Long-term capital gains - mutual funds sale: अगर मुनाफ़ा ₹1 लाख से कम है, तो मैं समझता हूं कि मुझे कोई टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन क्या मुझे रिटर्न फ़ाइल करने के दौरान इसे रिपोर्ट करने की ज़रूरत है या फ़िर इसका ज़िक्र करने की ख़ास ज़रूरत नहीं है? - सब्सक्राइबर
अगर आपको टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने की ज़रूरत है, तो आपको अपने कैपिटल गेन का उल्लेख करना होगा. लेकिन, इस पर और भी बहुत कुछ जानने-समझने की ज़रूरत है.
अगर इक्विटी में आपका निवेश है, जैसे कि लिस्टिड शेयर या म्यूचुअल फ़ंड की यूनिट्स, जो कई साल से आपके पास है, तो उससे मिले मुनाफ़े को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है. लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर ₹1 लाख तक की छूट मिलती है, और अगर मुनाफ़ा इससे ज़्यादा हो, तो 10 प्रतिशत तक का टैक्स लगता है.
अगर आप इन्कम टैक्स रिटर्न (ITR) फ़ाइल करते हैं, तो आपको ऐसे मुनाफ़े को रिपोर्ट करना होगा. असल में, अगर ये जानकारी आपके एनुअल इन्फ़ॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में पहले से मौजूद है, तो टैक्स रिटर्न में पहले ही भरी हुई होगी.
इस मुनाफ़े को रिपोर्ट न करने का केवल एक ही अपवाद है और वो उस स्थिति में होता है जब आपको टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने की ज़रूरत ही न हो. ऐसा तभी होता है जब आपकी कुल आमदनी, टैक्स पर लागू छूट की बुनियादी सीमा (Basic exemption limit) से कम हो. पुरानी टैक्स रिज़ीम के तहत मूल छूट की सीमा, सीनियर सिटीज़न के लिए ₹3 लाख, सुपर सीनियर सिटीज़न के लिए ₹5 लाख, और दूसरों के लिए ₹2.5 लाख है. नई टैक्स रिज़ीम के तहत अब ये सभी के लिए ₹2.5 लाख है.
अगर आपने अपनी छूट की बुनियादी सीमा (Basic exemption limit) का पूरा इस्तेमाल नहीं किया है, तो इस्तेमाल नहीं किए गए हिस्से को कैपिटल गेन के टैक्स वाले हिस्से को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, फिर चाहे ये लॉन्ग-टर्म हो या शॉर्ट टर्म.
बेहतर तरीक़े से समझने के लिए, आइए तीन अलग-अलग स्थितियों को देखते हैं. हम ये मान लेते हैं कि आप पर लागू होने वाली छूट की बुनियादी सीमा (Basic exemption limit) ₹3 लाख है.
डिटेल (₹) | केस 1 | केस 2 | केस 3 |
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ग्रॉस टोटल इनकम (कैपिटल गेन छोड़कर) | 4,00,000 | 4,00,000 | 2,50,000 |
धारा 112A के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन, | 75000 | 1,50,000 | 2,00,000 |
ग्रॉस टोटल टैक्सेबल इनकम | 4,75,000 | 5,50,000 | 4,50,000 |
टैक्स लायबिलिटी | 8750 | 10000 | 5000 |
धारा 87A के तहत रिबेट | 8750 | - | - |
नेट टैक्स लायबिलिटी | - | 10000 | 5000 |
केस-1: क्योंकि टैक्स के दायरे में आने वाली आपकी आमदनी ₹5 लाख से कम है, तो आप सेक्शन 87A के तहत छूट (rebate) पाने के हक़दार हैं, और आपकी टैक्स की देनदारी ज़ीरो होगी.
केस-2: अगर आपकी टैक्स के दायरे में आने वाली आमदनी ₹5 लाख से ज़्यादा है, तो आप छूट (rebate) नहीं पाएंगे. साधारण आमदनी (normal income) के स्लैब रेट के मुताबिक़ टैक्स लगाया जाएगा. [(4,00,000 - 3,00,000) का 5% = ₹5,000] और ₹1 लाख से ज़्यादा के मुनाफ़े के लिए लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 10% का टैक्स लगाया जाएगा [10%] (1,50,000 - 1,00,000) = ₹5,000].
केस-3: अगर आपकी टैक्स के दायरे में आने वाली आमदनी पर छूट, बुनियादी सीमा (Basic exemption limit) से कम है, और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन ₹1 लाख से ज़्यादा है. तो फिर, बुनियादी छूट की सीमा का इस्तेमाल न होने वाला हिस्सा, यानी, ₹50,000 (3,00,000 - 2,50,000), का उपयोग, आपके लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन के हिस्से को ₹50,000 तक कम करने के लिए किया जा सकता है, जिस पर आपको 10% टैक्स, यानी ₹5,000 का भुगतान करना होगा.
ऊपर बताई गई तीनों स्थितियों में आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न में कैपिटल गेन के तौर रिपोर्ट करना होगा.
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