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Financial Rule: पैसे से जुड़े 5 नियम, जो हमेशा आपके काम आएंगे

अपने पैसे बेहतर ढंग से मैनेज करने के लिए इन नियमों को अपनी ख़ास स्थिति के मुताबिक़ बदल सकते हैं

What is the rule of 5 in finance: आपके पैसे से जुड़े 5 बेस्ट रूल

आप नए निवेशक हों या पुराने, आपने कभी न कभी बेतरतीब तरीक़े से बचत और निवेश करने की ग़लती की होगी. भले ही, ये बात आपके लिए सही हो, लेकिन अगर आप अपने फ़ाइनेंशियल गोल्स को हासिल करने के बारे में संजीदा हैं, तो आपको अपने पैसे ख़र्च करने, क़र्ज़ चुकाने, बचत करने और निवेश करने के लिए एलोकेट करते वक़्त कुछ फ़ाइनेंशियल रूल्स फ़ॉलो करने होंगे. बेशक़, इस पूरी कवायद को आपके ख़ास फ़ाइनेंशियल गोल्स के हिसाब से सही दिशा मिल सकती है, क्योंकि एक ही सलाह या नियम आपके पैसे के प्रबंधन के लिए सही समाधान नहीं हो सकता.

Financial rule #1: क़र्ज चुकाएं

डेट vs निवेश

कभी-कभी सिर्फ़ अपने डेट को हटाने पर ध्यान लगाना और अपनी दूसरी वित्तीय ज़रूरतों को अनदेखा करना फ़ायदे से ज़्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है. इसके बजाय, अपनी वित्तीय स्थिति का आकलन करना और उसके बाद प्राथमिकताएं तय करने का फ़ाइनेंशियल रूल आपके लिए ख़ासा मददगार हो सकता है. मिसाल के लिए, सिंगल इनकम वाले परिवार के लिए, इमरजेंसी फ़ंड एक प्राथमिक सुरक्षा ज़रूरत है. अगर आप स्व-रोज़गार में हैं, तो रिटायरमेंट के लिए बचत करना बहुत ज़रूरी है.

ऐसी योजना बनाएं जो आपको अपने क़र्ज़ का भुगतान करने के साथ-साथ अपनी निवेश की ज़रूरतों के लिए बचत एलोकेट करने की इजाज़त दे. अगर मुमकिन हो, तो अपनी बचत बढ़ाएं और सेकेंड इनकम के बारे में सोचें.

महंगा क़र्ज

जब आपके कर्ज़ का एक बड़ा हिस्सा क्रेडिट कार्ड का बकाया जैसा ऊंची लागत वाला होता है, तो इसे खत्म करने में लंबा वक़्त लग सकता है और ये रक़म बहुत ज़्यादा हो सकती है. ये बात उन लोगों को मायूस कर सकती है जो दिखने वाले नतीजों पर भरोसा करते हैं. इसलिए, यहां एक फ़ाइनेंशियल स्ट्रैटजी है जो आपको क़र्ज़ से बेहतर तरीक़े से निपटने में मदद करेगी.

डेट में कमी लाने का एक प्लान बनाएं जिसमें छोटे क़र्ज़ पहले निपटाए जाएं. जैसे-जैसे बकाये की लिस्ट से क़र्ज़ हटते जाते हैं, वैसे-वैसे अपने प्लान पर आगे बढ़ने और बाकी का भुगतान करने की गति बढ़ती है और इससे कामयाबी की उम्मीद बढ़ जाती है.

क़र्ज़ मुक्त रिटायर्मेंट

अगर आप क़र्ज़ चुकाने के लिए अपनी रिटायरमेंट कॉर्पस का इस्तेमाल करते हैं, तो आप रिटायमेंट की उम्र में होने वाली अपनी इनकम से समझौता कर सकते हैं. इसके बजाय, आपको इसे चुकाने तक ख़र्च के मामले में सख्त रहना चाहिए. रिटायर होने पर, आप ऐसी नौकरी भी पा सकते हैं जो क़र्ज़ चुकाने में मदद करेगी. अगर क़र्ज़ पर ब्याज कम है, तो इसे चुकाना आसान हो जाता है. इसी तरह, होम लोन और स्टूडेंट लोन जैसे टैक्स बेनेफ़िट वाले डेट की प्रभावी लागत कम होती है.

ये भी पढ़िए- नए निवेशक किस तरह के इक्विटी फ़ंड में निवेश कर सकते हैं?

Financial rule #2: क़िस्तों में निवेश करें

बढ़ते बाज़ार में, क़िस्तों में निवेश करने से लागत बढ़ जाती है. अगर आप सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) जैसे रूट के ज़रिए से निवेश कर रहे हैं, तो बाज़ार में गिरावट आने पर लागत कम हो सकती है. लेकिन अगर आप एकमुश्त निवेश करते हैं तो क्या होगा? अगर आपके पास निवेश करने के लिए एकमुश्त रक़म है और आपको लगता है कि बाज़ार नीचे जा रहा है, तो मौजूदा स्तरों पर निवेश करना समझदारी हो सकती है.

लेकिन ये फ़ैसला तभी लें जब आप निवेश करने के बाद तेज़ी की शुरुआत होने से पहले क़ीमतों में संभावित गिरावट का जोखिम उठाने के लिए तैयार हों.

Financial Rule #3: इनकम, ख़र्च का विवरण

अगर आपने हर ख़र्च को लिखने और उसे ट्रैक करने जैसा कोई काम शुरू नहीं किया है तो दूसरा तरीक़ा खोजने की कोशिश करें.

इसके बजाय, आप ये तय करने के लिए प्रतिशत का इस्तेमाल कर सकते हैं कि आपकी इनकम का कितना हिस्सा अलग-अलग ख़र्च की कैटेगरी में एलोकेट किया जाना चाहिए. अपने ख़ुद के फ़ाइनेंशियल गोल्स के आधार पर एलोकेशन पर फ़ैसला लें, लेकिन याद रखें कि पहला एलोकेशन बचत के लिए करें और फिर अपने दूसरे ख़र्चों पर काम करें.

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Financial Rule #4: 6 महीने का इमरजेंसी फ़ंड

आपको सुरक्षा देने वाले 6 महीने के इमरजेंसी फ़ंड का नुक़सान ये है कि बड़ी रक़म इस तरह से निवेश की जाएगी, जिससे दूसरे विकल्पों की तुलना में कम रिटर्न मिलेगा. असल में इमरजेंसी फ़ंड को आम तौर पर कम जोखिम वाले लिक्विड निवेशों में रखा जाता है.

साथ ही, अगर इस कॉर्पस को बनाना आपकी प्राथमिकता है, तो इस 6 महीने के कॉर्पस को बनाने में लगने वाले वक़्त में आपके दूसरे गोल्स की अनदेखी हो जाती हैं. अगर कुल रक़म या समय सीमा कठिन लगती है, तो छोटे गोल बनाएं.

कुछ वक़्त बीत जाने के बाद, या किसी ज़्यादा जरूरी गोल को पूरा करने के बाद, आप इमरजेंसी फ़ंड की ओर रुख कर सकते हैं और इसे बड़ा कर सकते हैं. साथ ही, कुछ हालात में, एक छोटा इमरजेंसी फ़ंड पर्याप्त हो सकता है. मिसाल के तौर पर, दो तुलना करने योग्य नियमित इनकम, नौकरी के मामले में ऊंची सुरक्षा और कम क़र्ज़ वाले परिवार के मामले में ऐसा संभव है. अगर आप इन मानदंडों पर ख़रे उतरते हैं, तो ये आपकी बचत को दूसरे फ़ाइनेंशियल गोल्स को पूरा करने के लिए मुक्त करता है.

Financial Rule #5: एसेट एलोकेशन नियम

कुछ बड़े एसेट एलोकेशन नियम भी हैं जो हमेशा ख़ास स्थितियों में लागू नहीं होते हैं. मिसाल के तौर पर, एक फ़ाइनेंशियल रूल ये है कि आपके पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी एक्सपोज़र का प्रतिशत आपकी उम्र को 100 या 120 से घटाकर हासिल किया जा सकता है. इसलिए अगर आप 25 साल के हैं, तो आपके पोर्टफ़ोलियो का इक्विटी एक्सपोज़र 75 फ़ीसदी (100-25) होना चाहिए. ये तरीक़ा एक युवा निवेशक को इक्विटी में ज़्यादा निवेश की अनुमति देता है, जो लॉन्ग टर्म में सबसे अच्छा रिटर्न देती है. हालांकि, अगर आपकी टिकाऊ इनकम नहीं है, तो इक्विटी जैसे निवेश आपके लिए सही नहीं हो सकते, क्योंकि आप लिक्विडिटी पर समझौता नहीं कर सकते हैं.

इक्विटी में 50 फ़ीसदी और फ़िक्स्ड-इनकम एलोकेशन में 50 फ़ीसदी निवेश करने पर, ये मुमकिन है कि आप अपने कॉर्पस का कम इस्तेमाल कर रहे हों, जबकि आप बेहतर रिटर्न के लिए ज़्यादा जोखिम उठाने की हालत में हों.

लेकिन काफ़ी हद तक, फ़ाइनेंशियल रूस आजमाए हुए और परखे हुए हैं. उन्हें अपनी विशेष स्थिति के मुताबिक़ फिर से ढालें ​​और संभावित रूप से सबसे बेहतर वित्तीय फैसले लें.

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