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मार्केट का अप-डाउन और आपका इन्वेस्टमेंट

मार्केट साइकल नहीं समझे तो नुक़सान झेलना होगा

मार्केट का अप-डाउन और आपका इन्वेस्टमेंट

अगर आप महंगाई को बेअसर करने के साथ ही अपना पैसा बढ़ाना चाहते हैं, तो इसका एकमात्र विकल्प मार्केट है. बैंक FD और दूसरे किसी तरीक़े के निवेश में ऐसा करना संभव नहीं है. ज़ब मार्केट में निवेश करके आप असल रिटर्न हासिल कर सकते हैं, तो मार्केट से परहेज़ करना समझदारी नहीं कही जा सकती. हां, ये ज़रूर है कि मार्केट में निवेश से पहले मार्केट के अप-डाउन यानी उतार-चढ़ाव को अच्छी तरह से समझ लें. वरना ये अप-डाउन आपकी रातों की नींद उड़ा सकता है और होगा यही कि पहली फुर्सत में आप अपना निवेश बेच कर रफ़ूचककर हो जाएंगे. वो भी नुकसान उठा कर.

मार्केट का अप-डाउन समझने से पहले, आपको मार्केट साइकल जानना होगा. मार्केट साइकल यानी मार्केट का पूरा चक्र.
मार्केट साइकल क्‍या है

मार्केट का अप-डाउन और आपका इन्वेस्टमेंट

मार्केट साइकल, स्‍टॉक मार्केट में लगातार चलते उतार-चढ़ाव के पैटर्न को कहा जाता है. इकोनॉमिक ग्रोथ, इन्‍वेस्‍टर के भरोसे जैसी बातों से ये मार्केट साइकल प्रभावित होते हैं.

आमतौर पर मार्केट साइकल की 4 स्‍टेज होती हैं.

विस्‍तार (Expansion)
विस्‍तार, यानी अर्थव्यवस्था का फैलना. स्‍टॉक और दूसरे एसेट्स की वैल्‍यू जब बढ़ रही हो, और मार्केट में सकारात्मक नज़रिया हो.

ऐतिहासिक ऊंचाई (Peak)
मार्केट साइकल अपने चरम पर या टॉप पर हो, तो उसे इसकी मार्केट की ऐतिहासिक ऊंचाई या peak कहा जाता है. यहां पर क़ीमतें अपने चरम पर होती हैं और निवेशक मार्केट को लेकर काफ़ी सकारात्मक होते हैं.

सिकुड़ना (Contraction)
ऐसा तब होता है तब मार्केट गिरना शुरू हो जाता है.इसके साथ ही क़ीमतों में भी गिरावट शुरू हो जाती है. मार्केट में निवेशकों का भरोसा घटने लगता है, और डर, तथा अनिश्चितता का माहौल बन जाता है.

1. गर्त में मार्केट (Market in the pits)
यह मार्केट साइकल का सबसे निचला स्‍तर होता है,जहां स्टॉक या शेयर की क़ीमतें एकदम नीचे चली जाती हैं. इस स्थिति में निवेशकों का रवैया बेहद निराशा वाला होता है.

एक मार्केट साइकल, कुछ महीने से लेकर कई साल तक चल सकती है. इसपर असर डालने वाले कई तरह के फैक्‍टर होते हैं.

मार्केट साइकल समझना क्यों ज़रूरी है?
अब सवाल है कि एक निवेशक के लिए मार्केट साइकल समझना क्‍यों जरूरी है. इससे उसे क्‍या फ़ायदा होगा. जवाब ये है कि मार्केट साइकल को समझ कर निवेशक रिस्‍क को ज़्यादा बेहतर तरीक़े से मैनेज कर सकता है. मुनाफ़ा कमाने के मौक़ों की पहचान कर सकता है और रिटर्न की उम्‍मीदों को असलियत के क़रीब रख सकता है. निवेशक अगर जान जाता है कि हम मार्केट साइकल में इस समय कहां हैं, तो वह निवेश के बारे में बेहतर फ़ैसले लेकर, अपने लंबे समय के इन्‍वेस्‍टमेंट के लक्ष्य को हासिल कर सकता है.


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