मेरी निवेश यात्रा

भरोसे की है ये जादू की छड़ी

वक्त के साथ मज़बूत होते गए विश्वास और आदर्शों ने राजेश को एक सफल निवेशक बना दिया

भरोसे की है ये जादू की छड़ी

राजेश तिवारी, म्यूचुअल फ़ंड के एक बेहतरीन ब्रांड एंबैसडर हो सकते हैं। लखनऊ के रहने वाले 42 साल के राजेश हमेशा से आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर होना चाहते थे। वो कम उम्र् के ही थे जब उनके पिता का देहांत हो गया और उन्हें परिवार की ज़िम्मेदारियां उठानी पड़ीं। अपने आर्थिक गोल को हासिल करने के लिए उन्होंने म्यूचुअल फ़ंड को अपना ज़रिया बनाया। वैल्यू रिसर्च के नियमित पाठक, राजेश कहते हैं, “वक्त तब मुश्किल नहीं रह जाता जब आप एक बार ये समझ लेते हैं कि आप क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं। चाहे करेक्शन हो या बुल मार्केट, मैं अपनी एसआईपी (SIP) पर कायम रहता हूं।” आगे पढ़िए कि क्यों राजेश ने म्यूचुअल फंड की दुनिया में कदम रखा और वो इस ‘जादुई’ प्रॉडक्ट को इतना पसंद करते हैं।

मुश्किल वक्त सिपाही सख्त
बचपन से ही राजेश किताबों के शौकीन रहे। आज भी अपने खाली वक्त में वो राजनीति और देश की आर्थिक स्थिति जैसे विषयों के बारे में पढ़ना पसंद करते हैं। वो अच्छे और बुरे वक्त दोनों की अहमियत समझते हैं, क्योंकि पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने बुरे दिनों को काफ़ी करीब से जिया। उस वक्त को याद करते हुए वो कहते हैं, “उनका देहांत एक दुखद सड़क दुर्घटना में हुआ, तब मैं 19 साल का था। मेरे पिता एक जेंटलमैन और कई मायनों में एक लीडर थे। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा। उनकी मृत्यु के बाद अचानक ही चीज़ें बड़ी तेज़ी से बदलीं।”

धन को लेकर आत्मनिर्भर होने की, राजेश की प्रबल इच्छा ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी। पिता के देहांत के बाद, राजेश पर पिता द्वारा छोड़े गए पैसों से अपने परिवार के लिए घर बनाने की ज़िम्मेदारी थी। राजेश बताते हैं, “मैंने वो किया और इसके साथ ही मैंने ट्यूशन पढ़ाई और एक रिकरिंग डिपॉज़िट (RD) के ज़रिए पैसे बचाए। इसने मुझे काफ़ी धीरज और अपने आप को अनुशासित रखना सिखाया। हालांकि ये बड़ी रकम नहीं थी मगर इससे एक शुरुआत हुई।”

राजेश ने 24 साल की उम्र में काम शुरु किया और अपने संस्थान में एक वरिष्ठ पद तक पहुंचे। राजेश कहते हैं, “नौकरी करने के दौरान मैंने काफ़ी यात्रा की और इस दौरान बहुत से लोगों से मिला। मैंने पाया कि हर जगह लोग अलग तरह से सोचते हैं, और ज़्यादातर लोगों को निवेश की बुनियादी बातें भी पता नहीं हैं।”

आजकल राजेश आर्चीज़ लिमिटेड में रीजनल मैनेजर हैं और उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।

म्यूचुअल फ़ंड से पहचान
राजेश ने म्यूचुअल फ़ंड में करीब सात साल पहले निवेश शुरु किया। राजेश, धीरेंद्र कुमार के फ़ैन हैं और उनकी सीधी बात और साफ़गोई से विचार रखने के अंदाज़ को वो पसंद करते हैं। राजेश कहते हैं, “मैंने उन्हें (धीरेंद्र कुमार) कभी कुछ बेचने की कोशिश करते नहीं देखा है।” एक बार म्यूचुअल फ़ंड की फ़ील्ड में आ जाने के बाद राजेश जल्द ही इसके फायदों और काम करने के तरीकों के बारे में समझने लगे। इसके बाद म्यूचुअल फ़ंड को लेकर उनका उत्साह कम नहीं हुआ। राजेश कहते हैं, “म्यूचुअल फ़ंड सच में एक बहुत अदभुत है, मगर ज़्यादातर लोग इस जादुई छड़ी की ताकत को नहीं समझते। जब से मैंने निवेश शुरु किया है, तब से मैं तीन से चार फ़ंड में निवेश करता हूं, और इसके रिटर्न बहुत अच्छे हैं (14 से 17 प्रतिशत सालाना)।”

एक बार जब म्यूचुअल फ़ंड का जादू चलने लग गया, तो राजेश अपने सभी आर्थिक गोल हासिल करने लगे। उनका सुझाव है, “ये एक जादू की छड़ी है जिसे चलाने के लिए सही किस्म की समझ और अनुभव चाहिए। जब भी मार्केट क्रैश करता है, मैं वैल्यू में तेज़ गिरावट देखता हूं, मगर इससे परेशान होने के बजाए, इसे नज़रअंदाज़ कर के निवेश को जारी रखना चाहिए। म्यूचुअल फ़ंड लंबे वक्त के लिए होते हैं। मार्केट के बारे में अंदाज़ा नहीं लगाना चाहिए। एसआईपी ही इसका सबसे सही तरीका है।”

अपनी निवेश की सफलता का श्रेय राजेश, अनुशान और दूरदर्शिता को देते हैं। निवेश को लेकर वो नियम-कायदों का सख्ती से पालन करने वालों में से हैं। राजेश कहते हैं, “खराब अनुभव तभी होते हैं, जब हम एक अर्से के दौरान जांचे-परखे निवेश के तरीकों से भटक जाते हैं और अंदाज़ा लगाने लगते हैं या मार्केट में मौके तलाशने लगते हैं। मैं म्यूचुअल फ़ंड और सफल निवेशकों पर लेख पढ़ना चाहता हूं।”

राजेश के निवेश के इस सफ़र में कई उतार-चढ़ाव भी आए हैं। वो मानते हैं, “प्रॉप्रटी में निवेश मेरे बुरे अनुभवों में से था जिसने मुझे काफ़ी कुछ सिखाया। मेरे प्रॉपर्टी में अब भी कुछ पुराने निवेश हैं, मगर पिछले कुछ साल से, मैंने प्रॉप्रटी को निवेश के तौर पर देखना छोड़ दिया है।”

गोल्ड और बैंक की एफ़.डी. भी उनकी निवेश की लिस्ट से अब गायब है। ये लिस्ट अब पूरी तरह से म्यूचुअल फ़ंड की लिस्ट हो गई है। राजेश कहते हैं, “मैं सिर्फ़ इक्विटी फ़ंड के ग्रोथ ऑप्शन में निवेश करता हूं क्योंकि मेरा होराइज़न कम से कम 15-20 साल का है। मेरी महीने की औसत एसआईपी (SIP) रु 46,000 है।” उनके सबसे बड़े एलोकेशन फ्रैंकलिन इंडिया प्राइम प्लस (अब फ्रैंकलिन इंडिया फ्लैक्सी कैप फ़ंड) और फ्रैंकलिन इंडिया हाई ग्रोथ कंपनी फ़ंड है (अब फ्रैंकलिन इंडिया फ़ोकस्ड इक्विटी फंड)।
म्यूचुअल फ़ंड के अलावा, राजेश कुछ ऐसे स्टॉक में सीधे निवेश करते हैं जिनके बारे में वो आश्वस्त होते हैं। लाइफ़ इंश्योरेंस के लिए टर्म प्लान उनकी पसंद है। राजेश सलाह देते हैं, “अपने परिवार के लिए और सेहत के लिए, आप अच्छे खासे अमाउंट की टर्म इंश्योरेंस और मेडिकल इंश्योरेंस ले लीजिए। आखिर सेहत ही सब कुछ है। इससे कभी खिलवाड़ या नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।”

राजेश की सलाह
राजेश कभी गैरज़रूरी कामों पर पैसे बर्बाद नहीं करते। ये बात वो हर किसी को बताते हैं। “अपने बच्चों को पैसे की कीमत के बारे में बताएं। उनके रोल मॉडल बनें। उन्हें जीवन और फ़ाईनेंस के बारे में अच्छी किताबें पढ़ने के लिए कहें। ये उन्हें हर तरह से आगे बढ़ने में मदद करेगा।”

ये स्टोरी पहली बार अगस्त 2017 में की गई थी।
हर किसी के निवेश की कहानी में दिलचस्प घटनाओं और मोड़ होते हैं। आप अपनी कहानी हम से ज़रूर शेयर करें [email protected]


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