कभी-कभार थिएटर में मसाला फ़िल्म देखने में बड़ा मज़ा आता है, क्योंकि वो कॉमेडी, एक्शन, रोमांस और ट्रैजडी से भरपूर होती हैं. लेकिन, हममें से ज़्यादातर लोग असल ज़िंदगी में भावनाओं के ऐसे उतार-चढ़ाव पसंद नहीं करते, ख़ासकर जब इसमें उनका अपना पैसा दांव पर लगा हो.
इसलिए, अगर इक्विटी मार्केट में मौजूदा उतार-चढ़ाव आपको परेशान कर रहा है, तो हमारे पास इसका समाधान है और वो है डायवर्सिफ़िकेशन.
अपना पूरा निवेश इक्विटी में करने के बजाय, आप कुछ ऐसे एसेट क्लास पर विचार कर सकते हैं जो आपके पोर्टफ़ोलियो को बेहतर बैलेंस दे सकते हैं.
आपके निवेश का हिस्सा बनने के लिए भरोसेमंद एसेट क्लास हैं:
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अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी (International Equity)
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डेट (Debt)
- गोल्ड (Gold)
इन निवेश विकल्पों को अपने घरेलू इक्विटी पोर्टफ़ोलियो में शामिल करने से गिरावट का रिस्क काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है.
अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी (International Equity)
अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी में निवेश आपके पोर्टफ़ोलियो में डायवर्सिफ़िकेशन लाने का स्मार्ट तरीक़ा हो सकता है. भले ही, S&P 500 जैसे कुछ बाज़ार बड़े आधार वाले भारतीय बाज़ारों की तरह चलते हैं, फिर भी वे करंसी डायवर्सिफ़िकेशन और उन सेक्टर में निवेश जैसे अनूठे फ़ायदे देते हैं, जो भारत में कम ही हैं.
हालांकि, कुछ चुनौतियों को लेकर भी सोचना चाहिए. RBI की निवेश सीमा के कारण, इस समय केवल कुछ ही फ़ंड्स में विदेशी इक्विटी का निवेश खुला है.
ये भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी में भी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है. भले ही उनमें निवेश से रिस्क के लिहाज़ से डाइवर्सिटी मिलती है, लेकिन वे आपके पोर्टफ़ोलियो को मार्केट के उतार-चढ़ावों से पूरी तरह से नहीं बचा सकते हैं.
डेट एलोकेशन (Debt Allocation)
डेट निवेश (debt investment) चाय की प्याली में तूफ़ान की तरह है.
BSE 500 (फ़रवरी 2013 से नवंबर 2024 तक) के 10 सबसे बड़ी मासिक गिरावटों को समझने से पता चलता है कि शेयर बाज़ार में औसतन 8.36 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फ़ंड 0.68 फ़ीसदी का मामूली, मगर पॉज़िटिव रिटर्न देने में कामयाब रहे.
साफ़ है कि ये डेट फ़ंड गिरते हुए बाज़ार में एक असरदार सहारे के तौर पर काम करते हैं.
सोना (Gold)
वैल्यू रिसर्च में हम पारंपरिक रूप से सोने में बड़े निवेश के ख़िलाफ़ सलाह देते हैं, क्योंकि ये एक अनुत्पादक निवेश (unproductive asset class) का ज़रिया है और लंबे समय में इक्विटी से अच्छा रिटर्न पाने की काफ़ी संभावनाएं रहती हैं. हालांकि, बाज़ार में गिरावट के दौरान सोने ने अपनी अहमियत साबित की है. BSE 500 के साथ -0.44 के सहसंबंध के साथ, ये एक सुरक्षा कवच का काम करता है, जो मुश्किल दौर में निवेशकों की पूंजी की रक्षा करने में मदद कर सकता है.
असल में, BSE 500 के 10 सबसे बड़े मासिक गिरावटों के दौरान, सोने ने औसतन 18 प्रतिशत से इक्विटी को पीछे छोड़ दिया, जो पोर्टफ़ोलियो को स्थिरता देने वाले एसेट के तौर पर इसका लचीलापन दिखाता है.
सोने में निवेश करने वालों के लिए सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (SGB) सबसे अच्छा विकल्प है. इनमें न केवल टैक्स-फ़्री रिटर्न मिलता है (अगर मैच्योरिटी तक रखें तो), बल्कि अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है. इससे ये धातु के रूप में ख़रीदने से बेहतर विकल्प बन जाता है.
हालांकि, चूंकि सरकार ने हाल ही में कोई नया SGB जारी नहीं किया है, इसलिए इसे लेने का एकमात्र विकल्प सेकंडरी मार्केट से ख़रीदना है.
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क्या डायवर्सिफ़िकेशन एक असरदार तरीक़ा है? (Is diversification effective?)
डायवर्सिफ़िकेशन की ताक़त दिखाने के लिए, BSE 500 TRI को 10 सबसे बड़ी मासिक गिरावटों के दौरान चार पोर्टफ़ोलियो परिदृश्यों का विश्लेषण किया.
इसके नतीजों से पता चला कि जैसे-जैसे हमने आगे डायवर्सिफ़िकेशन किया, बाज़ार में गिरावट के खिलाफ़ सुरक्षा बेहतर हुई.
अलग-अलग स्थितियां | पोर्टफ़ोलियो कॉम्बिनेशन | BSE 500 के सबसे बुरे 10 क्रैश के दौरान परफ़ॉर्मेंस |
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स्थिति-1 | आपका 100% पैसा शेयर बाज़ार (BSE 500) में लगा हुआ है | बेस परफ़ॉर्मेंस |
स्थिति-2 | 80% BSE 500, 20% शॉर्ट-ड्यूरेशन डेट फ़ंड | 1.8% बेहतर |
स्थिति-3 | 60% BSE 500, 20% शॉर्ट-ड्यूरेशन डेट फ़ंड, 20% इंटरनेशनल फ़ंड (S&P 500) में | 2.9% बेहतर |
स्थिति-4 | 60% BSE 500, 20% शॉर्ट-ड्यूरेशन डेट फ़ंड, 10% इंटरनेशनल फ़ंड (S&P 500), 10% गोल्ड | 3.17% बेहतर |
आख़िरी बात
अपने पोर्टफ़ोलियो में डाइवर्सिफ़िकेशन लाने का मतलब सिर्फ़ रिटर्न को ज़्यादा से ज़्यादा करना नहीं; इसका मतलब है लचीलेपन को शामिल करना. इसलिए, अगर आप बाज़ार के उतार-चढ़ाव का सामना करने में मुश्किल महसूस करते हैं, तो हमारा सुझाव है कि आप अपने पोर्टफ़ोलियो में इन तीन एसेट क्लास को शामिल करने के बारे में सोचिए.
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