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निवेश की शुरुआत करने वाले की यात्रा

अठारह साल से हम वैल्यू इन्वेस्टिंग प्रिंसिपल के बड़े पक्षधर रहे हैं, जिनमें लंबे समय का निवेश ज़रूरी है.

निवेश की शुरुआत करने वाले की यात्राAI-generated image

बहुत कम लोग जानते हैं कि तीन दशक पहले वैल्यू रिसर्च की शुरुआत म्यूचुअल फ़ंड से नहीं बल्कि इक्विटी रिसर्च से हुई थी. मेरा पहला काम उस समय के सबसे चर्चित विषय, सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश का विश्लेषण करना था. ये रिसर्च, द इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित हुई जो उस समय देश में इस तरह की जानकारी और राय का एकमात्र स्रोत था.

बाद के दशकों में, भले ही हम भारतीय म्यूचुअल फ़ंड से जुड़ी हर चीज़ के लिए दुनिया भर में जाने जाते रहे, लेकिन हमारी इक्विटी रिसर्च की क्षमताएं भी उतनी ही मज़बूत हुईं. इसकी बड़ी वजह ये थी कि इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड को समझने का यही एकमात्र तरीक़ा है.

इसलिए, जब 2006 में वेल्थ इनसाइट को लॉन्च किया गया, तो ये एक नई शुरुआत से कहीं ज़्यादा एक साइकल के पूरा होने जैसा था. बेशक़, म्यूचुअल फ़ंड की तरह, इक्विटी निवेश के लिए हमारे पास अपना अलग तरीक़ा है.

ये एक दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय इक्विटी मार्केट में, ज़्यादातर आम निवेशक (और यहां तक ​​कि कुछ संस्थागत निवेशक भी) निवेश के लिए बेहद शॉर्ट-टर्म और मोमेंटम पर आधारित नज़रिया रखते हैं. असल में, हम मानते हैं कि इक्विटी निवेश का मतलब ही लगातार और अति सक्रिय ट्रेडिंग करना है.

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ये बात मुझे कई साल पहले समझ में आई जब मुझे एक निवेशक का ईमेल मिली जो अपने बैंक अकाउंट में पड़ी बड़ी रक़म निवेश करना चाहता था. वो इस बात के लिए खेद व्यक्त कर रहा था कि उसके पास हर रोज़ ट्रेडिंग करने का समय नहीं है. ऐसा लग रहा था कि उसे लगता था कि रोज़ ट्रेडिंग करना ही इक्विटी मार्केट में पैसा कमाने का डिफ़ॉल्ट तरीक़ा है. इसलिए, हर दिन ट्रेडिंग न कर पाना मार्केट में पैसा कमाने में एक गंभीर बाधा के रूप में देखा जाना चाहिए.

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ये कुछ ही लोगों की सोच नहीं है. वैसे, नंबरों में ये लोग कम हो सकते हैं क्योंकि ज़्यादातर भारतीय तो मानते हैं कि पैसे कमाने के तरीक़े तो सिर्फ़ फ़िक्स्ड डिपॉज़िट, रियल एस्टेट और सोना ख़रीदना हैं. हालांकि, इक्विटी मार्केट से जुड़े कई लोग मानते हैं कि बाज़ार में असली पैसे कमाने का तरीक़ा हर रोज़, पूरे दिन ट्रेडिंग करना है. लेकिन इक्विटी मार्केट को न जानने वाले इस नतीजे पर क्यों पहुंचते हैं?

इसकी एक एक संभावना है, इन्वेस्टमेंट इंडस्ट्री की मार्केटिंग मशीन. जब कोई बड़े पैसे वाला व्यक्ति, अचानक निवेश का फ़ैसला करता है, तो आगे क्या होता है और हो सकता है ये पूरी तरह से संयोग पर निर्भर करता होता है. सबसे अहम है कि हमारा ये संभावित निवेशक अपनी शुरुआत कैसे करता है? क्या वो किसी मित्र, पड़ोसी या साथ काम करने वाले से इस विषय पर पूछता है? क्या वो गूगल पर सर्च शुरू कर देता है? अगर करता है, तो गूगल पर असल में क्या सर्च करता है? क्या वो सर्च के रिज़ल्ट पर क्लिक करता है या फिर विज्ञापनों पर क्लिक करता है?

दरअसल, हमारे नए निवेशक का पहला स्टेप ही तय करता है कि उसकी सोच कैसी होगी, और ये बहुत अलग-अलग हो सकती है. इसकी समझ भी बहुत अलग तरह से विकसित हो सकती है कि निवेश आख़िर होता क्या है. अगर उन्हें पहले से ही कुछ सही बातें नहीं पता हैं, तो इस नए-नए कस्टमर की उस प्रॉडक्ट के जाल में फंसने की संभावना ज़्यादा होती है जिसे बेचने का तरीक़ा सबसे आक्रामक हो. दुर्भाग्य से, पर्सनल फ़ाइनांस में, सबसे आक्रामक तरीक़े से बेचने वाले लोग उन प्रोडक्ट्स में पाए जाते हैं जहां उन्हें आपके पैसे का सबसे बड़ा कमीशन मिलने की संभावना होती है.

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लेकिन यहां, वैल्यू रिसर्च में हम एक शांत और नपे-तुले दृष्टिकोण में विश्वास करते हैं, जिसका एक लॉन्ग-टर्म नज़रिया एक ज़रूरी हिस्सा है. इक्विटी मार्केट के अच्छे समय में भी एक रोलर-कोस्टर पर चढ़ने जैसा है, और निवेशकों को अराजकता के भीतर स्थिरता खोजने की ज़रूरत है, न कि अराजकता को और ख़राब करने की. अगर आप हमारे नज़रिए का पालन करते हैं तो ऐसा करना कोई कठिन काम नहीं है. मौलिक रूप से निर्देशित निवेश, मूल्य निवेश के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए चुना गया, और अपने ख़ुद के फ़ाइनांस के गोल, उम्मीदों और सीमाओं को ध्यान में रखते हुए - बस इतना ही चाहिए.

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