स्टॉक वायर

क्या SBI की शानदार तेज़ी पर ब्रेक लगने जा रहा है?

निवेशकों के लिए SBI से कम रिटर्न की आस लगाना बेहतर होगा

क्या SBI Share में निवेश करना सही है?AI-generated image

दिग्गज बैंकों में शुमार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) अपनी उम्र के हिसाब से काफ़ी तेज़ दिख रहा है. पिछले चार सालों में इसका शेयर चार गुना बढ़ गया है, क्योंकि इसका नेट प्रॉफ़िट सालाना 43 फ़ीसदी बढ़ा है. ये एक बड़े बैंक के लिए एक हैरत में डालने वाली उपलब्धि है, जिसका ₹60,000 करोड़ का मुनाफ़ा गोवा और सिक्किम के कुल सालाना बजट से भी ज़्यादा है.

इसके हाल में नियुक्त चेयरमैन सी एस सेट्टी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि SBI ने अब अगले तीन से पांच सालों में ₹1 लाख करोड़ का मुनाफ़ा कमाने का लक्ष्य रखा है. अगर ये लक्ष्य हासिल हो जाता है, तो SBI, रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद सबसे ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने वाली दूसरी कंपनी बन जाएगी. लेकिन वास्तव में ये कोई मील का पत्थर नहीं है. भले ही, इसे आसानी से हासिल किया जा सकता है और ऐतिहासिक है, लेकिन इससे केवल ये पता चलता है कि तेज़-तर्रार लीडर भी उम्र के साथ बूढ़े हो जाते हैं और झुर्रियां पड़ने लगती हैं. आइए जानते हैं क्यों:

1. अतीत से शायद भविष्य का पता न चले. ₹1 लाख करोड़ के आंकड़े का मतलब है कि अगले चार से पांच सालों में सालाना नेट प्रॉफ़िट में सिर्फ़ 10-13 फ़ीसदी की ग्रोथ होगी. ये पहले जितना अच्छा नहीं लग रहा है, है न? ख़ासकर तब जब आप पिछले चार सालों के रिकॉर्ड की तुलना करते हैं. पिछले मुनाफ़े में ग्रोथ बड़े प्रोविजंस को फिर से दर्ज करने या प्रॉफ़िटेबिलिटी के लिए बहाल रिस्टोर का परिणाम रही है, क्योंकि इसके नेट NPA (नॉन परफ़ॉर्मिंग एसेट्स) फ़ाइनेंशियल ईयर 18 में 6 फ़ीसदी के स्तर से घटकर फ़ाइनेंशियल ईयर 24 में 0.57 फ़ीसदी से नीचे आ गए. ये मूल रूप से लो बेस का असर है जिसने हाल के दिनों में SBI की वित्तीय स्थिति को सहारा दिया है.

ये भी पढ़िए- सबसे ज़्यादा रिटर्न देने वाले म्यूचुअल फ़ंड कौन से हैं?

2. शिखर को छूना. SBI का रिटर्न रेशियो अपने पीक पर है, जैसा कि इसके 1.36 फ़ीसदी के रिटर्न ऑन एसेट्स या ROA से स्पष्ट है, जो पिछले 30 वर्षों में सबसे ज़्यादा है. इन स्तरों को बनाए रखना आगे मुश्किल होने वाला है.

3. NIM में कमी बनी रहेगी. इसमें नेट इंटरेस्ट मार्जिन का दबाव भी शामिल है, जो तेज़ ग्रोथ को भी बाधित करेगा. फ़ाइनेंशियल ईयर 24 में SBI के एडवांसेज में 15 फ़ीसदी की ग्रोथ हुई, जबकि जमा में केवल 11 फ़ीसदी की ग्रोथ हुई. ये ट्रेंड जारी रहने की संभावना है और जमा के लिए तगड़ी प्रतिस्पर्धा बनी रहने की उम्मीद है. इससे SBI सहित उद्योग के NIM में कमी आएगी, ख़ासकर तब जब दरों में आगामी कटौती बैंक को उधारी दरों को कम करने के लिए मजबूर करेगी.

निवेशकों की बात

SBI आज की तरह ही बुनियादी रूप से मजबूत बना रहेगा, लेकिन थोड़ी सुस्ती दिखेगी. निवेशकों के लिए बेहतर होगा कि वे हाल के वर्षों की तेज़ ग्रोथ के आगे भी जारी रहने को लेकर कम उम्मीदें रखें. ऊंचे रिटर्न की चाह रखने वाले लोग भी मौजूदा स्तरों पर स्टॉक ख़रीदने से निराश हो सकते हैं. ये 1.72 गुना के P/B अनुपात पर कारोबार कर रहा है, जो पांच साल के औसत P/B 1.51 गुना से अधिक है.

डिस्क्लेमर: ये स्टॉक रिकमंडेशन नहीं है. निवेशकों को निवेश का कोई भी फैसला लेने से पहले ख़ुद ही जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए.

ये भी पढ़िए- क्या पिरामल फ़ार्मा के शानदार ग्रोथ गाइडेंस पर दांव लगाना चाहिए?


टॉप पिक

SIP में 'लॉन्ग-टर्म' क्या होना चाहिए?

पढ़ने का समय 3 मिनटManuj Jain

टॉप 10 बैलेंस्ड एडवांटेज फ़ंड: ये डायनामिक हैं या पैसिव?

पढ़ने का समय 2 मिनटAbhishek Rana

एक नए तरीक़े का म्यूचुअल फ़ंड

पढ़ने का समय 3 मिनटधीरेंद्र कुमार

Waaree Energies IPO: क्या आपके लिए निवेश का मौक़ा है?

पढ़ने का समय 6 मिनटSatyajit Sen

ये 10 हाई ग्रोथ और वैल्यू स्टॉक बेहद आकर्षक बन गए हैं

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

स्टॉक पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

एक मैनिफ़ैस्टो इक्विटी निवेशकों के लिए

भविष्य की आशा और सतर्कता के मेल के साथ-साथ लंबे समय का नज़रिया कैसे सच्चे इक्विटी निवेशकों को दूसरों से अलग बनाता है.

दूसरी कैटेगरी