क्या आपने म्यूचुअल फ़ंड में निवेश का सफ़र किसी फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र या एजेंट के ज़रिये शुरू किया है? अगर हां, तो आपका म्यूचुअल फ़ंड निवेश रेग्युलर प्लान वाला है.
लेकिन अगर आप निवेश को अच्छी तरह से समझ चुके हैं और आप अपना निवेश, रेग्युलर से स्विच करके डायरेक्ट प्लान में ले जाना चाहते हैं, तो इस बदलाव में कुछ बातों का ख़याल रखने, और इसके फ़ायदे समझने की ज़रूरत है.
रेग्युलर प्लान का एक्सपेंस रेशियो ज़्यादा है
रेग्युलर प्लान के एक्सपेंस रेशियो में म्यूचुअल फ़ंड एजेंट को दिया गया कमीशन शामिल होता है, यही कारण है कि ये डायरेक्ट म्यूचुअल फ़ंड प्लान की तुलना में ज़्यादा होता है, जो आमतौर पर क़रीब एक फ़ीसदी होता है.
ये एक प्रतिशत का आंकड़ा छोटा लग सकता है, लेकिन समय के साथ ये बड़ा नुक़सान पहुंचा सकता है.
इसका असर स्पष्ट करने के लिए, आइए 01 नवंबर, 2023 को अलग-अलग टाइम होराइज़न की ₹10,000 की SIP पर विचार करें. पिछले 10 साल में फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड्स के औसत रिटर्न (रेग्युलर के लिए 14.22 फ़ीसदी और डायरेक्ट प्लान के लिए 15.34 फ़ीसदी) का इस्तेमाल करने पर, रेग्युलर और डायरेक्ट प्लान के निवेश की वैल्यू में अंतर स्पष्ट हो जाता है.
निवेश की गई रक़म | समय | निवेश की वैल्यू (डायरेक्ट प्लान) | निवेश की वैल्यू (रेग्युलर प्लान) |
---|---|---|---|
₹6 लाख | 5 साल | ₹8.80 लाख | ₹8.56 लाख |
₹12 लाख | 10 साल | ₹ 26.79 लाख | ₹25.22 लाख |
₹18 लाख | 15 साल | ₹63.53 लाख | ₹ 57.61 लाख |
₹24 लाख | 20 साल | ₹1.38 करोड़ | ₹ 1.2 करोड़ |
जैसा कि आप देख सकते हैं, 20 साल के दौरान, ₹18 लाख तक का अंतर हो सकता है. उससे भी बड़ी बात है कि ये असमानता समय के साथ बढ़ती जाती है.
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टैक्स शामिल है पर इसे रुकावट न बनने दें
आप पूछ सकते हैं कि क्या रेग्युलर से डायरेक्ट प्लान में स्विच करने पर टैक्स नहीं लगता? तो ये समझें कि असल में, आप डायरेक्ट फ़ंड में स्विच करने से पहले अपना रेग्युलर फ़ंड बेच रहे हैं. इसलिए आपको निवेश से बाहर निकलने पर टैक्स देना होगा.
मगर इसके बावजूद आपको स्विच करना चाहिए.
जब कभी भी आप फ़ंड बेचने का फ़ैसला लेते हैं, तो आपको टैक्स चुकाना होगा. यहां तक कि अगर आप इस प्वाइंट को नज़रअंदाज़ करना चाहते हैं, तो आइए देखें कि टैक्स की मार झेलने के बावजूद डायरेक्ट फ़ंड निवेश, रेग्युलर प्लान की तुलना में कैसे आगे निकल जाएगा.
मान लीजिए कि आपने 01 नवंबर, 2013 को पराग पारिख फ़्लेक्सी कैप फ़ंड के रेग्युलर प्लान में ₹10,000 की SIP शुरू की थी. 10 साल निकलने के बाद 31 अक्टूबर, 2023 तक आपके निवेश की वैल्यू ₹30.6 लाख तक पहुंच गई है.
अब, दो स्थितियां देखते हैं - पहली, जहां आप रेग्युलर प्लान जारी रखते हैं और दूसरी, जहां आप 31 अक्टूबर, 2023 को डायरेक्ट प्लान पर स्विच कर जाते हैं - इसके नतीजे इस तरह के होंगे.
रेग्युलर प्लान | डायरेक्ट प्लान | |
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निवेश की वैल्यू (31 अक्तूबर, 2023) | ₹30.6 लाख | - |
डायरेक्ट प्लान में स्विच करने पर कर की देनदारी | - | ₹1.51 लाख |
टैक्स देनदारी के बाद इन्वेस्टमेंट की वैल्यू | ₹30.6 लाख | ₹29.1 लाख (30.6 लाख-1.51 लाख) |
रिटर्न (% सालाना) | 18.45 | 19.31 |
फ़ंड्स का कॉर्पस कब एक जैसा हो जाएगा? | 6 साल के बाद | 6 साल के बाद |
20 साल बाद इन्वेस्टमेंट की वैल्यू | ₹ 11.1 करोड़ | ₹12.2 करोड़ |
नोटः ये रिटर्न 1 नवंबर, 2013 से 31 अक्टूबर, 2023 तक के लिए पराग पारिख फ़्लेक्सी कैप फ़ंड के रेग्युलर और डायरेक्ट प्लान का लिया गया है. |
जैसा कि आप देख रहे हैं, इस बदलाव के चलते टैक्स देने के बाद भी, आपका डायरेक्ट प्लान, आपने निवेश के रिटर्न के मामले में केवल छह साल में रेग्युलर प्लान की बराबरी कर लेगा.
और अगर आप अवधि को 20 साल तक बढ़ा देते हैं, तो डायरेक्ट प्लान आपको ₹1.12 करोड़ तक अमीर बना देगा.
हमारी राय
हमारा सुझाव है कि आप डायरेक्ट प्लान पर जाने से पहले ये लेख पढ़ें.
अपने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) को कुछ साल में स्प्रेड करने के बारे में सोचें, क्योंकि हर साल केवल ₹1 लाख से ज़्यादा के फ़ायदे पर टैक्स लगता है.
साथ ही, ग्रैंडफ़ादरिंग क्लॉज़ (grandfathering clause) को भी याद रखें, जहां 31 जनवरी, 2018 तक का फ़ायदा टैक्स फ़्री रहेगा.
आप क्या करें
अगर आप अपने फ़ंड में पांच साल या उससे ज़्यादा समय के लिए निवेश की योजना बना रहे हैं, तो टैक्स का बोझ उठाएं और डायरेक्ट प्लान पर स्विच करें.
हालांकि, थोड़े समय के लिए निवेश वालों को स्विच करने की परेशानी ग़ैर ज़रूरी लग सकती है.
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