वारेन बफेट सबसे सफल स्टॉक मार्केट निवेशक हैं। दूसरे निवेशकों के विपरीत बफेट ने अपने जीवन की शुरूआती सालों में ही पेशेवर तौर पर निवेश करना शुरू कर दिया था।
एडवर्ड ओ थोर्प मैन फॉर आल मार्केट्स: फ्राम लास वेगास टू वाल स्ट्रीट, हाउ आई बीट द डीलर एंड द मार्केट में लिखते हैं “वारेन ने अपनी पहली इन्वेस्टमेंट पार्टनरशिप, बफेट एसोसिएट्स, लिमिटेड ने 1956 में 25 साल की उम्र में 1,00,100 डॉलर के साथ शुरू की थी। उन्होंने मुझे हंसते हुए बताया था कि उनका योगदान 100 डॉलर था। दस और पार्टनरशिप शुरू करने के बाद उन्होंने 1962 की शुरूआत में इन सबका विलय बफेट पार्टनरशिप में कर दिया”।
1967 में , बफेट ने फैसला किया कि अब स्टॉक मार्केट में अंडर वैल्यूड कंपनियां तलाश करना ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है। ऐसा इसलिए था क्योंकि स्टॉक मार्केट उस समय बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा था। बड़ी कंपनियों के स्टॉक दो साल की अवधि में 38 फीसदी तक बढ़ गए थे। इसकी तुलना में, समान अवधि में छोटी कंपनियों के स्टॉक 150 फीसदी तब बढ़ गए थे।
ऐसे परिदृश्य में, बफेट की वैल्यू इन्वेस्टिंग स्टाइल काम नहीं करेगी। ऐसे में, उन्होंने अगले कुछ वर्षों में अपनी पार्टनरशिप को बेचने का फैसला किया। 1956 और 1968 की अवधि के बीच, बफेट की इन्वेस्टमेंट पार्टनरशिप ने अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया। यह रिटर्न इतना था कि आज के फंड मैनेजर सपना ही देख सकते हैं।
बफेट ने जो रकम लगभग 12 साल मैनेज की वह रकम एक साल में 29.5 फीसदी की दर से बढ़ी। यह तब था जब वे मुनाफे का चौथाई हिस्सा इन्वेस्टमेंट फी के तौर पर ले चुके थे। इसके अलावा, बफेट ने स्टॉक मार्केट के विपरीत इस अवधि में हर साल रिटर्न हासिल किया। थोर्प लिखते हैं “टैक्स चुकाने से पहले बफेट के लिमिटेड पार्टनर्स का 1 डॉलर बढ़ कर 16.29 डॉलर हो गया। वारेन के प्रत्येक डॉलर बढ़ कर 28.80 डॉलर हो गया”।
अगर आप उस समय वारेन के साथ निवेशक होते हैं तो क्या करते ? तो यह समझना मुश्किल नहीं है कि आप बफेट के साथ निवेश जारी रखना चाहेंगे। लेकिन इसके बाद जो हुआ वह बहुत दिलचस्प है।
बफेट ने निवेशकों को रकम लेने या पार्टनरशिप की दो कंपनियो में कुछ इक्विटी लेने का ऑप्शन दिया। इन कंपनियो में से एक टेक्सटाइल कंपनी बर्कशायर हैथवे थी जो समय मुश्किल दौर से गुजर रही थीं। थोर्पे लिखते हैं पार्टनर्स को जो पेआउट मिलेगा उसमें कम से कम 56 फीसदी कैश और 30 से 35 फीसदी इक्विटी दो कंपनियों डायवर्सीफाइड रिटेलिंग और न्यू इंग्लैंड टेक्सटाइल कंपनी में मिलेगी।
बफेट ने 100 मिलियन डॉलर पार्टनर्स में बांट दिया। इसमें से लगभग 25 मिलियन डॉलर बफेट का था। उनका व्यक्गित निवेश बड़ी रकम में बदल गया। इसमें उनकी इन्वेस्टमेंट फी और पार्टनरशिप में किए गए रीइन्वेस्टमेंट में ग्रोथ का भी योगदान था। 25 मिलियन डॉलर के अलावा बफेट को बर्कशायर के आधे स्टॉक्स भी मिले।
इसका मतलब है कि बफेट के निवेशकों में से ज्यादातर निवेशकों ने कैश लेना चुना। इसका यह भी मतलब था कि बफेट की इन्वेस्टमेंट पार्टनरशिप में उनके पार्टनर्स ने आने वाले सालों में बड़े पैमाने पर रकम बनाने का मौका गवां दिया।
बिजनेसइनसाइडरडॉटकॉम के एक अनुमान से पता चलता है कि दिसंबर 1964 और दिसंबर 2015 की अवधि के बीच बर्कशायर हैथवे की स्टॉक कीमतों में 10 लाख फीसदी का इजाफा हुआ। समान अवधि में एसएंडपी 500 इंडेक्स के जरिए मापा जाए तो मार्केट का रिटर्न 2,300 फीसदी था।
ऐसे में सवाल उठता है कि बफेट के इन्वेस्टमेंट पार्टनरशिप में पार्टनर्स ने क्यों कैश लेकर बाहर निकलने का फैसला किया। क्या वे इस बात को नहीं समझ पाए कि अपने पिछले ट्रैक रेकॉर्ड की वजह से बफेट एक शानदार इन्वेस्टमेंट मैनेजर थे ? या कोई और बात थी ?
पता चलता है कि बफेट उस समय स्टॉक्स को लेकर बहुत नकारात्मक थे। अपने पार्टनर्स को एक लेटर में उन्होंने लिखा है “निवेशक के तौर पहली बार मैं मान रहा हूं कि एक औसत निवेशक के लिए स्टॉक्स में पेशेवर तौर पर मैनेज की जा रही रकम और बांड में पैसिव इन्वेस्टमेंट के बीच चुनने के लिए बहुत कम विकल्प हैं”।
तो यहां एक इंडीविजुअल है जो अपने निवेशकों को बांड में निवेश करने की सलाह देते हुए सबसे महान स्टॉक मार्केट निवेशक बनने की राह पर जाएगा। उस समय बर्कशायर बफेट के गुरू बेंजाजमिन ग्राहम के शब्दों में एक सिगार बट थी। यह एक तरह का स्टॉक है जो आप सस्ते में खरीद सकते हैं और इससे आप आखिरी कश ले सकते हैं। बर्कशायर का टेक्सटाइल ऑपरेशन उस समय बहुत अच्छा नहीं चल रहा था।
इसके अलावा उस समय ऐसा कुछ नहीं लग रहा था कि बर्कशायर हैथवे ऐसी कंपनी बन जाएगी जिसके जरिए बफेट आने वाले वालों में दूसरे स्टॉक्स में अपना निवेश चैनलाइज करेंगे। थोर्प लिखते हैं आज जब में बफेट को लेटर को दोबारा पढ़ता हूं तो मुझे ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता है कि बर्कशायर हैथवे वारेन पार्टनरशिप की उत्तराधिकारी बन जाएगी।
यह सब बातें क्या बताती हैं ? हर व्यक्ति जो वारेन बफेट की निवेश में सफलता की बात करता है उसे इस तथ्य पर भी बात करनी चाहिए 1960 के अंत में जब उन्होंने अपनी पार्टनरशिप बेची थी तो उनको आने वाले समय में मिलने वाली सफलता का कोई अंदाजा नहीं था। इसी लिए उन्होंने अपने निवेशकों से बांड खरीदने को कहा। इस प्रक्रिया में बहुत से निवेशक बर्कशायर हैथवे द्वारा हासिल किए गए शानदार रिटर्न का फायदा नहीं उठा पाए। यह कहा जा सकता है कि ये निवेशक आने वाले वर्षों में बर्कशायर का स्टॉक बेच सकते थे। लगभग पांच दशक तक एक स्टॉक में निवेश्ा बनाए रखने के लिए बहुत अधिक धैर्य की जरूरत थी।
सबसे बड़ा सबक यह है कि वास्तव में बहुत कम लोग स्टॉक मार्केट की सफलता की कहानियों से फायदा उठा पाते हैं। इससे कुछ हद तक यह बात साफ होती है कि क्यों स्टॉक मार्केट से जो रकम बनाई जाती है वह कुछ लोगों के हाथों में ही होती है।
बफेट इस बात के सबसे अच्छे उदाहरण हैं। वे दुनिया में सबसे अमीर इंडीविजुअल्स में से एक हैं न कि उनके निवेशक।