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Awfis Space Solutions: भारत में कमर्शियल ऑफ़िस लीज़िंग का मार्केट तेज़ी से बढ़ रहा है. इसका श्रेय देश में ग्लोबल केपेबिलिटी सेंटर्स के बढ़ने को जाता है. इसीका नतीजा है कि फ़्लेक्सिबल ऑफ़िस स्पेस भी अपना दमखम दिखा रहे हैं. 2021-23 के बीच टियर-1 शहरों में साझा कार्यस्थलों में - जिन्हें को-वर्क स्पेस कहा जाता है - 24 फ़ीसदी की सालाना बढ़ोतरी हुई है. कोविड से पहले ये रेट 14 फ़ीसदी था. इसकी वजह है, स्टार्टअप्स की तरफ़ से आने वाली ज़्यादा डिमांड. साल 2018-23 के बीच ये डिमांड 42 फ़ीसदी सालाना की तेज़ी से बढ़ी है. इस ग्रोथ में मदद करने वाला एक और फ़ैक्टर है काम-काज के तरीक़ों में बदलाव का आना. दरअसल, अब कंपनियां और प्रोफ़ेशनल्स हाइब्रिड तरीक़े से काम करने का मॉडल ज़्यादा अपना रहे हैं.
सबसे अच्छे दांव की तलाश
अब सभी की निगाहें उन टॉप प्लेयर्स पर हैं जो इंडस्ट्री की ग्रोथ संभावनाओं का फ़ायदा उठा रहे हैं. ऑफ़िस स्पेस सॉल्यूशंस ( Awfis Space Solutions ) इस लिस्ट में सबसे ऊपर रही है. ये भारत की सबसे बड़ी फ़्लैक्सिबल वर्क स्पेस सॉल्यूशन कंपनी कहलाती है. हाल ही में 30 मई 2024 को शानदार परफ़ॉर्मेंस के साथ लिस्टिड हुई और तब से 30 फ़ीसदी से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई है. FY19-24 के बीच कंपनी का रेवेन्यू पांच गुना से ज़्यादा तेज़ी से बढ़ा. हालांकि, इस दौरान कंपनी को घाटा भी हुआ है.
लेकिन क्या हो, अगर हम आपको बताएं कि इसी सेक्टर में मुनाफ़ा कमाने वाली एक और प्रतिस्पर्धी कंपनी है जो बाज़ार के रडार से दूर है? वो भी ऐसी कंपनी जिसका मार्केट-कैप और बैलेंस-शीट का साइज़ Awfis के बराबर ही है.
एक छुपा हुआ पुराना खिलाड़ी
2014 में स्थापित, EFC लिमिटेड भारत की पहली लिस्टिड कंपनी है जो मैनेजमेंट ऑफ़िस स्पेस में इंटीग्रेटेड सर्विस देती है. हालांकि, कंपनी ने मार्केट में कोई सुर्खियां नहीं बटोरीं क्योंकि ये एक लिस्टिड कंपनी - अमानी ट्रेडिंग एंड एक्सपोर्ट्स - में बहुमत की हिस्सेदारी हासिल करके और अपने ऑपरेशंस, और निदेशक मंडल का नाम बदलकर परोक्ष या इनडायरेक्ट तरीक़े से मार्केट में उतरी थी, यानी पब्लिक हुई थी.
EFC स्प्रिंट, व्हाइट हिल्स और एक डिज़ाइन जैसे, अलग-अलग ब्रांड्स के तहत, सात शहरों के 35 सेंटरों में काम करती है. ये सेंटर, को-वर्किंग स्पेस, इंटीरियर डिज़ाइन और फ़र्नीचर बनाने जैसे ऑफ़िस स्पेस मैनेजमेंट सर्विस देते हैं.
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Awfis के मुक़ाबले EFC का परफ़ॉर्मेंस कैसा है?
EFC vs Awfis
छोटे स्तर पर काम करने के बावजूद, EFC प्रमुख ऑपरेटिंग मीट्रिक्स में आगे है
प्रमुख मीट्रिक्स (करोड़ ₹ में) | EFC | Awfis |
---|---|---|
मार्केट कैप | 2,787 | 3,818 |
कुल एसेट | 958 | 1,398 |
सीटों की संख्या (हजार में) | 40 | 110 |
ऑक्यूपैंसी (%) | 90 | 71 |
रेवेन्यू | 419 | 849 |
प्रति वर्ग फुट लागत (₹) | 1,250 | 1,700-1,800 |
नेट प्रॉफ़िट | 63 | -18 |
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ऑक्यूपेंसी लेवल:
EFC ने पिछले कुछ सालों में विवेकपूर्ण तरीक़े से बढ़ी है, लगातार ऑक्यूपेंसी लेवल 90 फ़ीसदी से ऊपर बनाए रखा है. दूसरी ओर, Awfis ने अपने तेज़ विस्तार के वजह से अभी तक इतना ऑक्यूपेंसी रेट हासिल नहीं किया है. FY24 तक इसका ऑक्यूपेंसी रेट 71 फ़ीसदी था.
प्रॉफ़िट बढ़ाने में मदद करने वाले ऑपरेटिंग लेवरेज को बनाने के लिए ऑक्यूपेंसी लेवल अहम होता है. FY24 तक, कर्मचारी लागत और दूसरे ख़र्च Awfis के रेवेन्यू का क़रीब 48 प्रतिशत थे, जबकि ये ख़र्च EFC के रेवेन्यू का केवल 12 प्रतिशत थे. हालांकि, Awfis हाल ही में Q4 FY24 में भी मुनाफ़ा कमाने में सक्षम था. ऑक्यूपेंसी लेवल में और सुधार से इसके लाभ के आंकड़ों को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
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बैकवार्ड इंटिग्रेशन:
EFC ने वैल्यू एडेड सर्विसेज़ के लिए अपने ऑपरेशंस का बड़ा किया है, जो तीसरे पक्ष के खिलाड़ियों के साथ काम करने वाली Awfis पर एक मज़बूत बढ़त बनाए रखता है. EFC ने इंटीरियर डिजाइनिंग के लिए व्हाइट हिल्स को शामिल किया, जो इसे अपने किरायेदारों की ज़रूरतों के मुताबिक़ फ़र्नीचर सेट करने यानी ख़ुद फ़िट-आउट ऑफ़र करने में मदद करता है. इसने फ़र्नीचर बनाने के लिए हाल ही में एक डिज़ाइन (Ek Design) को भी शामिल किया, जिससे इसका ऑपरेशन और एकीकृत हो गया है. कंपनी एक फ़र्नीचर प्रोडक्शन सुविधा स्थापित कर रही है, जो Q2 FY25 तक ऑपरेशंस शुरू कर देगी. मैनेजमेंट को उम्मीद है कि फ़र्नीचर सेगमेंट कंपनी के कुल मार्जिन के मुताबिक़ 40 प्रतिशत का EBITDA मार्जिन पैदा करेगा.
- ग्रोथ के दूसरे विकल्प: कंपनी अपने मुख्य बिज़नस की ग्रोथ में तेज़ी लाने के लिए और ज़्यादा विकल्पों को चुन रही है. ये मकान मालिकों या ऑफ़िस स्पेस के मालिकों पर अपनी निर्भरता कम करने के बारे में भी सोच रही है. इसके लिए, कंपनी जल्द ही रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट कंपनियों (REITs) और ऑल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फ़ंड (AIF) की स्थापना करेगी, ताकि निवेशकों के पैसे का इस्तेमाल ऑफ़िस स्पेस सहित रियल एस्टेट के स्वामित्व के लिए किया जा सके और उनकी मैनेजमेंट फ़ीस के ज़रिए से कमाई की जा सके.
हमारा नज़रिया
को-वर्किंग स्पेस इंडस्ट्री की उम्मीदें मज़बूत हैं और ये दोनों कंपनियों के लिए अच्छा बिज़नस सुनिश्चित करेगा, क्योंकि टियर-1 और 2 शहरों में कमर्शियल ऑफ़िस स्पेस में एंट्री लेवल अभी भी 14 फ़ीसदी (FY 24 के लिए) जितना कम है. हालांकि, EFC का परफ़ॉर्मेंस Awfis से बेहतर है, क्योंकि ये लगातार फ़ायदेमंद है और नए ग्रोथ वेंचर में एंट्री कर रहा है. EFC ने FY25 में अपनी सीटिंग कैपेसिटी को 78 फ़ीसदी तक बढ़ाने का टार्गेट रखा है, जबकि Awfis का ग्रोथ टार्गेट साल के लिए 58 फ़ीसदी है.
ऐसा कहा जाता है कि फ़्लेक्सी ऑफ़िस स्पेस सेक्टर को न सिर्फ़ नए, बल्कि पारंपरिक रियल एस्टेट खिलाड़ियों से भी प्रतिस्पर्धा का रिस्क है. इंडस्ट्री की क़ामयाबी बड़े कमर्शियल रियल एस्टेट डेवलपर्स को फ़्लैक्सीस्पेस सॉल्यूशन और यहां तक कि वैल्यू एडेड सर्विसेज़ ख़ुद ही पेश करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है. इससे को-वर्किंग और प्रबंधित ऑफ़िस स्पेस इंडस्ट्री के इस्तेमाल के मामले में कमी आ सकती है.
ये स्टोरी इन्वेस्टमेंट रेकमेंडेशन या सिफ़ारिश नहीं है. निवेश का फ़ैसला लेने से पहले कृपया अपनी ख़ुद की रिसर्च करें.
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