बात अस्सी के दशक की है। अमिताभ बच्चन का कैरियर शिखर पर था। वो एक साथ दो तीन फिल्मों में काम रहे थे। एक दिन तीन शिफ्ट की शूटिंग खत्म करके घर पहुंचे तो सुबह के चार बज रहे थे। गेट उनके बाबूजी हरिवंश राय बच्चन ने खोला। अमिताभ ने उनको देखा और बोले, क्या करें बाबूजी पैसा कमाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ती है। फिर अमिताभ बच्चन को बचपन के वे दिन भी याद आए जब हरिवंश राय बच्चन कवि सम्मेलन में कविता पढ़ने जाया करते थे। वे अक्सर देर रात या सुबह चार बजे लौटते थे। तब दरवाजा अमिताभ खोलते थे। तब हरिवंश राय बच्चन कहते थे। पैसा बड़ी मुश्किल से मिलता है।
हरिवंश राय बच्चन हों या अमिताभ बच्चन। दोनों उस समय बड़ी हस्ती थे। पैसा और नाम दोनों कमा रहे थे। लेकिन वे इतनी मेहनत पैसे के लिए ही कर रहे थे। इसलिए भी कि भविष्य में उनको पैसों की चिंता न करनी पड़े। यानी उनके पास इतना पैसा हो कि अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए काम न करना पड़े। इसी को आजकल पर्सनल फाइनेंस की दुनिया में फाइनेंशियल फ्रीडम या वित्तीय स्वतंत्रता कहते हैं।
यह तो हुई बड़े लोगों की बात। अब हम आम काम काजी लोगों की बात करते हैं। आजकल नौकरी की दुनिया बहुत अनिश्चित हो गई है। कब नौकरी चली जाए कोई भरोसा नहीं है। सीनियर लेवल पर काम करने वालों के साथ यह जोखिम और अधिक है। कंपनियां सीनियर लोगों को हटा कर कम वेतन वाले लोगों को रखना चाहती हैं। कास्ट कटिंग का दौर है। आज से एक या दो दशक पहले ऐसा नहीं था। पहले नौकरी में इस तरह की अनिश्चितता नहीं थी। प्राइवेट सेक्टर में भी लोग आराम से नौकरी करते थे और भविष्य काफी हद तक सुरक्षित था।
आज के दौर में सैलरी क्लास के लोगों के लिए फाइनेंशियल फ्रीडम की जरूरत पहले से बहुत ज्यादा है। आपका कैरियर कैसे चलेगा या आपकी नौकरी रहेगी या नहीं रहेगी। इसमें आप एक हद से ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। हां अगर आप बचत करते हैं और योजना बना कर इस बचत को निवेश करते हैं तो आप कुछ हद तक फाइनेंशियल फ्रीडम हासिल कर सकते हैं। यानी खुद को वित्तीय तौर पर सुरक्षित बना सकते हैं।
आज कोई भी यह भरोसे के साथ नहीं कह सकता है कि आने वाले समय में नौकरियों को लेकर माहौल बेहतर होगा। लेकिन अगर हम पैसे, बचत और पर्सनल फाइनेंस को लेकर खुद में बदलाव लाते हैं तो हम इस अनिश्चित दुनिया का सामना बेहतर तरीके से कर सकते है। ज्यादा खुश रह सकते हैं। नौकरी को लेकर चल रही इन दिक्कतों में वही बिना तनाव के जी सकता है जिसके पास पर्याप्त सेविंग हो। लेकिन काम काजी युवाओं में सेविंग करने वालों की संख्या बहुत कम है। ज्यादातर सैलरी पाने वाले युवा सेविंग नहीं करते हैं और जब वे सेविंग करना शुरू करते हैं तो ईएमआई जैसी चीजों में फंस जाते हैं। इस तरह से वे अपनी भविष्य की कमाई भी खर्च कर देते हैं।
अगर आप युवा हैं तो आपको लग सकता है कि सेविंग की सलाह अक्सर उम्रदराज लोग देते हैं जो अपने समय में सेविंग न करने की गलती कर चुके हैं। लेकिन तब भी इस सलाह की अहमियत कम नहीं होती है। अगर आप कैरियर की शुरूआत में ज्यादा से बचत करते हैं तो आप बाद में ज्यादा रिलैक्स जिंदगी जी सकते हैं और तनाव को खुद से दूर रख सकते हैं। आज के समय में जिसके पास एक या दो साल के खर्च के लायक सेविंग है वे अपने कैरियर को लेकर ज्यादा रिलैक्स है। अक्सर यह भी देखा गया है जो पैसों के लिहाज से मजबूत होते हैं वे नौकरी के मामले में मोलभाव करने में ज्यादा बेहतर स्थिति में होते हैं। इसके उलट जिनके पास यह मजबूती नहीं होती है वे जोखिम लेने की स्थिति में नहीं होते है सैलरी या दूसरी चीजों को लेकर मोलभाव भी नहीं कर पाते हैं।
तो पर्याप्त सेविंग करने के लिए जरूरी है कि पहले आप सेविंग करें और इसके बाद देखें कि यह सेविंग आपकी जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त है या नहीं। इसके बाद अपनी सेविंग को बढ़ा कर उस स्तर पर ले जाना जिससे आपकी भविष्य की जरूरतें पूरी हो सकें।