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जैसे आपको कार्ब (carbs) और प्रोटीन (protein) के संतुलित आहार की ज़रूरत होती है, उसी तरह आपके निवेश पोर्टफ़ोलियो को भी लंबे समय में वेल्थ बनाने के लिए इक्विटी (equity) और डेट (debt) के सही मिश्रण की ज़रूरत होती है. थोड़े कंज़रवेटिव लंबे समय के निवेशकों के लिए, हम 70-30 एसेट एलोकेशन का सुझाव देते हैं, जिसमें 70 फ़ीसदी इक्विटी और 30 फ़ीसदी डेट में होता है. (जो लोग इस मामले में नए हैं, उनके लिए इक्विटी वाला हिस्सा लंबे समय में आपके पैसे को बढ़ा सकता है, जबकि डेट वाला हिस्सा आपके कॉर्पस की रक्षा करेगा.)
यहां बताया जा रहा है कि आप अपना चुना हुआ 70-30 इक्विटी-डेट एलोकेशन कैसे हासिल कर सकते हैं:
ऑप्शन 1: फ़्लेक्सी कैप फ़ंड + शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फ़ंड
पहला DIY (यानी अपने आप करना) का विकल्प है. यहां, आप अपने पैसे को नीचे दिए गए दो फ़ंड्स में निवेश करते हैं:
- फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड: ये फ़ंड विभिन्न साइज़ (लार्ज, मिड और स्मॉल कैप) कंपनियों में इक्विटी में निवेश करता है, जिसका गोल लंबे समय में आपके पैसे को बढ़ाना है.
- शॉर्ट-ड्यूरेशन डेट फ़ंड: ये फ़ंड शॉर्ट-टर्म बॉन्ड में निवेश करता है और कम जोख़िम लेकर टिकाऊ रिटर्न देता है.
ऑप्शन 2: अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड
ये एक ऑटोपायलट विकल्प है. आप अपना पैसा इस फ़ंड में लगाते हैं और फंड मैनेजर को इक्विटी और डेट के बीच बैलेंस का ध्यान रखने देते हैं.
- ये फ़ंड सभी साइज़ की कंपनियों में इक्विटी में 65-80 फ़ीसदी और डेट में 20-35 फ़ीसदी निवेश करते हैं.
- पेशेवर फ़ंड मैनेजर आपके लिए इक्विटी-डेट बैलेंस संभालते हैं.
अब, आइए जानते हैं कि कौन सा विकल्प बेहतर है.
जटिलता का स्तर
भले ही, फ़्लेक्सी-कैप और डेट फ़ंड को मिलाने का DIY (अपने आप करना) विकल्प ज़्यादा सहूलियत और संतुष्टि देता है, लेकिन अगर आप ख़ासकर अनुभवी निवेशक नहीं हैं तो इक्विटी-डेट एलोकेशन का प्रबंधन और रिबैलेंसिंग मुश्किल हो सकती है.
दूसरी तरफ़, एग्रेसिव हाइब्रिड का प्रबंधन अनुभवी पेशेवरों द्वारा किया जाता है. ये एक्सपर्ट्स इक्विटी-डेट का बैलेंस बनाए रखते हैं, इसलिए आपको समय-समय पर अपने निवेश को रिबैलेंस करने के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है.
कॉस्ट
हर निवेश पर कुछ न कुछ कॉस्ट लगती है. म्यूचुअल फ़ंड के मामले में, ये एक्सपेंस रेशियो है. ये एक सालाना फ़ीस है जो म्यूचुअल फ़ंड अपने निवेशकों से अपने ख़र्चों (मैनेजर की सैलरी, विज्ञापन की कॉस्ट आदि) को कवर करने के लिए लेता है. इस मोर्चे पर, फ़्लेक्सी कैप और शॉर्ट-ड्यूरेशन डेट फ़ंड के DIY कॉम्बो की तुलना में अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड पर थोड़ा ज़्यादा ख़र्च होता है. लेकिन हम यहां ख़र्च के अंतर के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, क्योंकि पिछले पांच साल के दौरान दोनों विकल्पों के बीच औसत अंतर केवल 0.18 फ़ीसदी रहा है.
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टैक्स
अग्रेसिव हाइब्रिड को यहां एक अहम बढ़त मिलती है. उनके मामले में, फ़ंड मैनेजर निवेशक पर किसी भी टैक्स का बोझ डाले बिना आंतरिक स्तर पर इक्विटी और डेट निवेश ख़रीदता और बेचता है. इसके अलावा, आपके डेट एलोकेशन को भी दुरुस्त करने की सुविधा देते हैं, क्योंकि फंड को इक्विटी फ़ंड की तरह माना जाता है. (यदि आपको नहीं पता है, तो इक्विटी फ़ंड के फ़ायदे पर डेट फ़ंड की तुलना में कम टैक्स की देनदारी बनती है.)
इसके विपरीत, एक DIY फ़्लेक्सी-कैप और डेट फ़ंड बैलेंस के लिए आपको अपने मनचाहे इक्विटी-डेट के बैलेंस को बनाए रखने के लिए एक्टिव तरीक़े से ख़रीदने और बेचने की ज़रूरत होती है. इस व्यावहारिक नज़रिये के लिए आपको हर बार निवेश ख़रीदने और बेचने पर कैपिटल गेन्स टैक्स का भुगतान करना होगा, जो समय के साथ काफ़ी ज़्यादा हो सकता है.
प्रदर्शन
आइए, अब सबसे अहम मीट्रिक यानी लंबे समय के रिटर्न पर आते हैं. यहां, पिछले पांच साल में अग्रेसिव हाइब्रिड और DIY कॉम्बो के बीच काफ़ी कड़ी टक्कर है. अस्थिर अवधियों के दौरान भी दोनों विकल्प एक दूसरे के बराबर हैं.
हालांकि, याद रखें कि टैक्स के बाद रिटर्न DIY के मामले को कमज़ोर कर सकता है, क्योंकि मैन्युअल रीबैलेंसिंग पर ज़्यादा टैक्स लगता है (ये बात हमने 'टैक्स' के सेक्शन में समझाई है).
संक्षेप में कहें तो, अगर आप एक कंज़रवेटिव निवेशक हैं और अपने निवेश के अनुभव को सरल बनाना चाहते हैं, तो हमारा सुझाव है कि आप टैक्स इफ़िशिएंट रीबैलेंसिंग और कम टैक्स लगने की वजह से अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड पर ग़ौर करें.
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