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कोविड के बाद, 'वैल्यू' इन्वेस्टिंग निवेश की दुनिया का सबसे बड़ा आकर्षण बनकर उभरी है. इसने अपने प्रतिद्वंद्वी 'ग्रोथ' इन्वेस्टिंग को पीछे छोड़ दिया है. 'वैल्यू' इन्वेस्टिंग का फ़ोकस उन शेयरों पर होता है, जो रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE), प्राइस-टू-अर्निंग (P/E) रेशियो , प्राइस-टू-बुक (P/B) रेशियो और डिविडेंड यील्ड जैसे अहम पैमानों पर खरे उतरते हुए कम क़ीमत में मिलते हैं.
इसी बीच, इंडेक्स फ़ंड्स की बढ़ती लोकप्रियता ने वैल्यू-आधारित इंडेक्स फ़ंड्स को भी चर्चा में ला दिया है. इंडेक्स फ़ंड्स का मार्केट शेयर 16% (अक्टूबर 2024 तक) है. आइए, इसे थोड़ा और गहराई से समझें.
साल-दर-साल प्रदर्शन
वैल्यू-आधारित इंडेक्स टॉप 50, 200 और 500 भारतीय कंपनियों से मार्केट प्राइस के आधार पर शेयर चुनते हैं. इनके प्रदर्शन की तुलना हमने BSE 500 और 'एक्टिव' वैल्यू फ़ंड्स से की.
निफ़्टी 50 वैल्यू 20, जिसका एक-तिहाई पोर्टफ़ोलियो IT सेक्टर में है, उसने पिछले छह में से चार साल में BSE 500 को पछाड़ा है. लेकिन 2022 के बाद से IT सेक्टर पर ज़्यादा निर्भरता और पैसिव इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी के कारण ये एक्टिव फ़ंड्स से पीछे रह गया.
दूसरी तरफ, BSE इनहांस्ड वैल्यू, निफ़्टी 500 वैल्यू 50, और निफ़्टी 200 वैल्यू 30 ने 2024 में शानदार प्रदर्शन किया. इन्होंने BSE 500 को 9% तक पछाड़ा और ज़्यादातर एक्टिव वैल्यू फ़ंड्स से आगे रहे.
ये बदलाव ख़ासतौर पर 2019 और 2020 के ख़राब प्रदर्शन के बाद देखने को मिला है.
इन इंडेक्स के हालिया प्रदर्शन में सुधार का बड़ा कारण उनका 60% पोर्टफ़ोलियो सरकारी कंपनियों (PSUs) के शेयरों में होना है. वहीं, एक्टिव फ़ंड्स ने दिसंबर 2023 में अपने PSU एक्सपोज़र को 17% से घटाकर 13% कर दिया. यही वजह है कि पैसिव और एक्टिव स्ट्रेटेजी में प्रदर्शन का अंतर साफ़ नज़र आता है.
वैल्यू इंडेक्स: उतार-चढ़ाव भरा प्रदर्शन
कैलेंडर वर्ष के आधार वैल्यू फ़ंड्स की संख्या (जिन्होंने इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया)
साल | एक्टिव फ़ंड्स की संख्या | BSE 500 | निफ़्टी 50 वैल्यू 20 | BSE इनहांस्ड वैल्यू | निफ़्टी 200 वैल्यू 30 | निफ़्टी 500 वैल्यू 50 |
---|---|---|---|---|---|---|
2019 | 17 | 3 | 3 | 16 | 16 | 17 |
2020 | 17 | 4 | 1 | 16 | 17 | 17 |
2021 | 18 | 13 | 6 | 1 | 2 | 1 |
2022 | 22 | 16 | 20 | 0 | 0 | 0 |
2023 | 22 | 21 | 19 | 0 | 0 | 0 |
2024-YTD | 23 | 22 | 19 | 7 | 6 | 6 |
नोट: रिटर्न की कैलकुलेशन के लिए TRI डेटा का उपयोग किया गया है. 2024 के रिटर्न 29 नवंबर 2024 तक के हैं |
लॉन्ग-टर्म प्रदर्शन
लॉन्ग-टर्म में सिर्फ़ निफ़्टी 50 वैल्यू 20 ने BSE 500 और वैल्यू कैटेगरी को लगातार पीछे छोड़ा है. इसके अलावा तीन इंडेक्स - BSE इनहांस्ड वैल्यू, निफ़्टी 500 वैल्यू 50, और निफ़्टी 200 वैल्यू 30 - लॉन्ग-टर्म में कुछ ख़ास असर नहीं छोड़ पाए.
वैल्यू इंडेक्स: अस्थिर प्रदर्शन
डेली 5Y रोलिंग रिटर्न के आधार पर
इंडेक्स का नाम | % बार BSE 500 और वैल्यू कैटेगरी से आगे |
---|---|
BSE इनहांस्ड वैल्यू | 34 |
निफ़्टी 50 वैल्यू 20 | 97 |
निफ़्टी 500 वैल्यू 50 | 28 |
निफ़्टी 200 वैल्यू 30 | 28 |
नोट: नवंबर 2019 से 2024 के रिटर्न की कैलकुलेशन के लिए TRI डेटा लिया गया है. |
हमने इनके औसत 5Y प्रदर्शन की तुलना 14 एक्टिव वैल्यू म्यूचुअल फ़ंड्स से की. इनमें से 14 में से 11 एक्टिव फ़ंड्स ने BSE इनहांस्ड वैल्यू और निफ़्टी 500 वैल्यू 50 को पछाड़ा.
हालांकि, सिर्फ़ एक एक्टिव म्यूचुअल फ़ंड ही निफ़्टी 50 वैल्यू 20 से बेहतर प्रदर्शन कर पाया. इसका कारण ये है कि निफ़्टी 50 वैल्यू 20 मार्केट के उछाल का 91% हिस्सा पकड़ता है और गिरावट के दौरान नुक़सान को 75% तक सीमित रखता है. यानि, ये इंडेक्स बढ़ते मार्केट में अच्छा प्रदर्शन करता है और गिरावट में बेहतर सुरक्षा देता है.
निष्कर्ष
चार में से तीन पैसिव वैल्यू इंडेक्स - BSE इनहांस्ड वैल्यू, निफ़्टी 500 वैल्यू 50, और निफ़्टी 200 वैल्यू 30 को निवेशक नज़रअंदाज़ कर सकते हैं.
जहां तक निफ़्टी 50 वैल्यू 20 की बात है, इसके लॉन्ग-टर्म रिटर्न अच्छे ज़रूर हैं, लेकिन इसके पोर्टफ़ोलियो का 80% हिस्सा सिर्फ़ 10 बड़े शेयरों में है, जो इसे जोख़िम भरा बनाता है.
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