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हर माता-पिता का सपना होता है कि वे अपने बच्चों के सपने पूरा करें और उन्हें जीवन में एक मज़बूत शुरुआत दें. चाहे किसी मशहूर यूनिवर्सिटी में शिक्षा की बात हो, स्टार्टअप शुरू करना हो, या एक शानदार शादी—इन सभी लक्ष्यों को पहले से समझदारी भरे फ़ाइनेंशियल प्लान बनाकर हासिल किया जा सकता है. जहां इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स लंबे समय में बड़ी पूंजी बनाने का एक पक्का तरीक़ा हैं, वहीं एक परेशानी कई अभिभावकों के सामने आती है, वो ये कि क्या उन्हें अपने बच्चों के नाम पर निवेश करना चाहिए. इसके फ़ायदे और नुक़सान दोनों हैं. हमने यहां इसे विस्तार से समझाया है, ताकि आपको सही फ़ैसला लेने में मदद मिले.
बच्चों के नाम पर निवेश करने के फ़ायदे
1. टैक्स बचत: जब तक आपकी बेटी या बेटा 18 साल का नहीं हो जाता, म्यूचुअल फ़ंड से मिले मुनाफ़े को आपकी आमदनी माना जाएगा और उसी के मुताबिक़ टैक्स लगाया जाएगा. हालांकि, जैसे ही वे 18 साल के होते हैं, टैक्स की ज़िम्मेदारी आपके बच्चे पर आ जाएगी. उन्हें इस निवेश पर कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा. अगर ये मुनाफ़ा इक्विटी फ़ंड्स से मिले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (Long-Term Capital Gains) से होता है, तो उन्हें ₹1.25 लाख तक की सामान्य छूट का फ़ायदा मिलेगा.
इसके अलावा, नई टैक्स रिज़ीम के तहत, ₹3 लाख तक की सालाना पर्सनल आमदनी टैक्स फ़्री है. चूंकि ज़्यादातर 18 साल के युवाओं की दूसरी आमदनी नहीं होती, वे इस छूट का इस्तेमाल करके अपनी टैक्स की देनदारी को और कम कर सकते हैं. ये निवेश के मुनाफ़े पर टैक्स की बचत में अतिरिक्त ₹37,500 तक की बचत कर सकता है, जो इस छूट के तहत ज़्यादा से ज़्यादा टैक्स बचत हो सकती है.
2. अनुशासित निवेश: जब आप अपने बच्चे के नाम पर निवेश करते हैं, तो आप ये पक्का करते हैं कि बच्चे की शिक्षा या शादी के लिए तय किए फ़ंड आपके अपने लक्ष्यों, जैसे रिटायरमेंट या घर ख़रीदने से अलग रहें.
और, इससे आपमें बच्चों के भविष्य के लक्ष्यों को लेकर भावनात्मक जुड़ाव आता है जो अनुशासन बढ़ाता देता है, जिससे आप निवेशों के इन पैसों के इस्तेमाल करने से बचते हैं.
बच्चों के नाम पर निवेश करने के नुक़सान
1. दस्तावेज़ के झंझट: अपने बच्चे के नाम पर म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश करना थोड़ा जटिल हो सकता है. कई ऑनलाइन ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म नाबालिग के नाम पर म्यूचुअल फ़ंड अकाउंट खोलने का विकल्प नहीं देते. इसके अलावा, सिर्फ़ कुछ चुने हुए फ़ंड हाउस ही ऑनलाइन अकाउंट खोलने का विकल्प देते हैं. ज़्यादातर मामलों में, आपको फ़ंड हाउस की ब्रांच ऑफ़िस में व्यक्तिगत रूप से जाकर अकाउंट खोलना पड़ सकता है.
बच्चों का फ़ंड निवेश शुरू करने के लिए आपको इन दस्तावेज़ों की ज़रूरत होगी:
- नाबालिग आयु प्रमाणपत्र: बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, या संबंधित शिक्षा बोर्ड की हायर सेकेंडरी मार्कशीट.
- संबंध का प्रमाण: म्यूचुअल फ़ंड में लिस्ट किए गए अभिभावक या तो प्राकृतिक अभिभावक (माता-पिता) होने चाहिए या कोर्ट द्वारा नियुक्त क़ानूनी अभिभावक. माता-पिता को नाबालिग के साथ संबंध का प्रमाण पेश करना होगा. कोर्ट द्वारा नियुक्त कानूनी अभिभावकों को कोर्ट के आदेश की एक प्रति देनी होगी.
- अभिभावकों के दस्तावेज़: अभिभावक को अपना पैन कार्ड, पते का प्रमाण, बैंक के डिटेल देने होंगे और KYC करना होंगे.
18 वर्ष की उम्र होने पर, बच्चे को अपना अकाउंट फ्रीज़ होने से बचाने के लिए बालिग होने का फ़ॉर्म "Minor Attaining Majority (MAM)" भी जमा करना होगा.
2. आर्थिक परिपक्वता की कमी: जब आपका बच्चा 18 साल का हो जाता है, तो उसके नाम पर किए गए सभी निवेशों का पूर्ण स्वामित्व उसे मिल जाता है. जहां ये उसे सशक्त बनाता है, ये एक ऐसी उम्र भी है जब युवा वयस्कों में आर्थिक परिपक्वता कम हो सकती है. अगर सही गाइडेंस न मिले, तो जल्दबाज़ी में ख़र्च करने या पैसे का ग़लत प्रबंधन करने की संभावना बढ़ सकती है.
बच्चों के नाम पर निवेश करने पर निष्कर्ष
ये तय करना कि आपके बच्चे के नाम पर निवेश करना चाहिए या नहीं, एक व्यक्तिगत फ़ैसला है. याद रखें, जो एक परिवार के लिए सही हो, वो दूसरे के लिए नहीं हो सकता. आगे बढ़ने से पहले, इन सवालों पर विचार करें: क्या आप उम्मीद करते हैं कि आपका बच्चा 18 साल की उम्र में पैसों को लेकर ज़िम्मेदारी को संभाल पाएगा? क्या आप दस्तावेज़ी झंझट को संभाल सकते हैं? क्या ये फ़ैसला आपके परिवार के फ़ाइनेंशियल प्लान के मुताबिक़ है? अगर नहीं, तो आप हमेशा अपने नाम पर निवेश कर सकते हैं और जब समय आए, तो उस फ़ंड का इस्तेमाल अपने बच्चे की ज़रूरतों के लिए कर सकते हैं.
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