फाइनेंशियल गोल सबका होता है लेकिन शायद ही कोई इसकी प्लानिंग पर समय खर्च करता है। अंबिका एन मेनन इसका अपवाद हैं। उन्होंने रकम निवेश करने से पहले निवेश के विकल्प को समझने की अहमियत पर गौर किया। नए निवेशक के तौरअ पर उन्होंने भी फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह पर वेश करना शुरू किया था। अपने लेटर में अंबिका एन मेनन हमसे अपनी निवेश यात्रा साझा कर रही हैं। पेश है लेटर के संपादित अंश।
केरल की निवासी होने की वजह से ज्यादातर मेरे रिश्तेदार डॉक्टर या इंजीनियर हैं। वहीं मेरे माता पिता, मैन्यूफैक्चरिंग सॉल्वेट सीमेंट का छोटा बिजनेस चलाते थे। बिजनेस में मेरी हमेशा दिलचस्पी रही क्योंकि घर पर इसके बारे में हमेशा बातचीत होती रहती थी। इसकी वजह से मैने चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का फैसला किया। जिससे टैक्स प्लानिंग और अकाउंटिंग के लिए बाहरी लोगों पर हमारी निर्भरता कम हो सके। सीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2004 में मैंने एक विदेशी बैंक में काम करना शुरू कर दिया।
फाइनेंस से जुड़ा एजुकेशनल बैंकग्राउंड होने के बावजूद मुझे म्युचुअल फंड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। मैंने पहला निवेश 2005 में रिलायंस इक्विटी स्कीम में किया था। सिर्फ इसलिए क्योंकि मेरे साथी इसमें निवेश कर रहे थे। 2008 तक विभिन्न एएमसी के जरिए छह स्कीमों में निवेश किया। इसी साल वैश्विक मंदी का झटका काया और मेरे निवेश की वैल्यू आधी रह गई। वित्तीय मामलों की गहरी समझ रखने वालों सहित सबने और नुकसान होने से पहले मुझे मेरा निवेश भुनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा अभी आपको इक्विटी में निवेश करने की जरूरत नहीं है और अगर आप रकम को घर में नहीं रखते हैं तो आपको लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न मिलेगा। उस समय मुझे यह सब ठीक लगा और मैंने रेकरिंग डिपॉजिट शुरू करने के बारे में सोचा। मैं उस समय डर गई और मैंने म्युचुअल फंड से सारी रकम निकाल कर सिर्फ एफडी में निवेश करने का फैसला किया। लेकिन मेरे पिता ने अपने अनुभव के आधार पर मुझे निवेश बनाए रखने के बारे में सलाह दी। मुझे खुशी है कि मैंने उनकी बात सुनी।
मेरे पति म्युचुअल फंड के उत्साही निवेश हैं और उन्होंने वैल्यू रिसर्च फॉलो करने की सलाह दी। 2014 में मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी और इसके बाद से मैंने नियमित तौर पर वैल्यू रिसर्च फॉलो करना शुरू कर दिया। कभी नहीं से देरी अच्छी होती है यह मेरे लिए आंख खोलने वाला अनुभव रहा। मुझे वैल्यू रिसर्च के बारे में सबसे अच्छी बात यह लगती है कि इसमें बहुत सरल शब्दों का इस्तेमाल होता है। मैंने यहां असेट अलॉकेशन, उपलब्ध अलग अलग विकल्पों और फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में डेट म्युचुअल फंड में निवेश के फायदों के बारे में काफी कुछ सीखा। समय के साथ धीरे धीरे मैंने अपनी एफडी डेट फंड में शिफ्ट की और मेरी फैमिली के लिए टैक्स बचाने के लिहाज से प्लानिंग करना शुरू कर दी।
आज मेरी होल्डिंग में लार्ज कैप और मिड कैप और वैल्यू फंड से लेकर डेट फंड के मिक्स के छह फंड शामिल है। मेरी मौजूदा होल्डिंग में एबीएसएल टैक्स रिलीफ 96, एबीएसएल प्योर वैल्यू, रिलायंस फोकस्ड इक्विटी अब निपॉन इंडिया फोकस्ड इक्विटी हो गया है, रिलायंस फोकस्ड इक्विटी जो अब निपॉन इंडिया फोकस्ड इक्विटी हो गया है, यूटीआई मास्टरशेयर, मीरे असेट इमर्जिंग ब्लूचिप, एसबीआई कंजम्पशन आपरच्युनिटीज, एबीएसएल क्रेडिट रिस्क फंड और यूटीआई क्रेडिट रिस्क फंड शामिल हैं।
मुझे यह स्वीकार करना पड़ेगा कि महंगा फोन, कार या अक्सर छुट्टियों पर जाने का मन सबका करता है। लेकिन अपने खर्च का प्रबंधन अच्छी तरह से करना और अपनी निवेश को बनाए रखना फाइनेंशियल प्लानिंग का अहम हिस्सा है। जब मैंने देखा कि मेरे सीनियर वित्तीय स्थिरता के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो मुझे सटीक प्लानिंग और लंबी अवधि में कंपाउंडिंग की ताकत आपको कहां ले जा सकती है यह समझ आया। अब भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो रकम बनाने के लिए रियल एस्टेट को निवेश का एक अहम विकल्प मानते हैं। वे प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए लोन लेने से भी पीछे नहीं हटते हैं। प्रॉपर्टी खरीदने और उसका प्रबंधन करने में व्यावहारिक मुश्किलों के अलावा वे यह नहीं समझ पाते हैं कि सबसे बड़ी कमी लिक्विडिटी को लेकर है। मेरी राय में एसआईपी और एसडब्ल्यूपी के जरिए कॉर्पस बनाना और रकम निकालना आसान है।
मेरे बहुत से साथियों और रिश्तेदारों ने जानकारी और निवेश शुरू करने को लेकर आत्मविश्वास न होने की वजह से म्युचुअल फंड और इक्विटी में कभी निवेश नहीं किया है। वे म्युचुअल फंड में निवेश के बारे में मुझसे सलाह लेते थे। ऐसे में पिछले साल मैंने एनआईएसएम परीक्षा पास की और एएमएफएल के साथ नामांकन कराया। और अब जब मैं अपने क्लाइंट से मिलती हूं तो मेरे साथ म्युचुअल फंड इनसाइट का ताजा संस्करण रहता है। इससे मुझे अपने क्लाइंट्स को विभिन्न कैटेगरी में तमाम स्कीमों को उनके रिटर्न के साथ समझाने में मदद मिलती है।
आजकल बाजार में बहुत सी स्कीमें हैं ऐसे में कुछ स्कीमों को चुनना और निवेश बनाए रखना मुश्किल हो गया है। अक्सर कम अवधि के प्रदर्शन को देख कर एक फंड को बेच कर दूसरे फंड में निवेश करने का मन करता है। लेकिन जब आप लंबी अवधि का नजरिया अपनाने और अपने निवेश के साथ बने रहने की अहमियत के बारे में पढ़ते हैं तो यह आपको काफी आश्वस्त करता है और काफी भरोसा देता है।
अंबिका की निवेश यात्रा से जो सबसे अहम सबक सीखा जा सकता है वह है अनुशासन बनाए रखना। दूसरे हजारों निवेशकों की तरह वे भी बाजार की तेज गिरावट के साथ निराशा में इक्विटी मार्केट छोड़ सकतीं थीं। लेकिन उन्होंने निवेश बनाए रखने का फैसला किया और उनको इसका पुरस्कार भी मिला।