ओवरव्यू
वैल्यू रिसर्च फ़ंड्स को उनके पोर्टफ़ोलियो के आधार पर कड़ाई से वर्गीकृत करता है. इसमें यही सबसे अहम है.
ये टेबल ऐसे विस्तृत नियम देती है जिनके आधार पर वैल्यू रिसर्च सभी म्यूचुअल फ़ंड्स को उनके पोर्टफ़ोलियो की ख़ूबियों के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में रखता है.
VR फ़ंड कैटेगरी | पोर्टफ़ोलियो की ख़ूबियां |
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इक्विटी फ़ंड्स | |
लार्ज कैप | फ़ंड्स जो कम से कम 80% निवेश लार्ज कैप स्टॉक्स में करते हैं |
लार्ज और मिड कैप | फ़ंड्स जो कम से कम 35% निवेश लार्ज, मिड और स्मॉल कैप (हरेक) में करते हैं |
मल्टी कैप | फ़ंड्स जो कम से कम 25% निवेश लार्ज, मिड और स्मॉल कैप (हरेक) में करते हैं |
मिड कैप | फ़ंड्स जो कम से कम 65% निवेश मिड कैप में करते हैं |
स्मॉल कैप | फ़ंड्स जो कम से कम 65% निवेश स्मॉल कैप में करते हैं |
फ़्लेक्सी कैप | फ़ंड्स जो बिना किसी सीमा के लार्ज, मिड या स्मॉल कैप निवेश का कम से कम 65% इक्विटी में करते हैं |
वैल्यू-ओरिएंटेड | फ़ंड्स जो वैल्यू/ कॉन्ट्रेरियन इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी फ़ॉलो करते हैं और जिन्हें सेबी के क्लासिफ़िकेशन के मुताबिक़ ‘वैल्यू’ या ‘कॉन्ट्रा’ कैटेगरी में रखा गया है |
ELSS | ऐसे इक्विटी फ़ंड जिनका लॉक-इन पीरियड तीन साल का है और जिनमें सेक्शन 80C के तहत टैक्स की छूट मिलती है |
इंटरनेशनल | फ़ंड जो ज़्यादातर विदेशी इक्विटी में निवेश करते हैं |
सेक्टर/थीमैटिक फ़ंड्स | |
बैंकिंग | फ़ंड्स जो कम से कम 80% बैंकिंग सेक्टर में निवेश करते हैं |
इंफ़्रास्ट्रक्चर | फ़ंड्स जो कम से कम 80% इंफ़्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश करते हैं |
फ़ार्मा | फ़ंड्स जो कम से कम 80% फ़्रार्मास्युटिकल सेक्टर में निवेश करते हैं |
टेक्नोलॉजी | फ़ंड्स जो कम से कम 80% ट्क्नोलॉजी सेक्टर में निवेश करते हैं |
थीमैटिक | फ़ंड्स जो कम से कम 80% किसी ख़ास थीम में निवेश करते हैं जिसे फ़ंड्स स्कीम डॉक्यूमेंट में दिया गया है, और जिसके लिए अलग से कोई फ़ंड कैटेगरी मौजूद नहीं है |
डिविडेंड यील्ड | फ़ंड्स जो बड़े तौर पर डिविडेंड-यील्डिंग स्टॉक में निवेश करते हैं |
MNC | फ़ंड्स जो कम से कम 80% मल्टीनेशनल कंपनियों के MNC स्टॉक में निवेश करते हैं |
एनर्जी | फ़ंड्स जो कम से कम 80% ऐसी कंपनियों में निवेश करते हैं जो एनर्जी सेक्टर, जैसे पावर, ऑयल और गैस आदि की होती हैं |
PSU | फ़ंड्स जो कम से कम 80% पब्लिक सेक्टर कंपनियों में निवेश करते हैं |
कन्ज़म्शन | फ़ंड्स जो कम से कम 80% कन्ज़म्शन थीम में निवेश करते हैं |
ESG | फ़ंड्स जो कम से कम 80% ऐसी कंपनियों में निवेश करते हैं जिनमें इन्वायरमेंटल, सोशल और गवर्नेंस (ESG) का फ़ैक्टर ज़्यादा होता है |
डेट फ़ंड्स | |
लॉन्ग ड्यूरेशन | फ़ंड्स जिनकी पोर्टफ़ोलियो के स्तर पर मैकाले अवधि 7 साल से ज़्यादा होती है |
मीडियम से लॉन्ग ड्यूरेशन | फ़ंड्स जिनकी पोर्टफ़ोलियो के स्तर पर मैकाले अवधि 4 और 7 साल के बीच होती है; किसी संभावित विपरीत स्थिति के तहत - 1 से 7 साल |
मीडियम ड्यूरेशन | फ़ंड्स जिनकी पोर्टफ़ोलियो के स्तर पर मैकाले अवधि 3 और 4 साल के बीच है; किसी संभावित विपरीत स्थिति के तहत - 1 से 4 साल |
शॉर्ट ड्यूरेशन | फ़ंड्स जिनकी पोर्टफ़ोलियो के स्तर पर मैकाले अवधि 1 और 3 साल के बीच है |
मनी मार्केट | फ़ंड्स जो ऐसे मनी-मार्केट इन्स्ट्रुमेंट्स में निवेश करते हैं जिनकी मैच्योरिटी 1 साल तक हो |
लो ड्यूरेशन | फ़ंड्स जिनकी पोर्टफ़ोलियो के स्तर पर मैकाले अवधि 6 और 12 महीने के बीच है |
अल्ट्रा शॉर्ड ड्यूरेशन | फ़ंड्स जिनकी पोर्टफ़ोलियो के स्तर पर मैकाले अवधि 3 और 6 महीने के बीच है |
लिक्विड फ़ंड | फ़ंड्स जो डेट और मनी-मार्केट इन्स्ट्रुमेंट्स में निवेश करते हैं जिनकी मैच्योरिटी 91 दिनों तक हो |
ओवरनाइट फ़ंड्स | फ़ंड जो सिक्योरिटीज़ में निवेश करते हैं जिनकी मैच्योरिटी 1 दिन की हो |
डायनैमिक बॉन्ड | डेट फ़ंड्स जो कई अवधियों में निवेश करते हैं |
कॉर्पोरेट बॉन्ड | फ़ंड्स जो कम से कम 72% निवेश AA+ और इससे ऊपर के रेट वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड में करते हैं |
क्रेडिट रिस्क | फ़ंड्स जो कम से कम 58.5% निवेश AA और इससे नीचे के रेट वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड में करते हैं |
बैंकिंग और PSU डेट | फ़ंड्स जो कम से कम 72% निवेश बैंकों, PSUs, पब्लिक फ़ाइनांस इन्स्टीट्यूशन्स और म्यूनिसिपल बॉन्ड्स के डेट इन्स्ट्रुमेंट्स में करते हैं |
फ़्लोटर | फ़ंड्स जो कम से कम 58.5% निवेश फ़्लोटिंग-रेट इन्स्ट्रुमेंट्स में करते हैं (जिनमें फ़िक्स्ड रेट वाले जिन्हें फ़्लोटिंगर रेट में बदल दिया गया हो, शामिल हैं) |
गिल्ट | फ़ंड्स जो कम से कम 80% निवेश गवरमेंट सिक्योरिटीज़ में करते हैं |
लगातार 10-साल की अवधि के गिल्ट | फ़ंड्स जो कम से कम 80% निवेश गवरमेंट सिक्योरिटीज़ में करते हैं, इस तरह से कि पोर्टफ़ोलियो का मैकाले ड्यूेरेशन 10 साल हो |
FMP | पहले से तय टर्म के फ़िक्स्ड मेच्योरिटी प्लान |
टार्गेट मेच्योरिटी | एक डेट स्कीम जिसकी एक ख़ास मेच्योरिटी होती है और उन बॉन्ड्स में निवेश करती है जिनकी मेच्योरिटी संबंधित इंडेक्स के मुताबिक़ होती है. |
दूसरे | फ़ंड्स जो किसी भी मौजूदा डेट कैटेगरी में क्लासिफ़ाई नहीं होते |
हाइब्रिड फ़ंड्स | |
अग्रेसिव हाइब्रिड | फ़ंड्स जो 65-80% इक्विटी, और बाक़ी का डेट में निवेश करते हैं |
बैलेंस्ड हाइब्रिड | फ़ंड्स जो कम से कम 40-60% इक्विटी, और बाक़ी का डेट में निवेश करते हैं |
कंज़रवेटिव हाइब्रिड | फ़ंड्स जो 10-25% निवेश इक्विटी, और बाक़ी का डेट में निवेश करते हैं |
इक्विटी सेविंग्स | फ़ंड्स जो कम से कम 65% इक्विटी और इक्विटी से जुड़े निवेशों मेें, और कम से कम 10% डेट में निवेश करते हैं |
आर्बिट्राज | फ़ंड्स जो आर्बिट्राज ऑपर्च्यूनिटीज़ में निवेश करते हैं |
डायनैमिक एसेट एलोकेशन | फ़ंड्स जो इक्विटी और डेट में डायनैमिक तरीक़े से अपना एसेट एलोकेशन मैनेज करते हैं |
मल्टी एसेट एलोकेशन | फ़ंड्स जो कम से कम 3 अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करते हैं, जिसमें से हर एक में न्यूनतम 10% हो |
कमोडिटी फ़ंड्स | |
गोल्ड | फ़ंड्स जो गोल्ड में निवेश करते हैं |
सिल्वर | फ़ंड्स जो सिल्वर में निवेश करते हैं |
इन मोटे-मोटे नियमों के अलावा, कुछ सावधानियां भी हैं जिन्हें हम फ़ंड को कैटेगराइज़ करने के लिए फ़ॉलो करते हैं:
- नई कैटेगरी बनाने से बचना है, ख़ासतौर पर सेक्टोरल/थीमैटिक एरिया में, जिनमें क़रीब चार से पांच से कम फ़ंड होते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि किसी भी कैटेगरी में एक मायने रखने वाली तुलना के लिए, उसका एक तय न्यूनतम साइज़ होना ज़रूरी है. यह कई छोटी कैटेगरी बनाने से बचाता है जो सार्थक नहीं हैं. ऐसे सभी फ़ंड्स को 'थीमेटिक' कैटेगरी में रखा गया है.
- कुछ फ़ंड्स के बेसिक पोर्टफ़ोलियो की ख़ूबियां समय-समय पर बदलती रहती हैं. इन मामलों में, हम इन फ़ंड्स को एक अलग कैटेगरी में रख देते हैं, जो इस आधार पर होता है कि क्या पोर्टफ़ोलियो में किया गया ये बदलाव एक समय के दौरान लगातार बना रहने वाला हो गया है, या ये एक अस्थायी बदलाव है जो केवल कुछ महीनों तक ही रहेगा.
- कभी-कभी, किसी फ़ंड का इन्वेस्टमेंट मैंडेट ऐसा होता है कि ये किसी भी मौजूदा फ़ंड कैटेगरी में फ़िट नहीं होता. ऐसे में, हम उसे थीमैटिक' के तौर पर कैटेगराइज़ कर देते हैं अगर वो फ़ंड इक्विटी-ओरिएंटेड फंड होता है, और 'अदर' या अन्य के तौर पर कैटेगराइज़ कर दिया जाता है अगर वो एक डेट-ओरिएंटेज फ़ंड होता है. उनके यूनीक इन्वेस्टमेंट मैंडेट के चलते, इन कैटेगरी के फ़ंड्स की एक दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती.
कुछ आम सवाल (FAQs)
क्या वैल्यू रिसर्च फ़ंड कैटेगरी सेबी के क्लासिफ़िकेशन से अलग है?
हाँ वो अलग है. हमने सेबी का सिस्टम फ़ॉलो नहीं किया है.
मोटे तौर पर, हमने सेबी के ऑफ़िशियल 'फ़ोकस्ड', इंडेक्स/ETF, फ़ंड्स ऑफ़ फ़ंड्स और 'सॉल्यूशन-ओरिएंटेड' फ़ंड्स को उनके पोर्टफ़ोलियो के मुताबिक़ कैटेगरी में बांटा है. हमारा मानना है कि यह निवेशकों की ज़रूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करता है.
जो स्टैंडर्ड कैटेगरी सेबी ने इंडस्ट्री के लिए बनाई हैं उनके बजाए वैल्यू रिसर्च एक अलग फ़ंड के कैटेगराइज़ेशन क्यों फ़ॉलो करता है?
2017 के अंत में सेबी की री-कैटेगराइज़ करने की एक्सरसाइज़ से अलग-अलग फ़ंड कैटेगरी में कुछ एकरूपता आई थी. इससे पहले, किसी भी फ़ंड या किसी भी कैटेगरी की ऐसी कोई औपचारिक परिभाषा नहीं थी.
वहीं दूसरी ओर, वैल्यू रिसर्च ने अपनी स्थापना के बाद से ही फ़ंड्स को उनके पोर्टफ़ोलियो के आधार पर कैटेगराईज़ किया. इस सिद्धांत का पालन करते हुए, अलग-अलग फ़ंड बहुत अच्छी तरह से अपना रंग और रूप (अपने पोर्टफ़ोलियो के संदर्भ में) बदल सकते हैं और इसलिए जहां भी वे सबसे सटीक बैठते हैं, उसी के मुताबिक़ एक अलग सेट का हिस्सा बन सकते हैं. इसलिए, मिसाल के तौर पर, एक लार्ज-कैप फ़ंड हो सकता है जो फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड बन सकता है और दूसरे मौक़ों पर, स्मॉल-कैप फ़ंड भी बन सकता है.
एक निवेशक के तौर पर वैल्यू रिसर्च का क्लासिफ़िकेशन आपकी कैसे मदद करता है?
सेबी के रि-कैटेगराइज़ेशन ने निश्चित तौर से एक स्थिरता ला दी है जिसके साथ AMCs को किसी भी दी गए कैटेगरी में फ़ंड के लिए स्टाइल की प्योरिटी का एक हद तक लगातार पालन करना होता है. इससे निवेशकों को यह जानने में मदद मिलती है कि वे क्या कर रहे हैं. एक तरह से, सेबी द्वारा रिस्क-ओ-मीटर की शुरूआत ने इसे और भी बढ़ावा दिया.
हालाँकि, अगर आप अपने दिमाग को इस बात से आज़ाद करना चाहते हैं कि आपकी ज़रूरतें कैसे पूरी होंगी, तो आपको अपनी ख़ास ज़रूरतों पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है. वैल्यू रिसर्च की कैटेगरी आपको यही काम करने में मदद करती हैं.
मिसाल के तौर पर, मान लीजिए कि आप एक पैसिव इन्वेस्टर के तौर पर स्मॉल-कैप में निवेश करना चाहते हैं. फिर आपके लिए तर्कसंगत बात यह होगी कि S&P BSE 250 स्मॉलकैप TRI में निवेश करने वाला एक पैसिव फ़ंड स्मॉल-कैप स्पेस में दूसरे सभी फ़ंड्स के साथ तुलना कैसे करता है, न कि उनकी तुलना केवल सेगमेंट में पैसिव फ़ंड्स से की जाए.
यहां, वैल्यू रिसर्च कैटेगराइज़ेशन आपको ऐसा करने में मदद करता है. सेबी के कैटेगराइज़ेशन के साथ, आप केवल उस स्पेस के पैसिव फ़ंड्स से तुलना करेंगे, जो स्वाभाविक रूप से मानता है कि वो उस स्पेस के सभी एक्टिव फ़ंड्स से बेहतर हैं, जो ज़रूरी नहीं कि ऐसा ही हो. और एक निवेशक के रूप में, आप उन सभी में से सबसे अच्छा फ़ंड चुनना पसंद करेंगे जो आपकी ख़ास ज़रूरत के लिए मुताबिक़ हो.