वैल्यू रिसर्च प्रीमियम

दो तरह के एलोकेशन

क्या आपका एसेट एलोकेशन और आपका अटेंशन एलोकेशन एक जैसे हैं? हम इसमें मदद कर सकते हैं.

दो तरह के एलोकेशनAnand Kumar

जब बात म्यूचुअल फ़ंड इन्वेस्टिंग की हो, तो हममें से ज़्यादातर लोग अपने लिए एक समस्या खड़ी करते हैं और वो ये कि हम फ़ंड के चुनाव को निवेश का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं. असल में, सबसे महत्वपूर्ण ही नहीं बल्कि इसे सबसे पहले किया जाने वाला काम भी समझते हैं. म्यूचुअल फ़ंड निवेश की पूरी क़वायद ही फ़ंड को चुनने तक सिमट कर रह जाती है. बदक़िस्मती से, यहीं से असफल होने की शुरुआत होती है, और अगर सफलता मिलती भी है, तो ये भाग्य से मिलने वाली सफलता होती है और ऐसे में हम नहीं जानते कि हम क्यों और कैसे सफल हुए हैं. ये तो सिर्फ़ क़िस्मत की बात हो जाती है.

निवेश के एक छोटे से हिस्से को लेकर हमारा ये अजीब सा जुनून, हमारा ज़रूरत-से-ज़्यादा ध्यान ऐसी जगह पर लगा देता है, जिसका हमारे निवेश में बहुत कम रोल होता है. मैंने इस समस्या के बारे में तब सोचना शुरू किया जब कुछ महीने पहले, जैरी साइनफ़ील्ड के कॉमेडी शो का एक क्लिप देखा. उस क्लिप में साइनफ़ील्ड ने कुछ इस तरह कहा था, "अब तक जो सबसे डरावना काम मैंने किया है वो स्काई-डाइविंग है. जो लोग स्काई-डाइविंग करते हैं उनसे मैं एक सवाल पूछता हूं. स्काई-डाइविंग में हेल्मेट का क्या काम है?" तो, अगर आप एक प्लेन से डाइव करते हैं और पैराशूट नहीं खुला, तो हैल्मेट आपके किस काम का है? इस बात पर हंसी आती है, और जब मैं म्यूचुअल फ़ंड निवेश के बारे में सोचता हूं, तो उसके साथ इसकी एक समानता भी है, और ये समानता है एसेट एलोकेशन.

एक सफल निवेशक होने के लिए, एसेट एलोकेशन और ‘अटेंशन एलोकेशन’ के बीच समानता होनी चाहिए. और ‘सफल’ होने से मेरा मतलब है, अपने आर्थिक लक्ष्य को पा लेना.

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वैल्यू रिसर्च पब्लिकेशंस के पाठक के तौर पर, आपने अक्सर एसेट एलोकेशन के बारे में सुना होगा, मगर शायद ‘अटेंशन एलोकेशन’ आपके लिए एक नया कॉन्सेप्ट हो. तो इसे समझाने दीजिए. आपका एसेट एलोकेशन आपके पैसे के एक हिस्सा होता है जो आपने अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश किया होता है, चाहे सीधे तौर पर या फिर म्यूचुअल फ़ंड के ज़रिए, जैसे इक्विटी, FD, गोल्ड, रियल एस्टेट, PF आदि. आपका अटेंशन-एलोकेशन आपकी सोच और चिंताओं का एक पैटर्न है, जो आप इनमें से हर एक निवेश के लिए महसूस करते हैं. जहां तक मैने देखा है, ज़्यादातर भारतीयों का इक्विटी (सीधे तौर पर और इक्विटी-आधारित म्यूचुअल फ़ंड्स दोनों) एसेट एलोकेशन बहुत कम होता है और अटेंशन एलोकेशन बहुत ज़्यादा.

इसका एक केस, मेरे एक पुराने जानकार हैं जो कुछ ही साल में रिटायर होने वाले हैं और मेरे पास फ़ाइनेंशियल एडवाइस के लिए आए. वो जिन इक्विटी फ़ंड में निवेश करने वाले थे उनके चुनाव और उनसे ज़्यादा-से-ज़्यादा फ़ायदा लेने को लेकर पूरी तरह से फ़ोकस्ड थे. जब मैंने विस्तार से पूछा, तो पता चला कि उनका तीन-चौथाई पोर्टफ़ोलियो, जो एक करोड़ रुपए से ऊपर का था, वो फ़िक्स्ड इनकम में था, और PF तथा दूसरे कई फ़िक्स्ड डिपॉज़िट में फैला हुआ था. और ये मैं सिर्फ़ फ़ाइनेंशियल एसेट्स की ही बात कर रहा हूं, इसमें उनका अपार्टमेंट शामिल नहीं है.

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एक और, ऐसा ही केस उस निवेशक का है, जिसने धनक/ वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन के सवाल जवाब वाले सेक्शन में हमसे एक सवाल पूछा. उसके कुल एसेट में से क़रीब ₹6.8 लाख के इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स थे, क़रीब ₹74 लाख फ़िक्स्ड डिपॉज़िट में थे, और कम-से-कम ₹2 करोड़ रिएल एस्टेट में लगे थे. मगर, उसकी चिंता और सलाह की मांग सिर्फ़ उसके इक्विटी फ़ंड्स को लेकर थी, जो उसकी कुल संपत्ति का क़रीब 4 फ़ीसदी ही बैठता था. वो चाहे जितना भी अच्छा फ़ायदा हासिल करने की कोशिश कर लें, उसके इक्विटी में निवेश पर कोई ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला था – चाहे सबसे अच्छे फ़ंड से सबसे ख़राब फ़ंड में स्विच कर जाते (या इसका उलटा) मगर फिर भी उनकी कुल सपंत्ति पर कोई बड़ा असर पड़ने वाला नहीं था.

ये कुछ ज़्यादा ही अति वाली मिसालें लग सकती हैं मगर मेरे अनुभव में, ज़्यादातर यही होता है. ज़्यादातर भारतीय जिनका थोड़ा भी इक्विटी का एक्सपोज़र है, वो ऐसा ही कुछ कर रहे हैं. एक तरह से, ये रवैया समझ में भी आता है. इक्विटी-आधारित निवेश में ज़्यादा काम करना पड़ता है. जानकारियां लगातार आ रही होती हैं और इक्विटी-आधारित निवेशों में लिक्विडिटी भी बनी ही रहती है.

अगर आप अपने एसेट एलोकेशन का भी ऑडिट करेंगे, तो शायद आपको भी बहुत थोड़ी सी चीज़ के लिए बहुत ज़्यादा चिंता का पैटर्न नज़र आ जाएगा. अब सवाल ये है कि आप ये ऑडिट कैसे करें कि ये दोनों ही बातें एक स्तर पर आ सकें? इसका जवाब है धनक प्रीमियम.

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हालांकि पिछले दो दशकों से, वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन की नॉन-प्रीमियम सर्विस आपको ये दिखाती रही है कि इक्विटी बनाम फ़िक्स्ड-इनकम में आपके फ़ंड्स और स्टॉक का ब्रेकअप क्या है. पर, प्रीमियम सर्विस इसे और भी आगे ले जाती है और आपको तीन-तरह की बातें बताती है:

  • आपका असल एसेट एलोकेशन
  • आपका आदर्श एसेट एलोकेशन, जिसे आपके लक्ष्यों के मुताबिक़ होना चाहिए और इसलिए..
  • आपका अटेंशन एलोकेशन!

इससे ये पक्का हो जाता है कि जिस दिशा में आप जा रहे हैं उसकी असलियत और आपके एलोकेशन के दिलचस्प हिस्सों पर बहुत ज़्यादा ध्यान देने के लोभ के बीच एक समन्वय बना रहे.

एसेट एलोकेशन तो सिर्फ़ एक पहलू है जो आपको धनक वैल्यू रिसर्च पर मिल जाएगा – मगर प्रीमियम सर्विस आपको इस बुनियादी ख़ूबी से कहीं आगे ले जा सकती है. प्रीमियम को तैयार करने का कारण ही यही था कि कई सालों से, मैंने देखा कि हमारे कई मेंबर्स के लिए हमारी ये बुनियादी ख़ूबी ही काफ़ी नहीं थी.

तो, आपको प्रीमियम मेंबरशिप लेने के बारे में सोचना चाहिए, अगर:

  • आप पक्का करना चाहते हैं कि आप अपने जीवन के आर्थिक लक्ष्य हासिल करें,
  • आप पक्का करना चाहते हैं कि आपके म्यूचुअल फ़ंड निवेश आपके लक्ष्यों तक ज़रूर पहुंचें, और
  • तमाम रिसर्च और निवेश के लिए किए जाने वाले काम ख़ुद करने के लिए आपके पास समय नहीं है.

एक सही ‘अटेंशन एलोकेशन’ ऐसी ही चीज़ है जो हम आपके लिए बख़ूबी कर सकते हैं; और तब जो असल में होगा वो ये कि आपका सारा अटेंशन, आपके जीवन के आर्थिक लक्ष्यों पर बना रहेगा.

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