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ब्रोकरेज कंपनियों में तेज़ी ज़ोरों पर है और चंद ही संस्थाएं मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विस से ज़्यादा फ़ायदा उठाने का दावा कर सकती हैं. मार्केट में रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी से पिछले तीन साल में डीमैट खाते तीन गुना बढ़े हैं, जिससे ब्रोकरेज का AUM ₹1 लाख करोड़ के निशान (अगस्त 2024 तक) से ऊपर हो गया है. इसके अलावा, FY24 में, इस ब्रोकरेज की आमदनी में सालाना आधार पर 2.6 गुना की भारी बढ़ोतरी देखी गई है. दलाल स्ट्रीट की भी इस पर नज़र बनी हुई है और पिछले 12 महीनों में इसके शेयर की क़ीमत 3.6 गुनी हो गई है. इसके अलावा, हमारी वैल्यू रिसर्च स्टॉक रेटिंग्स से 7 का मोमेंटम स्कोर इस बात को रेखांकित करता है कि निवेशकों की इसमें दिलचस्पी बढ़ रही है.
हालांकि, अपनी ज़बरदस्त ग्रोथ के बावजूद, शेयर अपनी 12 महीने की आमदनी के सिर्फ़ 16 गुने पर कारोबार कर रहा है, जिससे कई लोग ये सोच रहे हैं कि क्या ये शेयर एक मज़बूत वैल्यू बाय (value buy) है या वैल्यू ट्रैप (value trap) है. आइए पता लगाते हैं.
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क्या होल्ड करना सही है?
क्या मोतीलाल ओसवाल का वैल्यूएशन कम आंका गया है, ये तय करने के लिए हमने इसके वैल्यूएशन की तुलना इसकी जैसी दूसरी कंपनियों की वैल्यू से की. ब्रोकरेज अपने ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट का 52 फ़ीसदी अपने कैपिटल मार्केट वर्टिकल से और 40 फ़ीसदी अपने एसेट और वेल्थ मैनेजमेंट बिज़नस से हासिल करता है. एंजेल वन, ICICI सिक्योरिटीज और IIFL सिक्योरिटीज जैसी कैपिटल मार्केट से जुड़ी दूसरी कंपनियों के शेयर 14 से 16 के बीच के P/E मल्टीपल पर ट्रेड कर रहे हैं, जबकि HDFC AMC, निप्पॉन AMC और 360 वन जैसी एसेट और वेल्थ मैनेजमेंट कंपनियों का P/E रेशियो 40 से 45 के बीच है.
इस आधार पर, मोतीलाल ओसवाल का शेयर आकर्षक लगता है. हालांकि, इसके फ़ाइनेंशियल्स पर क़रीब से नज़र डालने से पता चलता है कि इसका P/E केवल दिखावटी रूप से कम है. टैक्स के बाद इसके FY24 के प्रॉफ़िट का लगभग 37 फ़ीसदी ट्रेजरी निवेश पर मार्क-टू-मार्केट (MTM) प्रॉफ़िट से आया, क्योंकि ब्रोकरेज कंपनी अपनी आय का एक हिस्सा सीधे शेयर बाज़ार में निवेश करती है. इसका मतलब है कि इनकम में इसकी हालिया ग्रोथ का ज़्यादातर हिस्सा बुल मार्केट के कारण आया है, न केवल मुख्य बिज़नस में ग्रोथ की वजह से. इन MTM से जुड़े फ़ायदों को छोड़कर, स्टॉक का P/E 30 के क़रीब है. ये आंकड़ा इंडस्ट्री के एवरेज से ज़्यादा लगता है.
आख़िरी बात
शुरुआती सवाल ये था कि क्या मोतीलाल ओसवाल एक वैल्यू बाय है या वैल्यू ट्रैप. सच्चाई कहीं इसके बीच में है: स्टॉक न तो एक बेहतरीन सौदा है और न ही ये बहुत ज़्यादा महंगा है. हमारा मानना है कि मौजूदा स्तरों पर इसका उचित वैल्यूएशन किया गया है. भले ही, मुनाफ़े में तेज़ बढ़ोतरी बाज़ार की ताकतों की वजह से थी, लेकिन इसे कंपनी के मुख्य संचालन में कमज़ोरी के संकेत के रूप में बताना ग़लत होगा. विशेष रूप से, इसका ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट FY21 की शुरुआत में 31 फ़ीसदी की प्रभावशाली ग्रोथ के साथ शुरू हुआ. साथ ही, भारत में सेविंग के फ़ाइनेंशियलाइज़ेशन का ट्रेंड तेज़ी से बढ़ रहा है, जो ब्रोकरेज के लिए लंबे समय के लिहाज़ से बेहतरीन आउटलुक देता है.
हालांकि, ध्यान रखें कि ये स्टॉक रेकमंडेशन नहीं है. निवेश करने से पहले, आपको गहराई से जांच पड़ताल करनी चाहिए और बिज़नस का फ़ंडामेंटल अनेलेसिस करना चाहिए.
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