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ये बात कुछ ऐसी ही है कि आप अपनी कंपनी के HR से ₹1 लाख बढ़ाने के लिए कहें और वो इसके बदले में ₹25 करोड़ बढ़ा दें! ज़्यादातर लोगों के लिए तो ये मुंगेरी लाल का ऐसा हसीन सपना ही रहेगा, मगर IPO लाने वाले कई स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइस (SME) के लिए ये हक़ीक़त हो गया. पिछले साल सभी SME IPO में से क़रीब 46 फ़ीसदी को 100 गुना से ज़्यादा सब्सक्राइब किया गया! यानी, ₹10 करोड़ का फ़ंड जुटाने के लिए बाज़ार में उतरी कंपनियों ने ₹1,000 करोड़ बटोर लिए.
यहां एक और आंकड़ा है जो दिखाता है कि इस सबके लिए कितना ज़बर्दस्त जोश है कि 2012 से SME IPO से ₹14,000 करोड़ जुटाए गए हैं, जिनमें से क़रीब 43 फ़ीसदी अकेले FY24 में जुटा लिए गए थे!
साफ़ है, इक्विटी निवेश के सभी जमे-जमाए सिद्धांत धराशायी हो रहे हैं. बंपर लिस्टिंग के फ़ायदे से चूकने का डर, जिसे हाल ही में स्टॉक एक्सचेंजों ने 90 प्रतिशत पर सीमित कर दिया था, सभी सावधानियों पर भारी पड़ रहा है. ये इसलिए भी अहम है, क्योंकि इनमें से ज़्यादातर फ़ैमिली के स्वामित्व वाले बिज़नस (mom-and-pop style businesses) हैं और इनकी क्वालिटी में विश्वसनीयता की गंभीर कमी है, और इनके उभरने की गति चिंता का कारण है. आश्चर्य नहीं कि लिस्टिंग के पैरामीटर हाल ही में सख़्त क्यों हो रहे हैं, और मार्केट रेगुलेटर SEBI सलाह जारी कर रहा है. लेकिन निवेशक ऐसी सलाहों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे. नीचे दी गई लिस्ट से तो यही ज़ाहिर होता है. हमने कुछ अनोखे SME बिज़नस के उदाहरण दिए हैं, जिन्होंने निवेशकों को अपनी ओर खींचा है. आइए, एक नज़र डालते हैं:
रिसोर्सफ़ुल ऑटोमोबाइल (सावनी ऑटोमोबाइल)
Resourceful Automobile (Sawhney Automobile): ये किसी के लिए भी अंजान ख़बर नहीं रह गई है. रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के IPO ने हाल ही में सोशल मीडिया पर मनोरंजन को बढ़ा दिया. कारण? साल 2018 में स्थापित ये ऑटो डीलरशिप प्लेयर की दिल्ली में केवल दो यामाहा डीलरशिप हैं. इसके पास मात्र आठ कर्मचारी हैं, जिनमें से तीन फ़ाइनांस और लीगल डिपार्टमेंट में और दो ऑपरेशन सेक्शन में काम करते हैं.
छोटे ऑपरेशन और नेगेटिव कैश-फ़्लो के बावजूद, IPO 400 गुना सब्सक्राइब हुआ, जिसमें ₹12 करोड़ के इशू साइज़ के मुक़ाबले ₹4,800 करोड़ की बिड (बोलियां) मिलीं! हास्यास्पद स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए, एक यूज़र ने X (पूर्व में ट्विटर) पर चुटकी लेते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि करोल बाग की एक वर्कशॉप भी अब ₹200 करोड़ के वैल्युएशन पर IPO ला सकती है."
ब्रोच लाइफ़केयर हॉस्पिटल
Broach Lifecare Hospital: मेपल हॉस्पिटल्स की नाम से जानी जाने वाली इस कंपनी ने साल 2012 में अपना परिचालन शुरू किया, जो मुख्य रूप से कार्डियोलॉजी से संबंधित प्रक्रियाएं और उपचार उपलब्ध कराती है. कुछ ही सप्ताह पहले, इसने ₹4 करोड़ जुटाने के लिए अपना IPO जारी किया, लेकिन इसे ₹604 करोड़ की बोलियां मिलीं, जो 151 गुना थीं! गुजरात के भरूच और अंकलेश्वर में केवल 40 बेड के साथ दो ब्रांच का संचालन करने वाले अस्पताल के बावजूद ये ज़बरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी!
HOAC फ़ूड्स इंडिया
HOAC Foods India: ये अब तक का सबसे ज़्यादा सब्सक्राइब किया गया IPO है. HOAC फ़ूड्स हरिओम ब्रांड के तहत आटा, मसाले और अनाज के अलावा अन्य खाद्य उत्पाद बनाती है. कंपनी अपनी 55 फ़ीसदी आय आटा (चक्की आटा) बेचकर कमाती है. मई 2024 में लॉन्च हुए इसके IPO को 1,834 गुना सब्सक्राइब किया गया! कंपनी को ₹10,167 करोड़ की बोलियां मिलीं, जबकि ये सिर्फ़ ₹5.5 करोड़ जुटा रही थी! ये रक़म कंपनी के BSE-लिस्टेड स्मॉल-कैप पीयर LT फ़ूड्स के पूरे मार्केट कैप से थोड़ी ही कम है.
कोडी टेक्नोलैब
Kody Technolab: 2017 में स्थापित कोडी टेक्नोलैब बिज़नस को उनके डिजिटल ट्रांसफ़र्मेशन में मदद करने के लिए फ़ुल-स्टैक सॉफ़्टवेयर के विकास से जुड़े सॉल्यूशन देता है. कंपनी ने पिछले साल सितंबर में अपने IPO से ₹27.5 करोड़ जुटाए थे, जिसमें ₹1,239 करोड़ की बोलियां मिली थीं!
इससे भी ज़्यादा आश्चर्यजनक बात है कि ₹17 करोड़ की बिक्री और केवल ₹4 करोड़ के नेट प्रॉफ़िट पर इसका मार्केट कैप ₹2,185 करोड़ है. ये पिछले साल में स्टॉक की 21 गुना (1,982 प्रतिशत) की शानदार रैली का नतीजा है. 27 सितंबर, 2023 को ₹160 की लिस्टिंग क़ीमत की तुलना में, ये अब ₹3,247 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है!
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सनगार्नर एनर्जीज़
Sungarner Energies: सनगार्नर एनर्जीज पावर सॉल्यूशन और UPS सिस्टम, बैटरी, इनवर्टर और सोलर पैनल जैसे उत्पादों का कारोबार करती है. इसने पिछले साल अगस्त में अपने IPO से ₹53 करोड़ जुटाए थे, जिसमें ₹7,340 करोड़ की बोलियां मिलीं! इसने FY24 में सिर्फ़ ₹1.04 करोड़ का मुनाफ़ा दर्ज किया, लेकिन इसका मार्केट कैप ₹164 करोड़ है, जिसका मुख्य कारण सोलर और रिन्यूएबल एनर्जी थीम में निवेशकों की दिलचस्पी है.
TGIF एग्रीबिज़नस
TGIF Agribusiness: ये एग्री कंपनी अपना 95 फ़ीसदी से ज़्यादा रेवेन्यू केवल अनार की खेती से कमाती है! मई 2024 में, TGIF एग्रीबिज़नस ने अपने IPO से ₹6.4 करोड़ जुटाए, जिसे 35 गुना सब्सक्राइब किया गया और ₹226 करोड़ की बिड मिली थीं. FY24 में, इसने ₹1.53 करोड़ का रेवेन्यू और ₹67 लाख का नेट प्रॉफ़िट दर्ज किया. मज़ेदार ये है कि कंपनी ने प्रमुख डेटा के अलावा अपने फ़ाइनेंशियल्स के बारे में कोई अन्य जानकारी नहीं दी है.
अब निवेशकों की बात
बुनियादी मापदंडों की कमी वाले छोटे बिज़नस को भारी मात्रा में सब्सक्रिप्शन मिलने से एक बात स्पष्ट हो जाती है. बाज़ार में पैसा लगाने के लिए विकल्प खोजे जा रहे हैं. और ये ख़तरनाक तरीक़े से उन रास्तों की ओर बढ़ रहा है, जो सभी निवेश सिद्धांतों के विपरीत हैं. इसलिए, इस भागदौड़ में, पहले से कहीं ज़्यादा सावधानी बरतें. इस तथ्य को नज़रअंदाज़ न करें कि SME IPO की रेग्युलेटरी के जांच-परख में सख़्ती की कमी है. अगर आपको इन IPO से बचने के लिए और ज़्यादा समझने की ज़रूरत है, तो बस "सेबी ने SME पर प्रतिबंध लगाया" ("SEBI bars SMEs") गूगल पर खोजें और खु़द ही देख लें.
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