ट्रेडिंग स्ट्रैटजी को देते हैं, वे अपने पिंजरों में घूम रहे कबूतरों की तरह हैं - सहसंबंध (correlation) को कारण (causation) समझ बैठते हैं. बाज़ार अनगिनत वजहों से गिरता और उठता है, जिनमें से कई केवल पीछे मुड़ कर देखने पर ही स्पष्ट होती हैं.
जो निवेशक बेहद सफल रहे हैं उन्होंने ख़ुद को इस तरह की अंधविश्वासी सोच से आज़ाद किया है. वे समझे हैं कि लंबे निवेश की सफलता किसी रिचुअल पर आधारित व्यवहार या बाज़ार की चाल का पता लगा कर निवेश करने में नहीं, बल्कि बाज़ार के हर दौर में अनुशासन बनाए रखने, सही तरीक़े से डाइवर्सिफ़िकेशन करने, और कंपाउंडिंग को अपना जादू करने का समय देने से आती है.
स्किनर के कबूतरों से मिलने वाली सबसे बड़ी सीख अंधविश्वासी सोच को लेकर अपनी संवेदनशीलता को पहचानना है. अगली बार जब आप समझें कि आपने एक अचूक मार्केट पैटर्न या एक गारंटी वाली ट्रेडिंग स्ट्रैटजी पा ली है, तो उन कबूतरों को याद करें जो बेतरतीब पुरस्कार पाने के लिए ईमानदारी से अपने रिचुअल करते हैं. खाना देने वाले स्किनर के डिस्पेंसर की तरह, बाज़ार अपने शेड्यूल पर चलता है - चाहे हम अपने पिंजरों में कितनी ही बार क्यों न घूमें.
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