वैल्यू रिसर्च धनक से पूछें

Mutual funds vs PMS: क्या अच्छा है आपके पैसे के लिए?

पोर्टफ़ोलियो मैनेजमेंट सर्विस और म्यूचुअल फ़ंड दोनों में आपके पैसे का ध्यान एक फ़ंड मैनेजर रखता है. आपके लिए क्या सही है जानिए यहां.

Mutual funds vs PMS: which is better?AI-generated image

एक फ़िनटेक ऐप ने मुझसे अपने सभी म्यूचुअल फ़ंड को रिडीम करने (भुनाने) और उनसे PMS सर्विस लेने के लिए कहा है. क्या मुझे ऐसी सर्विस लेनी चाहिए? कृपया सलाह दें, क्योंकि मैं अपने रिटायरमेंट के काफ़ी क़रीब हूं. - धनक सब्सक्राइबर

पोर्टफ़ोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) और म्यूचुअल फ़ंड, दोनों मामलों में एक फ़ंड मैनेजर पोर्टफ़ोलियो का ख्याल रखता है जो इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट होता है. भले ही, PMS ज़्यादा फ़ायदे का सौदा रहे, लेकिन इसमें एक पेंच है.

PMS के लिए, आपको बड़ी पूंजी की ज़रूरत होगी जो कम से कम ₹50 लाख होनी चाहिए. दूसरी ओर, आप म्यूचुअल फ़ंड के साथ अपने निवेश के सफ़र को केवल ₹100 की SIP से शुरू कर सकते हैं.

इसके अलावा, म्यूचुअल फ़ंड के साथ बने रहने का एक फ़ायदा ये है कि इसमें निवेश बेचने के बाद लगने वाला टैक्स आपको अदा नहीं करना होता. आइए इसे विस्तार से समझते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में, फ़ंड मैनेजर फ़ंड के निवेश को कई बार ख़रीदता-बेचता है. क्योंकि ये काम म्यूचुअल फ़ंड करता है इसलिए आपको टैक्स का ख़र्च उठाने की ज़रूरत नहीं होती. आप पर टैक्स की देनदारी तभी बनती है जब आप अपने फ़ंड से पैसा निकालते हैं और उस पर मुनाफ़ कमाते हैं. मगर PMS में यही काम आप ख़ुद करते हैं. आइए जानते हैं कैसे.

ये भी पढ़िए - PMS का रिप्लेसमेंट आ गया?

PMS आपके डीमैट अकाउंट से ही स्टॉक की ख़रीद-फ़रोख्त करता है. इसलिए, आपको ट्रांज़ैक्शन का ख़र्च, और साथ में शॉर्ट और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन का ख़र्च उठाना पड़ता है. इसलिए, इसका ख़र्च ज़्यादा हो जाता है. ज़ाहिर है, PMS के ज़रिये आपको मिलने वाले रिटर्न का एक हिस्सा ये खा जाता है.

इसके अलावा, किसी भी इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट में पारदर्शिता एक महत्वपूर्ण पहलू होता है. जहां तक म्यूचुअल फ़ंड का सवाल है, तो वो बहुत ज़्यादा रेग्युलेटेड होते हैं. इनके लिए फ़ंड हाउस को रोज़ाना NAV पब्लिश करने और मासिक आधार पर अपने पोर्टफ़ोलियो का खुलासा करने की ज़रूरत होती है. इससे निवेशकों को फ़ंड की स्ट्रैटजी और प्रदर्शन की पूरी जानकारी मिल जाती है. इसके उलट, PMS में उतनी पारदर्शिता नहीं होती क्योंकि डिटेल केवल निवेशक और PMS सर्विस देने के लिए उपलब्ध होती हैं. सार्वजनिक डोमेन में कोई जानकारी नहीं आती.

Mutual funds vs PMS: जानिए दोनों के बीच अंतर

पैरामीटर MF PMS
कॉस्ट कम ख़र्च बहुत ख़र्च
डिजाइन पब्लिक मनी पूल कस्टमाइज़ पोर्टफ़ोलियो
रेग्युलेशन और पारदर्शिता बहुत ज़्यादा रेग्युलेटेड और पारदर्शी; NAV का रोज़ाना डिसक्लोजर पारदर्शिता का कम स्तर
निवेश का स्तर कम निवेश (₹100-₹5,000) बहुत ज़्यादा न्यूनतम निवेश (₹50 लाख)
टैक्स विड्रॉल पर टैक्स कॉस्ट और टैक्स का बोझ निवेशक को उठाना पड़ता है

आख़िरी बात

इस सवाल को पूछने वाले हमारे एक प्रीमियम सब्सक्राइबर हैं और हमारी स्पेशल सीरीज़ सब्सक्राइबर्स हेल्पलाइन पर दिखाया गया था. अगर आप इसी तरह के सवालों के जवाब पाना चाहते हैं, तो इस महीने का एपिसोड देखें.

ये भी पढ़िए - PMS के साथ किस तरह के जोखिम जुड़े हैं ?

क्या आपके मन में कोई और सवाल है? हमसे पूछिए


टॉप पिक

मोमेंटम पर दांव लगाएं या नहीं?

पढ़ने का समय 1 मिनटवैल्यू रिसर्च down-arrow-icon

मल्टी-एसेट फ़ंड आज दूसरी सबसे बडी पसंद हैं. क्या इनमें निवेश करना चाहिए?

पढ़ने का समय 3 मिनटपंकज नकड़े

Flexi-cap vs Aggressive Hybrid Fund: ₹1 लाख कहां निवेश करें?

पढ़ने का समय 3 मिनटवैल्यू रिसर्च

क्या रिलायंस इंडस्ट्रीज़ का बोनस शेयर इश्यू वाक़ई दिवाली का तोहफ़ा है?

पढ़ने का समय 3 मिनटAbhinav Goel

समय, व्यावहारिकता और निराशावाद

पढ़ने का समय 4 मिनटधीरेंद्र कुमार down-arrow-icon

म्यूचुअल फंड पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

₹250 की SIP: फ़ंड्स की पहुंच बढ़ी और जटिलता भी

सेबी की पहल ने दरवाज़े तो खोले हैं, मगर फ़ंड में जटिलताओं के बढ़ने से ये बंद भी हो सकते हैं

दूसरी कैटेगरी