बड़े सवाल

सेंसेक्स में 10% की गिरावट, अब मैं क्या करूं?

गिरावट के बाद मार्केट के रिटर्न को लेकर ऐतिहासिक डेटा क्या कहता है?

What should I do if the market crashes? In HindiAI-generated image

भारतीय शेयर बाज़ार की शानदार दौड़ पर कुछ ब्रेक लग गया है. सितंबर 2024 तक क़रीब 17 फ़ीसदी बढ़ने के बाद, सेंसेक्स अपने रिकॉर्ड स्तर 85,000 से क़रीब 10 फ़ीसदी गिरा है. ये रिकॉर्ड स्तर, सेंसेक्स ने पांच हफ़्ते पहले छुआ था.

10 फ़ीसदी से ज़्यादा की भारी गिरावट इससे पहले फ़रवरी 2022 में देखने को मिली थी, जिसकी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध था. तब से, बाज़ार में काफ़ी तेज़ी देखने को मिली है. इसलिए, कई निवेशकों के लिए मौजूदा मंदी से चिंतित होना स्वाभाविक है.

हालांकि, इक्विटी निवेश एक लंबे समय का निवेश है, जिसका फ़ायदा लगातार निवेश करने और सब्र रखने पर मिलता है और ऐतिहासिक डेटा भी इसकी पुष्टि करता है. डेटा बताता है कि मामूली गिरावट के बाद कोई व्यक्ति जितना ज़्यादा समय तक निवेश बनाए रखता है, उसके टिकाऊ रिटर्न की संभावना उतनी ही बेहतर होती है.

क्या कहता है सेंसेक्स का डेटा

ऐतिहासिक रूप से, पांच सप्ताह के भीतर 10 फ़ीसदी की गिरावट के बाद, बाज़ारों ने अगले पांच वर्षों में केवल 44 फ़ीसदी समय में दोहरे अंकों में रिटर्न दिया. हालांकि, सात वर्षों की अवधि में ये बढ़कर लगभग 75 फ़ीसदी हो गया.

मामूली गिरावट के बाद कितनी बार बाज़ार देता है टिकाऊ रिटर्न

SIP रिटर्न 5 साल के दौरान (% बार) 7 साल के दौरान (% बार)
15% से ज़्यादा 34 38
10-15% 10 36
0-10% 46 20
नेगेटिव 10 6
सेंसेक्स की स्थापना से लेकर 1 नवंबर 2024 तक के रिटर्न के आधार पर
मामूली गिरावट का मतलब है पांच सप्ताह में 10% की गिरावट

जब आप निवेश की समयसीमा बढ़ाते हैं तो दमदार दोहरे अंकों में रिटर्न की संभावना काफ़ी हद तक बढ़ जाती है. इसी तरह की गिरावटों के बाद निगेटिव रिटर्न की आशंका भी पांच साल में 10 फ़ीसदी से घटकर सात साल में 6 फ़ीसदी रह जाती है.

मार्केट की गिरावट के समय आप क्या करें

  • सब्र रखें. बाज़ार में गिरावट के दौरान अचानक दी गई प्रतिक्रियाएं या लिए गए फ़ैसले अक्सर ख़राब नतीजों की ओर ले जाती हैं. आप जितने लंबे समय तक निवेश बनाए रखेंगे, आपके अच्छे रिटर्न पाने की संभावना उतनी ही बेहतर होगी.
  • अपने पोर्टफ़ोलियो के एसेट एलोकेशन की जांच करें और अगर ज़रूरी हो, तो सही एलोकेशन को बनाए रखने के लिए रिबैलेंस करें ताकि आपके निवेश को लेकर ग़ैर ज़रूरी जोख़िम पैदा न हो.
  • अपनी SIP जारी रखें. बाज़ार में गिरावट के दौरान नियमित निवेश करने से आपकी निवेश की लागत को औसत करने में मदद मिल सकती है.

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