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रिटायरमेंट के बाद का संकट

रिटायरमेंट के बाद निवेश का प्रबंधन और इनकम हासिल करना अब भी पर्सनल फाइनेंस में सबसे बड़ी समस्‍या है। लेकिन इसकी जरूरत नहीं है

रिटायरमेंट के बाद का संकट

मैं बचत और निवेश से जुड़े मसलों पर बहुत से सवालों का जवाब देता हूं। ऐसा करते हुए रिटायरमेंट प्‍लानिंग से जुड़ा एक सवाल मुझझे बहुत परेशान कर देता है। यह सवाल रिटायरमेंट के बाद आय और खर्च का प्रबंधन करने को लेकर है। वास्‍तव में जब मैं रिटायरमेंट के बाद आय को लेकर पूछे गए उम्रदराज लोगों के सवाल पढ़ता हूं तो मुझे एक तरह का दर्द महसूस होता है। इसकी वजह यह है कि जब आप युवा हैं और कमा रहे हैं तो बचत और निवेश की गलतियों को थोड़े धैर्य और कुछ समय की मुश्किल के साथ ठीक कर सकते हैं। लेकिन एक उम्रदराज व्‍यक्ति के लिए कभी कभी बड़े संकट से बचना मुश्किल हो जाता है।

इस समस्‍या की सबसे बड़ी वजह यह है कि बड़े पैमाने पर लोग मानते हैं कि रिटायरमेंट के बाद आपके पास जो भी रकम है उस रकम को 100 फीसदी सुरक्षित असेट क्‍लास में निवेश करना चाहिए। और यह आवश्‍यक तौर पर फिक्‍स्ड इनकम डिपॉजिट या इसी तरह की कोई स्‍कीम होनी चाहिए।

साफ है कि ऐसा हर मामले में सच नहीं हो सकता है। अगर किसी के पास बचत के तौर पर अच्‍छी रकम है तब भी रिटायरमेंट प्‍लानिंग में सबसे बड़ी समस्‍या यह होती है कि महंगाई बढ़ेगी तो इसी हिसाब से आपका खर्च बढ़ेगा तो इसकी भरपाई कैसी होगी। अगर भारत में महंगाई की दर सालाना दो या तीन फीसदी होती तो रिटायरमेंट के बाद आय और खर्च का प्रबंधन करना कोई बड़ी बात नहीं थी। लेकिन हकीकत यह है कि महंगाई हमारी बचत को तेजी से खाती जा रही है। रुपए की खरीद क्षमता हर साल घटती जा ही है। 25 साल की औसत अवधि में जब एक रिटायर हो चुके व्‍यक्ति को आय की जरूरत होती है उस अवधि में कीमतों में पांच गुना तक इजाफा हो सकता है।

अगर आज आपको मासिक खर्च के लिए हर माह 50,000 रुपए की जरूरत है तो दस साल बाद हर माह 1 लाख रुपए की जरूरत होगी। 15 साल के बाद 1.3 लाख रुपए और 20 साल के बाद हर माह 1.8 लाख रुपए की जरूरत होगी। इसके लिए आपको न सिर्फ रिटायरमेंट कॉर्पस से आपको ज्‍यादा रकम निकालने की जरूरत होगी बल्कि आपको बची पूंजी को भी बढ़ाने की जरूरत होगी जिससे आप अपनी बढ़ती जरूरतों के लिए रकम निकाल सकें और आपकी पूंजी खत्‍म भी न हो। इस समस्‍या का समाधान करना इतना आसान भी नहीं है।

वैल्‍यू रिसर्च में हम इस बात का आंकलन करने के लिए आप रिटाटयरमेंट के बाद के सालों में कुल पूंजी में से हर साल कितनी रकम निकाल सकते हैं एक बहुत सरल नियम का पालन करते हैं। और इस नियम का विचार समझना बहुत आसान है। महंगाई को ध्‍यान में रखते हुए सही रकम निकालने के लिए आपको उतनी ही रकम निकालनी चाहिए जितनी रकम आपकी बचत ने महंगाई दर से ऊपर कमाई है। इस पर गौर करें। अगर आपकी अचत पर 8 फीसदी रिटर्न मिला है महंगाई दर 6 फीसदी है तो आप साला 2 फीसदी रकम ही निकाल सकते हैं। इससे कम से कम आपकी रकम महंगाई के हिसाब से बढ़ती रहेगी और आपको बुढ़ापे में गरीबी के जाल में नही फंसना पड़ेगा।

एक फीसदी का मतलब है कि 50,000 रुपए महीना मौजूदा खरीद क्षमता को बनाए रखने के लिए आपको 3 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। ओर यह बहुत बड़ी रकम है। अब आप किसी सुरक्षित डिपॉजिट में निवेश करने के विचार के बारे में सोचें और यह भी सोचें कि इस तरह से निवेश करने से आपको कितनी रकम मिल पाएगी। तब आप समस्‍या को समझ पाएंगे। और महंगाई दर पर गौर करें। सिर्फ उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक पर नहीं। वास्‍तविक महहंगाई पर जिसका सामना आपको जीवन में करना पड़ता है। इसके बाद इसकी तुलना मौजूदा समय में मिल रहे एफडी रेट या इसी तरह की दूसरी स्‍क्‍ीमों पर मिल रहे इंटरेस्‍ट रेट से करें।


आप पाएंगे कि दोनों के बीच जो अंतर है वह बचत करने वाले के लिहाज से बहुत बुरा है। और यह आम तौर पर नकारात्‍मक होता है। निवेश के इस तरह के विकल्‍पों में उपभोक्‍ता महंगाई दर से अधिक शायद ही कुल मिलता है। ऐसे में अगर आप महंगाई से ऊपर की आय इस्‍तेमाल करने के विचार पर अमल करते हैं तो आप बैक डिपॉजिट से शायद कुछ भी नहीं निकाल पाएंगे। तो ऐसे मामले में वास्‍तविक वैल्‍यू की बात करें तो आपकी रकम बिल्‍कुल भी नहीं बढ़ रही है।


यही वजह है कि मैंने हमेशा कहा है कि रिटायरमेंट के बाद आय के लिए रकम का एक हिस्‍सा इक्विटी में निवेश करना चाहिए। निश्चित तौर पर आप पूरी रकम इक्विटी में नहीं लगा सकते हैं क्‍योंकि यहां कम अवधि में उतार चढ़ाव बहुत तेज होता है। ऐसे में हाइब्रिड फंड एक बेहतर विकल्‍प हैं। पिछले दो दशकों में अगर किसी ने हाइब्रिड फंड में निवेश किया होता तो रिटायरमेंट के बाद आय के लिए वह सालाना 4 फीसदी रकम निकाल सकता था। हालांकि यह इस बात की गारंटी नहीं है कि भविष्‍य में भी ऐसा जरूर होगा। क्‍योंकि किसी भी निवेश प्‍लान में कोई गारंटी नहीं होती है।


यह जरूर है कि इस तरह से आप महंगाई के असर को मात दे सकते हैं। आपको याद रखना होगा कि विद्ड्रॉअल रेट कोई तय रिटर्न नहीं जिसके आप हकदार हैं। शुरूआती सालों में बेहतर है कि आप कम से कम रकम निकालें। इससे रकम को बढ़ने का मौका मिलेगा और आने वाले सालों में आपके लिए हालात बेहतर होंगे। बचत करने वाले अक्‍सर पूछते रहते हैं कि आपकी रिकमेंड की गई रकम से कुछ ज्‍यादा नहीं निकाल सकते कया।

तो मेरा जवाब हमेशा यही रहता है कि आप भविष्‍य के साथ सौदेबाजी नहीं कर सकत हैं। बेहतर है कि आपके हाथ में कुछ रहे। बचत से जुड़े सभ्‍ी फैसलों में यह सबसे बेहतर सिद्धांत है। और रिटायरमेंट के बाद यह सबसे जरूरी भी है।


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