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डायरेक्‍ट और रेग्‍युलर प्‍लान में अंतर

धीरेंद्र कुमार का कहना है कि सबके अपने अपने फायदे और नुकसान हैं। आपको फैसला अपनी जरूरत के हिसाब से करना चाहिए

डायरेक्‍ट और रेग्‍युलर प्‍लान में अंतर

मैं अब खुद से निवेश कर सकता हूं और मुझे डिस्‍ट्रीब्‍यूटर नहीं चाहिए। उसी फंड के रेग्‍युलर से डायरेक्‍ट फंड पर शिफ्ट होने के फायदे या नुकसान क्‍या हैं। मैं यह कैसे कर सकता हूं। और क्‍या यह फायदेमंद होगा ?

इंद्रानील हलदर
डायरेक्‍ट प्‍लान में आपकी थोड़ी रकम बचती है और अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो यह छोटी बचत बड़ी रकम बन जाती है। यानी 15 से 20 की अवधि में निवेश करने पर कम खर्च की वजह से आधा या 1 फीसदी ज्‍यादा रिटर्न रेग्‍युलर प्‍लान की तुलना में आपका फायदा है। हालांकि अगर आपका एडवाइजर काफी फ्रेंडली था और आपको अच्‍छी सलाह देता था तो यह आपका नुकसान होगा क्‍योंकि आगे आपको यह सलाह नहीं मिल पाएगी।

वहीं अगर अब भी आपका निवेश पेपर पर आधारित है और बहुत व्‍यवस्थित निवेशक नहीं है तो आपका डिस्‍ट्रीब्‍यूटर या निवेशक सारे पेपरवर्क करेगा और जब आप निवेश बेचना चाहेंगे या मैंडेट, एड्रेस या नॉमिनी में बदलाव के लिए जरूरी सभी औपचारिकताएं पूरी करेगा। हालांकि अब ऑनलाइन सुविधा के साथ यह सब करना बहुत आसान हो गया है। ऐसे में अगर आप व्‍यवस्थित निवेशक हैं और अपना निवेश बिना किसी सहायत के मैनेज कर सकते हैं तो आप जरूर रेग्‍युलर से डायरेक्‍ट प्‍लान पर शिफ्ट करें।

अब बात आती है कि कैसे करें। तो आजकल बहुत से नए प्‍लेटफॉर्म आ गए हैं जिनके जरिए आप यह काम आसानी से कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपनी म्‍युचुअल फंड कंपनी से रेग्‍युलर प्‍लान से डायरेक्‍ट प्‍लान पर शिफ्ट करने के लिए अनुरोध कर सकते हैं। कंपनी को इसके लिए आपके सारे निवेश को भुनाना होगा और फिर सारी रकम को डायरेक्‍ट प्‍लान में निवेश करना होगा। इस तरह से आपका निवेश रेग्‍युलर प्‍लान से डायरेक्‍ट प्‍लान में शिफ्ट हो जाएगा। ऐसा करते हुए आप दो चीजों के लिए जिम्‍मेदार होंगे और आपको इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए।

पहली चीज है कि आपको शार्ट टर्म या लॉग टर्म कैपिटल गेन का सामना करना पड़े। ऐसा करते हुए आपको लॉग टर्म कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स चुकाना पड़ सकता है। यह टैक्‍स एक बार ही चुकाना पड़ता है। वैसे भी जब भी आप अपना निवेश भुनाते तो यह आपको चुकाना पड़ता है। वैसे इस समय यह काम करने का अचछा समय है। क्‍योंकि बाजार में गिरावट की वजह से कैपिटल गेन्‍स गायब हो चुका होगा। दूसरी बात यह है कि ज्‍यादातर इक्विटी और बैलेंस्‍ड फंड एक साल के अंदर फंड बेचने पर एग्जिड लोड चार्ज करते हैं। ऐसे में हाल में आपने एसआईपी में जो रकम जमा की होगी उस पर एग्जिट लोड लग सकता है तो आपको इस बात को भी ध्‍यान में रखना चाहिए।

अगर आपका कुछ निवेश एक साल से कम पुराना है तो आप इसे न भुनाएं और बाकी निवेश शिफ्ट करें। इस तरह से आप एग्जिट लोड से बच सकते हैं। औ बाद में जब आपका यह नया निवेश पुराना हो जाए तो इसे डायरेक्‍ट प्‍लान में शिफ्ट कर दें। इस तरह से आप एग्जिट लोड की रकम बचा सकते हैं। यह आपके लिए फायदेमंद है क्‍योंकि निवेश का खर्च कम होने से आपका रिटर्न बढ़ता है।

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