SIP सही है

SIP निवेश रिबैलेंस करने के फ़ायदे क्या हैं?

रिबैलेंसिंग आपके पोर्टफ़ोलियो को आपकी रिस्क लेने की क्षमता और लक्ष्यों के अनुसार बनाएगी

What is SIP Rebalancing?

How to Rebalance SIP investment: म्यूचुअल फ़ंड्स में नियमित रूप से निवेश करने का एक बेहतरीन तरीक़ा है SIP. इससे निवेशक छोटी रक़म से लंबे समय में एक बड़ा पोर्टफ़ोलियो बना सकते हैं. हालांकि, SIP शुरू करना जितना अहम है, उतना ही ज़रूरी है समय-समय पर अपने पोर्टफ़ोलियो को रिबैलेंस करना. रिबैलेंसिंग एक निवेश की स्ट्रैटजी है जिसका मक़सद अपने पैसे के साथ रिस्क उठाने की आपकी क्षमता और निवेश के लक्ष्यों के मुताबिक़ आपके पोर्टफ़ोलियो को दुरुस्त रखना है.

आइए जानते हैं कि अपने SIP निवेश को रिबैलेंस कैसे करें.

रिबैलेंसिंग क्या है?

रिबैलेंसिंग का मतलब है कि आपके निवेश पोर्टफ़ोलियो को समय-समय पर नए सिरे से व्यवस्थित करना, ताकि ये आपके द्वारा चुने गए एसेट एलोकेशन के मुताबिक़ बना रहे. SIP करने वाले निवेशकों के लिए, ये काम बेहद ज़रूरी हो जाता है, क्योंकि समय के साथ बाज़ार में आने वाले उतार-चढ़ाव के कारण पोर्टफ़ोलियो का बैलेंस बिगड़ सकता है. मिसाल के तौर पर, अगर आपने अपने पोर्टफ़ोलियो में 70% इक्विटी (equity) और 30% डेट (debt) का रेशियो रखा है, लेकिन इक्विटी में तेज़ी के कारण ये रेशियो बदलकर 80% इक्विटी और 20% डेट हो गया है, तो आपका पोर्टफ़ोलियो आपके लिए ज़्यादा जोख़िम भरा हो सकता है. इसे सही रेशियो में लाने की प्रक्रिया को रिबैलेंसिंग कहते हैं.

SIP निवेश को रिबैलेंस करने की ज़रूरत क्यों होती है?

जोख़िम प्रबंधन: बाज़ार के उतार-चढ़ाव से आपका पोर्टफ़ोलियो ज़्यादा जोख़िम भरा हो सकता है. रिबैलेंसिंग से आप अपने निवेश का जोख़िम घटा सकते हैं और सुरक्षित निवेश रणनीति बनाए रख सकते हैं.

गोल्स हासिल करना: निवेश का उद्देश्य लंबे समय के फ़ाइनेंशियल गोल को पूरा करना होता है. रिबैलेंसिंग ये पक्का करती है कि निवेश आपके गोल के मुताबिक़ बना रहे.

बाज़ार में बदलाव का असर: समय के साथ बाज़ार में तेज़ी या गिरावट का असर आपके पोर्टफ़ोलियो पर पड़ सकता है. रिबैलेंसिंग से आप इस असर को कम कर सकते हैं.

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SIP निवेश को रिबैलेंस कैसे करें?

1. अपनी रिस्क उठाने की क्षमता पर ग़ौर करें

पहला क़दम है, अपनी रिस्क उठाने की क्षमता का अनालेसिस करना. समय के साथ आपके निवेश के गोल बदल सकते हैं और आपकी रिस्क उठाने की क्षमता भी बदल सकती है. मिसाल के तौर पर, अगर पहले आप ज़्यादा रिस्क उठाने में सक्षम थे, लेकिन अब आप सुरक्षित निवेश चाहते हैं, तो ये समय अपने पोर्टफ़ोलियो को उसी अनुसार रिबैलेंस करने का हो सकता है.

2. पोर्टफ़ोलियो की मौजूदा स्थिति का पता लगाएं

रिबैलेंसिंग से पहले आपको ये जानना ज़रूरी है कि आपका पोर्टफ़ोलियो अभी किस स्थिति में है. आपको ये देखना होगा कि आपने शुरू में किस रेशियो में निवेश किया था और वर्तमान में वो रेशियो क्या है. ये जांचने के लिए आप अपने सभी म्यूचुअल फ़ंड की सालाना रिपोर्ट या अपने निवेश ट्रैकर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

3. निवेश जो संतुलित नहीं रह गए हैं उन्हें सही करें

अगर आपके पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी का प्रतिशत बढ़ गया है और डेट का हिस्सा कम हो गया है, तो आपको कुछ इक्विटी बेचकर उस राशि को डेट फ़ंड्स में लगाना चाहिए या फिर अपना नया निवेश डेट फ़ंड में करना चाहिए. इससे आपका पोर्टफ़ोलियो फिर से बैलेंस हो जाएगा. इसी तरह, अगर डेट का रेशियो ज़्यादा हो गया है, तो आप उसे इक्विटी में शिफ़्ट कर सकते हैं.

4. नियम से रिव्यू करें

रिबैलेंसिंग कोई एक बार की प्रक्रिया नहीं है. आपको हर 6 महीने या 1 साल के अंतराल पर अपने पोर्टफ़ोलियो को रिव्यू करना चाहिए. अगर बाज़ार में ज़्यादा उतार-चढ़ाव हों, तो और भी जल्दी रिबैलेंस करने की ज़रूरत पड़ सकती है.

SIP रिबैलेंसिंग के फ़ायदे

रिस्क में कम होगा: सही समय पर रिबैलेंसिंग से आपके निवेश का जोख़िम कम हो जाता है. इससे आप ज़्यादा जोख़िम वाले निवेश से बच सकते हैं.

लंबी अवधि के लिए बैलेंस्ड पोर्टफ़ोलियो: रिबैलेंसिंग से आपके पोर्टफ़ोलियो का संतुलन बना रहता है, जो लंबे समय के निवेश के लिए ज़रूरी होता है.

मार्केट के असर को कम करना: बाज़ार में आने वाले बड़े उतार-चढ़ाव का असर कम करने के लिए रिबैलेंसिंग एक प्रभावी तरीक़ा है.

आख़िरी बात

SIP में निवेश करना एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन इसे बनाए रखने और अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए रिबैलेंसिंग भी उतनी ही ज़रूरी है. अपने पोर्टफ़ोलियो को नियमित रूप से रिव्यू करके और सही समय पर उसे रिबैलेंस करके, आप न केवल अपने जोख़िम को क़ाबू में रख सकते हैं बल्कि अपने आर्थिक लक्ष्यों को भी ज़्यादा असरदार ढंग से हासिल कर सकते हैं.

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