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जब कोविड दुनिया पर हथौड़े की तरह बरसा, तब तमाम ऑफ़िस रातों-रात वर्चुअल होने के लिए मजबूर हो गए. समझदार निवेशकों ने IT सेक्टर में एक अवसर को महसूस किया. इसे लेकर उनकी सोच क्या थी? क्योंकि हर कोई घर से काम कर रहा है, ऐसे में IT कंपनियां हाथों-हाथ नोट छाप रही होंगी. इस सोच ने निवेशकों को अपनी गाढ़ी कमाई IT शेयरों में लगाने के लिए प्रेरित किया. इस दौड़ में फ़ंड हाउस भी पीछे नहीं रहे. उन्होंने मार्केट को नए IT फ़ंड्स से भर दिया, जो महामारी से पहले सिर्फ़ 5 था वो उसके बाद अप्रैल 2024 तक 21 पर पहुंच गया.
निवेशकों का पैसा भी खूब लगा, जिससे जनवरी 2020 में जो कुल एसेट्स ₹1,669 करोड़ थे वो सिर्फ़ चार साल बाद बढ़कर ₹36,744 करोड़ हो गए.
लेकिन जैसे ही दुनिया भर में हालात सामान्य हुए, IT की पार्टी का रंग फीका पड़ गया. अमेरिका और यूरोप में मंदी के एक-दो झटके लगे और भारत के BFSI और टेलीकॉम सेक्टरों ने 2022 में IT शेयरों में ख़ूनख़राबा मचा दिया. (ख़ासतौर से टेलीकॉम सेक्टर में, जो बड़ी टेक कंपनियों की टॉपलाइन में 8-10 फ़ीसदी का बड़ा योगदान देता है).
पिछले दो साल से ऊपर हो गए, जब से IT शेयरों में गिरावट का दौर जारी है. पिछले तीन महीने में लगातार बनी हुई ये गिरावट और भी बदतर हो गई, मोटे बाज़ार इंडेक्स के 4.3 फ़ीसदी फ़ायदे के मुक़ाबले IT फ़ंड्स में 13 फ़ीसदी का नुक़सान हुआ है.
पिछला परफ़ॉर्मेंस
हालांकि, उनका लॉन्ग टर्म परफ़ॉर्मेंस एक अलग ही कहानी कह रहा है; जो किसी भी धैर्यवान निवेशक के चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकता है. बार-बार, इन फ़ंड्स ने पिछले 15 साल में 82 फ़ीसदी बार बेहतर परफ़ार्मेंस करके व्यापक बाज़ार इंडेक्स को धूल चटाई है.
सवाल ये है कि उनके शानदार लॉन्ग-टर्म परफ़ॉर्मेंस के पीछे बड़ी वजह क्या रही है? IT सर्विस का लगातार बढ़ना और डिजिटल बदलाव की ग्लोबल लहर जो पिछले दशक से दुनिया भर में बिज़नस को नया आकार दे रही है. जैसे-जैसे कंपनियों ने बढ़त हासिल करने के लिए नई तकनीकों को तेज़ी से अपनाया है, भारतीय IT कंपनियों को काफ़ी फ़ायदा हुआ और इसके नतीजे में उन्हें अच्छी ख़ासी कमाई हुई है.
फ़ंड मैनेजर क्या कर रहे हैं?
IT फ़ंड्स के शानदार अतीत और निराशाजनक वर्तमान के बीच अंतर को लेकर, ये देखना दिलचस्प है कि डाइवर्सिफ़ाइड फ़ंड्स के फ़ंड मैनेजर इस पहेली को कैसे सुलझा रहे हैं. उनके उठाए क़दमोों का अनालेसिस करने के बाद, मालूम होता है कि जब IT सेक्टर में गिरावट शुरू हुई, तो फ़ंड मैनेजर गिरावट पर ख़रीदारी कर रहे थे. हालांकि, अब उत्साह कम हो गया है. वे पिछले साल से न तो आक्रामक रूप से गिरावट ख़रीद रहे हैं और न ही अपने निवेशों से बाहर निकल रहे हैं, ये दिखाता है कि वे सावधान मगर आशावादी हैं. आख़िर, सिर्फ़ दो साल के धीमे परफ़ॉर्मेंस से इस सेक्टर के शानदार लॉन्ग-टर्म परफ़ॉर्मेंस में कोई कमी नहीं आनी चाहिए.
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आपको क्या करना चाहिए
किसी भी सेक्टोरल फ़ंड की तरह IT फ़ंड भी स्वाभाविक तौर से जोख़िम भरे होते हैं. वे बहुत बड़ी तेज़ी और गिरावट का शिकार होते हैं.
इसके अलावा, बाज़ार को टाइम (भविष्य का अंदाज़ा) करने और निचले स्तर को पकड़ने की कोशिश करना बेहद मुश्किल है. यहां तक कि दुनिया के सबसे अच्छे निवेशक को भी किसी सेक्टर में क्या होने वाला है इसके बारे में अंदाज़ा लगाने के लिए दो बार सोचना होगा.
इसलिए, डायवर्सिफाइड इक्विटी फ़ंड का विकल्प चुनना करना सबसे अच्छा रहता है. फ़्लेक्सी-कैप इसी की मिसाल है. फ़ायदा ये होता है कि वे 10 फ़ीसदी का औसत एक्सपोज़र बनाए रखते हुए IT कंपनियों में भी निवेश करते हैं. इतना ही नहीं, उनके IT एक्सपोज़र ने पिछले दो सालों में 21.4 फ़ीसदी रिटर्न दिया है, जबकि सिर्फ़ IT वाले फ़ंड्स ने केवल 4.6 फ़ीसदी का रिटर्न दिया है.
हालांकि, अगर आप अभी भी IT सेक्टर में ज़्यादा निवेश करना चाहते हैं, तो अपने पोर्टफ़ोलियो का एक छोटा हिस्सा IT फ़ंड्स को एलोकेट करने पर सोटें और लंबे समय तक निवेश को बनाए रखने के लिए तैयार रहें.
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