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क्या वोडाफ़ोन आइडिया मुनाफ़ा कमा सकती है?

हम ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या दूरसंचार कंपनी निकट भविष्य में मुनाफ़े में आ सकती है

क्या वोडाफोन आइडिया के शेयर में निवेश करना सही है?AI-generated image

वोडाफ़ोन आइडिया के 'लापता मुनाफ़े' ने कई साल सुर्खियां बटोरीं हैं, और आज भी इसका भविष्य उतना ही अंधेरे में दिख रहा है. FY20 से इसके सबस्क्राइबरों की संख्या में गिरावट आई है. साथ ही, FY24 तक इसकी देनदारियां चिंताजनक रूप से ₹2 लाख करोड़ पर पहुंच गई हैं. फिर भी, निवेशकों की उम्मीदें क़ायम हैं. इसका नया FPO छह गुना से ज़्यादा सब्सक्राइब हुआ, जो भारत का अब तक का सबसे बड़ा FPO था. यहां तक ​​कि मार्केट एक्सपर्ट्स में भी अच्छा-ख़ासा उत्साह दिखाया, और संस्थागत निवेशकों ने इसे 19 गुना सब्सक्राइब किया था.

तो, क्या हम लोग, गोल्डमैन सैक्स की उस सलाह से चूक रहे हैं, जिसमें कंपनी के शेयरों की वैल्यू उसके मार्केट प्राइस से 75 फ़ीसदी कम, ₹2.5 प्रति यूनिट आंकी गई थी? क्या ये पुरानी टेलीकॉम कंपनी, अपने हालात बदलने और मुनाफ़ा कमाने, और उससे भी ज़रूरी, निवेशकों के लिए पूंजी बनाने का दम रखती है? आइए इस पर चर्चा करते हैं.

वोडाफ़ोन आइडिया के मुनाफ़ा कमाने की संभावना

सीधे-सीधे कहें, तो पूरी संभावना है कि निकट भविष्य में वोडाफ़ोन आइडिया के लिए मुनाफ़ा कमाना मुश्किल रहेगा. हालांकि, हम आंकड़ों के लिहाज़ ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि मुनाफ़ा कमाना संभव भी है या नहीं. इसके लिए हमें उम्मीद जगाने वाले पहलुओं पर नज़र डालनी होगी.

  • ग्राहकों की संख्या में भारी गिरावट नहीं आएगी. FY20-24 के बीच कुल ग्राहकों की संख्या में सालाना क़रीब सात फ़ीसदी की गिरावट आई. हालांकि, इसी दौरान वोडाफ़ोन के 4G ग्राहकों की संख्या में सालाना पांच फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई. ग्राहकों की संख्या में गिरावट मुख्य रूप से इसकी 2G सेवाओं की मांग में गिरावट के कारण हुई. इस आधार पर, हमने माना है कि निकट भविष्य में इसके ग्राहकों की संख्या में भारी गिरावट नहीं आएगी.
  • 2G ग्राहक 4G पर स्विच करेंगे. FY24 तक इसके कुल ग्राहक क़रीब 213 मिलियन थे, जिनमें से लगभग 86 मिलियन या 40 फ़ीसदी 2G इस्तेमाल करने वाले थे. हमें उम्मीद है कि लगभग 25 फ़ीसदी 2G ग्राहक, 4G पर स्विच करेंगे, ये देखते हुए कि ज़्यादातर 2G यूज़र्स के पास पुरानी तरह के फ़ोन (ब्रिक फ़ोन) हैं और वे 4G नेटवर्क का फ़ायदा नहीं उठा सकते हैं.
  • दाम अगर बढ़ा तो इंडस्ट्री के मुताबिक़ ही होगा. भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने संकेत दिया है कि आने वाले सालों में पूरे टेलिकॉम सेक्टर का टैरिफ़ 25 फ़ीसदी तक बढ़ने वाला है. हमें उम्मीद है कि वोडाफ़ोन आइडिया भी इसी तरह से दाम बढ़ाएगा. इससे इसका 4G ARPU (प्रति यूजर एवरेज रेवेन्यू) ₹194 से बढ़कर ₹300 हो जाएगा. ये टेलिकॉम इंडस्ट्री में एक अहम मेट्रिक है, जिससे हर ग्राहक से मिलने वाले रेवेन्यू का पता चलता है. इस बीच, इसकी 2G सेवाओं के लिए ARPU ₹73 पर निचले स्तर पर है, और हम इसमें बड़े बदलावों की उम्मीद नहीं करते हैं क्योंकि पूरा सेक्टर 2G को ख़त्म कर रहा है.

ऊपर बताई गई इन उम्मीदों को देखते हुए, हम क़रीब ₹60,000 करोड़ के सालाना रेवेन्यू पर पहुंचते हैं. ये आंकड़ा 2G और 4G दोनों यूज़र्स के ARPU को FY24 में उनकी ग्राहक संख्या से गुणा करने पर मिलता है. टेलिकॉम इंडस्ट्री में, आम तौर पर लागत स्थिर ही रहती है, इसलिए हम मानते हैं कि वोडाफ़ोन आइडिया की लागत मौजूदा स्तर पर बनी रहेगी.

क्या नज़र आ रहा प्रॉफ़िट

4G की ओर रुख से बढ़ेगा मुनाफ़ा

Q1FY25 हमारी धारणाओं के आधार पर
4g सब्सक्राइबर्स (मिलियन में) 126.3 147.6
2g सब्सक्राइबर्स (मिलियन में) 83.4 62.5
4g ARPU (₹/माह)** 194 300
2g ARPU (₹/माह)** 73 73
रेवेन्यू (करोड़ ₹ में)* 42,157 60,000
EBIT (OI को छोड़कर) (करोड़ ₹)* -5,229 13,000
*TTM के आधार पर
** हिस्टोरिकल डेटा के आधार पर अनुमानित ARPUs

इन आंकड़ों के साथ, कंपनी ₹13,000 करोड़ का EBIT (ब्याज और टैक्स से पहले की अर्निंग) हासिल कर सकती है, जिससे पता चलता है कि ऑपरेटिंग लेवल पर प्रॉफ़िटेबिलिटी उसकी पहुंच में है. हालांकि, इस कहानी में और भी बहुत कुछ है.

भले ही ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट हासिल किया जा सकता है, लेकिन इसे नेट प्रॉफ़िट में बदलना एक और चुनौती होगी. हमारे मुताबिक़, वोडाफ़ोन आइडिया को अभी भी अपने भारी ब्याज के बोझ के कारण टैक्स से पहले ₹12,000 करोड़ का नेट लॉस होगा, जो FY24 तक ₹25,000 करोड़ था. हालांकि, इसमें एक उम्मीद की किरण भी है.

FY25 के पहले क्वार्टर में, कंपनी का ब्याज की दरें उम्मीद से कम, ₹5,500 करोड़ पर रहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसने अपने कुछ क़र्ज़ को इक्विटी में बदल दिया. अगर वोडाफ़ोन आइडिया इस तरह के डेट-टू- इक्विटी में बदलने का सिलसिला जारी रखता है, तो इसकी ब्याज लागत में और कमी आ सकती है, जिससे इसके मुनाफ़े में सुधार होगा.

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मुनाफ़े का मतलब निवेश नहीं!
ध्यान रखें, ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट की संभावना के बावजूद, हम वोडाफ़ोन आइडिया में निवेश की वकालत नहीं कर रहे हैं.

सबसे पहले, कंपनी 5G कवरेज और कैपिटल एक्सपेंडिचर के मामले में अपनी जैसी दूसरी कंपनियों भारती एयरटेल और रिलायंस जियो से बहुत पीछे है. इसके अलावा, भविष्य में कोई भी मुनाफ़ा लगातार होने वाले इक्विटी डाइल्यूशन पर निर्भर हो सकता है, जो क़र्ज को कम करने के लिए तो अच्छा है, लेकिन शेयरधारकों के लिए चिंता की बात है, क्योंकि इससे कंपनी में उनकी हिस्सेदारी कम होती है. अंत में, भले ही हमने प्राइस में बढ़ोतरी मान ली है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ये ज़रूरी सीमा तक होगी. भारती एयरटेल और रिलायंस जियो पहले से ही फ़ायदे में हैं और उन्हें क़ीमतें बढ़ाने की उतनी ज़रूरत नहीं होगी, जिससे वोडाफ़ोन आइडिया के पास क़ीमत बढ़ाने को लेकर उतनी आज़ादी नहीं होगी. ध्यान रखें कि ऊपर जब हमने उम्मीद जगाने वाले पहलुओं को लेकर बात की तब भी नतीजा बराबरी का ही रहा. हालांकि, अगर हमारी धारणाएं वास्तविकता में बदल जाती हैं, तो भारती एयरटेल और रिलायंस जियो को कहीं ज़्यादा फ़ायदा होगा. इसकी वजह ये है कि वे पहले से ही मुनाफ़े में हैं और उनके पास बड़ा ग्राहक आधार है.

संक्षेप में कहें, तो भले ही वोडाफ़ोन आइडिया भविष्य में मुनाफ़े में हो जाए, लेकिन लॉन्ग-टर्म में निवेशकों के लिए पूंजी बनाने की इसकी क्षमता को लेकर अनिश्चितता बहुत ज़्यादा बनी हुई है.

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