फ़र्स्ट पेज

डिविडेंड पर नई अप्रोच

आज हम बात कर रहे हैं डिविडेंड में ग्रोथ पर ध्यान देने की बड़ी वजह पर.

डिविडेंड पर नई अप्रोच

back back back
5:15

बहुत से भारतीय इक्विटी निवेशक डिविडेंड को नज़रअंदाज़ करने की ग़लती करते हैं. मेरा मतलब है कि वो इक्विटी डिविडेंड के ज़रिए पैसा पाकर ख़ुश तो होते हैं, मगर ये ख़ुशी टिकी रहने वाली दिलचस्पी में तब्दील नहीं होती. दरअसल, आमतौर पर ये पैसा उस पैसे के मुक़ाबले कहीं कम होता है, जिसकी उम्मीद अपने इक्विटी निवेश से लोग करते हैं, और वो उम्मीद है, उनके स्टॉक के दामों का आसमान छूना. शॉर्ट-टर्म ट्रेडर को छोड़ कर, किसी भी दूसरे व्यक्ति के लिए ऐसा करना बड़ी ग़लती है. एक निवेशक के तौर पर, आपका जितना भला डिविडेंड का पैसा करता है, उससे कहीं ज़्यादा भला डिविडेंड पर ध्यान देने से हो सकता है. ज़्यादातर लोगों का स्टॉक ख़रीदने का लक्ष्य उन्हें बेचना ही होता है, इसलिए डिविडेंड के तौर पर चंद पैसे इकट्ठे करना उनके एजेंडा का हिस्सा नहीं होता.

भारत एक बढ़ता हुआ देश है. मैं ये बात किसी बड़े आर्थिक संदर्भ में नहीं कह रहा हूं - हालांकि ऐसा सच में है भी - मगर मैं ये बात भारतीय इक्विटी निवेशकों की दिलचस्पी के नज़रिए से कह रहा हूं. सेंसेक्स, निफ़्टी और दूसरे बड़े इंडेक्स देखिए. इनके सभी वर्ज़न में डिविडेंड शामिल होते हैं - और ये टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) वर्ज़न है - मगर जिनका हवाला दिया जाता है और जिनका इस्तेमाल होता है, वो सीधे-सरल स्टॉक-प्राइस-बेस्ड वर्ज़न होते हैं.

जब स्टॉक के चुनाव के फ़ैक्टर के तौर पर डिविडेंड की बात हो, तो ऊंची डिविडेंड यील्ड की उम्मीद एक ज़ाहिर सी बात है. हालांकि, असल में ये काम नहीं करता, और न ही भारतीय निवेशक इस कॉन्सेप्ट पर भरोसा करते हैं. एक ऊंची डिविडेंड यील्ड और वैल्यू तय करने के दूसरे इंडीकेटर जैसे P/E का कम होना अक्सर कंपनी में किसी मुश्किल होने का संकेत होते हैं, ख़ासतौर पर हमारे जैसी ग्रोथ-ओरिएंटेड इकोनॉमी में.

हालांकि, हमारे अप्रैल 2023 के 'Wealth Insight' इशू की कवर स्टोरी एक अलग दिशा में बढ़ती है. यहां, हम निवेश के लायक़ कंपनियों के लिए, डिविडेंड से जुड़ी खासियत को एक इंडीकेटर और फ़िल्टर के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. आइडिया ये है कि निवेश के लायक़ एक मज़बूत स्टॉक के लिए डिविडेंड ग्रोथ का इस्तेमाल फ़िल्टर के तौर पर किया जाए, यानी, ऐसी डिविडेंड ग्रोथ जो लंबे समय तक बनी रहे. ये आइडिया अपने-आप में अनोखा नहीं है; असल में, इसी मैगज़ीन में हमने इसके एक वर्ज़न के बारे में क़रीब एक दशक पहले लिखा था. पर हाल ही में मैंने इसे एक क़िताब में विस्तार में और नए अंदाज़ में पढ़ा.

क़िताब का नाम है 'डिविडेंड ग्रोथ मशीन' जिसे नेथन विंकलप्लेक नाम के शख़्स ने लिखा है, जो एक इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंट और पोर्टफ़ोलियो मैनेजर हैं. ये क़िताब अमेज़न पर उपलब्ध है. इस पतली और आसानी क़िताब में विंकलप्लेक ऊंचा डिविडेंड ग्रोथ वाला स्टॉक पाने का एक अच्छा तरीक़ा सुझाते हैं. नोट करें कि यहां 'डिविडेंड ग्रोथ स्टॉक' से मतलब ऐसे स्टॉक से है जिसके डिविडेंड बढ़ रहे हों, न कि ऐसे ग्रोथ स्टॉक से, जो डिविडेंड देता है. हालांकि, ये रवैया पूरी तरह से अमरीकी व्यवहार की ख़ासियत है. अमेरिका में डिविडेंड के बारे में जागरुकता का कहीं लंबा इतिहास है, और वहां कई लंबे समय से स्थापित डिविडेंड देने वाली कंपनियां हैं जिनका भारत में कोई सानी नहीं है.

ये भी पढ़ें- कितनी बड़ी मुश्किल है डेट फ़ंड टैक्स?

तो अपने पाठकों के लिए इस कॉन्सेप्ट को काम का बनाने के लिए, मेरी टीम और मैंने इस आइडिया का एक अलग प्रकार या वेरियंट बनाया है, जो भारतीय निवेशकों और भारतीय स्टॉक के लिए ज़्यादा सही रहेगा. इसके लिए हमने एक विस्तृत तरीक़ा तैयार किया है, जो इसी कॉन्सेप्ट का इस्तेमाल करता है पर उसमें कई दूसरे फ़ाइनेंशियल फ़िल्टर भी जोड़ता है, ताकि ऐसी कंपनियों के सेट पर पहुंचा जा सके जो निवेश के लिए सही हों. हमने ऐसी दस कंपनियां ली हैं और उन पर विस्तार से चर्चा की है, और एक ऐसे सेट पर भी चर्चा की है जो क़रीब-क़रीब पूरा हो ही गया है. इस सेट में कुछ कंपनियां अनजान होंगी, और कुछ जानी पहचानी. मगर हमेशा की तरह, इस पूरी एक्सरसाइज़ को रेडी-मेड रेकमेंडेशन लिस्ट की तरह न लें - बल्कि आइडिया पैदा करने की कोशिश के तौर पर ले देखें क्योंकि रेडी-मेड लिस्ट के तौर पर हमारे पास Value Research Stock Advisor सर्विस तो है ही.

हम इस नई अप्रोच को लेकर काफ़ी उत्साहित हैं, तो आप 'Wealth Insight' के अप्रैल 2023 के इशू में पेज 33 पर जाएं और पढ़ना शुरु करें. मुझे ज़रूर बताइएगा कि आप इस विषय में क्या सोचते हैं.

ये एडिटोरियल वैल्थ इनसाइट के अप्रैल 2023 इशू में पहली बार प्रकाशित हुआ. कवर स्टोरी और दूसरी कई काम की जानकारियों के अनालेसिस, कॉलम और आर्टिकल पढ़ने के लिए.

सब्सक्राइब करें


टॉप पिक

Mutual funds vs PMS: क्या अच्छा है आपके पैसे के लिए?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

मल्टी-एसेट फ़ंड आज दूसरी सबसे बडी पसंद हैं. क्या इनमें निवेश करना चाहिए?

पढ़ने का समय 3 मिनटपंकज नकड़े

Flexi-cap vs Aggressive Hybrid Fund: ₹1 लाख कहां निवेश करें?

पढ़ने का समय 3 मिनटवैल्यू रिसर्च

क्या रिलायंस इंडस्ट्रीज़ का बोनस शेयर इश्यू वाक़ई दिवाली का तोहफ़ा है?

पढ़ने का समय 3 मिनटAbhinav Goel

माइक्रो-कैप इंडेक्स क्या स्मॉल-कैप्स से बेहतर है?

पढ़ने का समय 4 मिनटPranit Mathur

स्टॉक पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

समय, व्यावहारिकता और निराशावाद

पूंजी बनाने के लिए ज़्यादा बचत करना और ज़्यादा लंबे समय तक बचत करना, क्यों बहुत ज़्यादा रिटर्न पाने की उम्मीद से बेहतर है.

दूसरी कैटेगरी