एन.एफ़.ओ. रिव्यू

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड NFO रिव्यू

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड NFO 19 जुलाई से 2 अगस्त 2024 तक मेंबरशिप के लिए खुला रहेगा

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड NFO रिव्यू

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड NFO इस महीने की शुरुआत में लॉन्च किया गया था, जिसका मक़सद चीन+1 ट्रेंड और घरेलू मैन्युफ़ैक्चरिंग के लिए सरकार की कोशिशों का फ़ायदा उठाना था.

2024 में मैन्युफ़ैक्चरिंग थीम काफ़ी मशहूर रही है, इस साल 13 में से पांच ऐसे ही फ़ंड लॉन्च किए गए. HDFC का मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड सबसे बड़ा था, जिसने अपने NFO पीरियड के दौरान ₹9,563 करोड़ जुटाए.

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड की बात करें तो ये इस सैक्टर में एक्टिव निवेश रणनीति अपनाने वाला दसवां फ़ंड होगा. दूसरे शब्दों में, पैसिव फ़ंड्स के उलट जो इंडेक्स की नकल करते हैं, इस फ़ंड के फ़ंड मैनेजर इस सेक्टर से एक्टिव तरीक़े से स्टॉक चुनेंगे.

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड NFO: एक नज़र में

फ़ंड का नाम मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड
NFO पीरियड 19 जुलाई, 2024 से 2 अगस्त, 2024
फ़ंड मैनेजर अजय खंडेलवाल और निकेत शाह
एग्ज़िट लोड एलोकेशन के 15 दिनों के भीतर भुनाए जाने पर 1%; उसके बाद शून्य.
टैक्स ट्रीटमेंट अगर यूनिट एक साल के अंदर बेची जाती हैं, तो कैपिटल गेन पर 20% टैक्स लगेगा.
अगर यूनिट एक वर्ष के बाद बेची जाती हैं, तो कैपिटल गेन पर 12.5% टैक्स लगेगा.हालांकि, ₹1.25 लाख तक के फ़ायदे पर टैक्स नहीं लगेगा

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड NFO: निवेश रणनीति

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड 35 शेयरों तक का एक पोर्टफ़ोलियो बनाएगा और अपने निवेश का 80 फ़ीसदी अलग-अलग मार्केट कैप वाली मैन्युफ़ैक्चरिंग कंपनियों को एलोकट करेगा. ख़ास तौर से, ये फ़ंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफ़ैक्चरिंग, पूंजीगत सामान, एनर्जी, रक्षा, बिजली, ऑटो और ऑटो सहायक सेक्टरों में निवेश करेगा.

ये डाइवर्स इक्विटी फ़ंड्स के उलट है, जो आम तौर पर निवेशकों के पैसे को मैन्युफ़ैक्चरिंग से लेकर बैंकिंग और कंजूमर गुड्स से लेकर रक्षा तक अलग-अलग सेक्टर्स में एलोकेट करते हैं.

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मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड के तीन बड़े प्रतिद्वंद्वी

मैन्युफैक्चरिंग-थीम वाले फ़ंड्स में ज़बरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है, जो 2022 में ₹100 करोड़ से बढ़कर 2024 के मध्य तक ₹13,000 करोड़ हो गए हैं.

इस कैटेगरी में अब 13 फ़ंड शामिल हैं, जिनमें नौ एक्टिव फ़ंड और चार पैसिव फ़ंड शामिल हैं.

हालांकि, एसेट बेस काफ़ी हद तक केंद्रित है, जिसमें टॉप 3 फ़ंड क़रीब 80 फ़ीसदी एसेट्स को नियंत्रित करते हैं. इस सेक्टर में तीन बड़े फ़ंड हैं:

1. HDFC मैन्युफ़ैक्चरिंग

2. ICICI प्रूडेंशियल मैन्युफ़ैक्चरिंग

3. एक्सिस इंडिया मैन्युफ़ैक्चरिंग

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड के बेंचमार्क ने कैसा प्रदर्शन किया है?

लंबे वक़्त में बहुत अच्छा नहीं रहा, जब आप इसकी तुलना भारत के डाइवर्स मार्केट (BSE 500) से करते हैं. हक़ीक़त में, पांच साल के मासिक रोलिंग रिटर्न के आधार पर, BSE 500 ने क़रीब तीन-चौथाई वक़्त में मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया है.

हालांकि, हाल के महीनों में मैन्युफ़ैक्चरिंग इंडेक्स ने BSE 500 को पीछे छोड़ दिया है, जिसका श्रेय PSU शेयरों (21 फ़ीसदी) में इसके हाई एलोकेशन और वर्तमान में संघर्षरत बैंकिंग और टैक्नोलॉजी सेक्टर्स में ज़ीरो रिस्क को जाता है. मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड के प्रबंधक कौन होंगे? अजय खंडेलवाल और निकेत शाह. खंडेलवाल के पास 14 सालों से ज़्यादा का तजुर्बा है और वे पहले कैनरा रोबेको में काम कर चुके हैं, जहाँ उन्होंने इसके स्मॉल-कैप फ़ंड को संभाला है. शाह के पास भी 14 सालों से ज़्यादा का तजुर्बा है और वे खंडेलवाल के साथ मिलकर पांच दूसरे फंड्स पर काम करते हैं.

मोतीलाल ओसवाल में दोनों की शुरुआत अच्छी रही है, लेकिन इन फंड्स में उनका कार्यकाल एक साल भी नहीं चला है. इसलिए, अभी कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाज़ी होगी.

हालांकि, मोतीलाल ओसवाल AMC में शाह का सबसे लंबे वक़्त तक प्रबंधित फ़ंड मिड-कैप फ़ंड है, जिसने मार्च 2018 से जुलाई 2024 तक 25.2 फ़ीसदी का सालाना रिटर्न दिया है, जो इसके बेंचमार्क के 19.3 फ़ीसदी और कैटेगरी के 19 फ़ीसदी से काफ़ी आगे है.

मोतीलाल ओसवाल मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ंड NFO: क्या आपको निवेश करना चाहिए?

मैन्युफैक्चरिंग फ़ंड में निवेश करना उनके साइक्लिकल उतार-चढ़ाव और सेक्टर के अपने रिस्क के कारण एक बड़े-दांव वाला खेल हो सकता है, इसलिए उनके लॉन्ग-टर्म रिटर्न में बहुत उतार-चढ़ाव हो सकता है.

इसके अलावा, एक्टिव तरीक़े से मैनेज किए जाने वाले मैन्युफ़ैक्चरिंग स्टॉक भी डाइवर्स फ़ंड्स से पीछे रह गए हैं. ( हमने मई 2024 में एक स्टोरी प्रकाशित की थी )

इसलिए, एक मज़बूत नज़रिए के लिए, फ़्लेक्सी-कैप और मल्टी-कैप फ़ंड जैसे डाइवर्स इक्विटी फ़ंड्स पर विचार करें. वे बड़े बाज़ार का एक्सपोजर देते हैं और उनका लंबा और उम्मीद के मुताबिक़ ज़्यादा टिकाऊ ट्रैक रिकॉर्ड होता है.

ये भी पढ़िए - NFO में निवेश से पहले खुद से पूछें ये 3 सवाल


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