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जब भी कोई जहाज़ संमदर में अपना सफ़र शुरू करता है, तो उसमें सभी यात्रियों और चालक दल के लिए लाइफ़बोट होती हैं. जहाज़ की सुरक्षा कितनी ही बढ़िया क्यों न हो, लाइफ़बोट फिर भी मौजूद होती है. किसी भयानक तूफ़ान के आने पर या जहाज़ के पलटने जैसी मुश्किल स्थिति में लाइफ़बोट सुरक्षा के बैकअप के तौर पर काम आती हैं.
इसी तरह, उतार-चढ़ाव से भरे 'शेयर मार्केट निवेश' में भी लाइफ़बोट की ज़रूरत पड़ती है. इस बैकअप या लाइफ़बोट को मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी कहते हैं.
मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी क्या है?
मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी का मतलब है शेयरों को उनकी उचित क़ीमत यानी इन्ट्रिंसिक वैल्यू से काफ़ी कम क़ीमत पर ख़रीदना. ऐसा करके, निवेशक एक तरह से मार्केट में गिरावट के कारण आने वाले किसी भी फ़ाइनेंशियल तूफ़ान से ख़ुद को बचा सकते हैं. अप्रत्याशित चीज़ों और संभावनाओं को ध्यान में रखने से आपके निवेश की सुरक्षा होती है, और ये पक्का हो जाता है कि मार्केट या कंपनी के प्रदर्शन में गिरावट आने पर भी ये कवच सुरक्षा देता रहे. ठीक वैसे ही, जैसे लाइफ़बोट जहाज़ की यात्रा के दौरान मन में एक सुरक्षा और शांति का भाव देते हैं, उसी तरह मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी आपके निवेश की यात्रा में आत्मविश्वास और सुरक्षा देता है.
मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी क्यों ज़रूरी है?
हम सभी ग़लतियां करते हैं. दरअसल, जब निवेश की बात हो, तो अक्सर हमने देखा है कि निवेशक मार्केट में नासमझी वाले काम कर बैठते हैं. निवेशक कई पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होते हैं और कई बार अपने ही सबसे बड़े दुश्मन बन जाते हैं.
यहीं पर मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी हमारी मदद करता है, ख़ासतौर पर, दो तरह से:
मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी ज़्यादा महंगा ख़रीदने से बचाता है
शेयर मार्केट स्वाभाव से ही उतार-चढ़ाव वाला होता है. क़ीमतों के इन उतार-चढ़ावों के पीछे कई फ़ैक्टर हो सकते हैं -- बिज़नस का प्रदर्शन, फ़ाइनेंशियल डेटा और इन्वेस्टर का सेंटीमेंट. किसी शेयर को उसकी उचित क़ीमत से कम पर ख़रीदकर, आप अपने लिए मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी बना सकते हैं. ये आपको एक कुशन देता है जो बिज़नस या स्टॉक के प्रदर्शन में किसी भी संभावित गिरावट को बैलेंस करने में मदद कर सकता है.
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मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी अनुमान से जुड़ी ग़लतियों को कम करता है
आप भविष्य में अच्छा रिटर्न पाने के लिए किसी शेयर में निवेश करते हैं. हालांकि, ये अनुमान लगाना लगभग असंभव है कि अगले पांच या दस साल में कोई बिज़नस कैसी ग्रोथ दिखाएगा. इसलिए, मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी बनाए रखने से पूर्वानुमानों पर आपकी निर्भरता कम हो जाती है, और इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि आपको अपने निवेश से संतोषजनक नतीजे मिलेंगे, भले ही असल नतीजे उम्मीदों से अलग हों.
मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी की अहमियत की एक मिसाल
भारत में जॉकी (Jockey) ब्रांड के एक्सक्लूसिव लाइसेंस वाली कंपनी ' पेज इंडस्ट्रीज़ ', पुरुषों के इनरवियर सेगमेंट की मार्केट लीडर है. बिज़नस में तरक़्क़ी के साथ-साथ, 27 अगस्त 2019 को ख़त्म हुए पांच साल में इसका शेयर पांच गुना बढ़ गया. उस वक़्त, कंपनी का प्राइस-टू-अर्निंग रेशियो (P/E) 102 गुना था. अगले पांच साल में ये शेयर मुश्किल से आगे बढ़ा, और 28 जून 2024 तक इसने सिर्फ़ 1.1 गुना रिटर्न दिया. इसका P/E घटकर लगभग 78 गुना रह गया. ऐसा लगता है कि धीमी बिज़नस ग्रोथ और इंडस्ट्री में नए खिलाड़ियों की एंट्री इसकी वजह रही.
एक कहानी के दो पहलू
पेज़ इंडस्ट्रीज़ के शेयर का प्रदर्शन पिछले 5 साल में कुछ ख़ास नहीं रहा है
मीट्रिक | FY14 से FY19 | FY19 से FY24 |
---|---|---|
रेवेन्यू ग्रोथ (% सालाना) | 19.2 | 10 |
प्रॉफ़िट आफ़्टर टैक्स ग्रोथ (% सालाना) | 20.7 | 7.6 |
औसत ROE (%) | 48.6 | 43 |
ROE: रिटर्न ऑन इक्विटी |
कंपनी आकर्षक मार्जिन के साथ सेहतमंद बनी हुई है. हालांकि, अगर आपने 10 साल पहले कंपनी के बिज़नस में संभावित परेशानियों को ध्यान में रखे बिना निवेश किया होता, यानी मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी के बिना, तो आप शायद इस वक़्त काफ़ी चिंतित होते. संभावना ये भी है कि आपने पहले ही शेयर बेच दिए होते. ये बात हमें एक महत्वपूर्ण सबक़ सिखाती है.
हमारी राय
मार्केट अक्सर इस तरह शेयरों की क़ीमत तय करता है जिसमें कंज़र्वेटिव नज़रिये को दरकिनार कर दिया जाता है. इसके कारण, और ज़्यादा रिटर्न कमाने की संभावना कम हो जाती है और जोख़िम बढ़ जाता है. मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी (कम या ज़्यादा) हमेशा उस क़ीमत पर आधारित होता है जो आप किसी शेयर के लिए चुकाते हैं. जैसा कि बेंजामिन ग्राहम ने कहा था, "मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी किसी एक क़ीमत पर ज़्यादा होगा, ज़्यादा क़ीमत पर कम होगा, कुछ और ज़्यादा क़ीमत पर न के बराबर होगा."
इसलिए, निवेश करते समय हमेशा मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी पर नज़र रखें. मार्जिन ऑफ़ सेफ़्टी वाले स्टॉक चुनने के साथ-साथ एक डाइवर्स पोर्टफ़ोलियो बनाकर आप अपनी सफलता की संभावना बढ़ा सकते हैं.
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