रवि एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। हैदराबाद में रहने वाले रवि ने पांच साल पहले स्वाति से शादी की। स्वाति भी बैंक में नौकरी करती हैं। अब रवि की उम्र 34 साल और स्वाति की उम्र 31 साल है। हर युवा की चाहत होती है कि उसका अपना घर हो। ऐसे में रवि और स्वाति ने भी शादी के दो साल बाद अपना घर खरीदने का फैसला किया। घर की कीमत 54 लाख रुपए थी। आजकल सैलरी क्लास के लोगों को आसानी से लोन मिल जाता है। तो उन्होंने भी 45 लाख रुपए का ज्वाइंट लोन लिया। उस समय दोनों का मासिक वेतन मिलाकर एक लाख दस हजार रुपए था। यानी रवि का मासिक वेतन 65,000 रुपए और स्वाति का मासिक वेतन 45,000 रुपए।
अब आज की बात करें तो अगले कुछ माह में रवि और स्वाति के घर में नन्हा मेहमान आने वाला है। लाजिमी है कि स्वाति ने नन्हे मेहमान की देखभाल के लिए घर पर रहने का फैसला किया है। यानी स्वाति बैंक की नौकरी छोड़ रहीं हैं। लेकिन अब उनके लिए चीजें पहले की तरह आसान नहीं रहीं। पहले घर में दो लोगों का वेतन आ रहा था और घर में कोई बच्चा भी नहीं था। अब घर में एक ही व्यक्ति कमाने वाला है और बच्चे के आने के साथ दूसरे खर्च भी बढ़ने वाले हैं। अब रवि और स्वाति को आने वाले दिन उतने रोमांटिक नहीं लग रहे हैं। उनको डर लग रहा है कि वे हर माह होम लोन की 42,500 रुपए की ईएमआई कैसे देंगे।
रवि का कहना है कि घर खरीदते समय हमने सोचा ही नहीं कि ऐसा भी होगा। घर खरीदते समय सारी जमा पूंजी तो डाउनपेमेंट में दे दी। अब उनके पास ऐसी कोई बचत भी नहीं है जो अगले कुछ सालों तक उनकी मदद कर सके। ये सिर्फ रवि और स्वाति की कहानी नहीं है। आपके आस पास बहुत से ऐसे लोग मिल जाएंगे जो इसी तरह की परिस्थिति का सामना कर रहे हैं। अगर आप मेट्रो शहरों में रह रहे हैं तो अपना घर होना बड़ी बात मानी जाती है। लोग इसे स्टेटस से भी जोड़ कर देखते हैं। और अक्सर लोग होम लोन लेकर ही अपना घर खरीदते हैं।
किसी के लिए भी घर खरीदना एक बड़ा फैसला होता है। बड़ी रकम लगती है इसमें। लोग सोचते हैं कि चलो घर खरीद लेते हैं , बाद में धीरे धीरे चीजें आसान हो जाएंगी। लेकिन जरूरी नहीं है कि सबके लिए यह फैसला सही साबित हो। आपको घर खरीदने से पहले यह जरूर देखना चाहिए कि क्या आप इतनी बड़ी रकम लगा सकते हैं। होम लोन ईएमआई आसानी से चुका पाएंगे या नहीं। यहां हम कुछ ऐसी चीजों पर बात करेंगे , जिनके आधार पर यह फैसला हो सकेगा कि आप इतनी बड़ी रकम लगाने के लिए तैयार हैं या नहीं।
पैसों का प्रबंधन
अगर आपने म्युचुअल फंड में निवेश किया है या कर रहे हैं तो पैसे की जरूरत पड़ने पर इसे बेच सकते हैं और आपका पैसा अगले कुछ दिनों में अकाउंट में आ जाएगा। लेकिन घर के मामले में ऐसा नहीं है। अगर आपको अचानक पैसे की जरूरत पड़ जाए तो आपके लिए घर बेचना आसान नहीं होगा। तो ऐसी स्थिति से बचने के लिए जरूरी है कि आप एक आपात फंड बनाएं। मित्राज इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के को फाउंडर और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर गिरिलाल का कहना है कि एक आपात फंड 6 से 9 माह के खर्च को पूरा करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए।
कैसे चुकाएंगे ईएमआई
दूसरी अहम बात है कि आप यह भी सोचें कि होम लोन ईएमआई का आपके कम अवधि के लक्ष्यों पर क्या असर होगा। मान लेते हैं कि होम लोन लेने के बाद परिवार का एक सदस्य नौकरी से ब्रेक लेने का फैसला करता है। जबकि होम लोन की ईएमआई तो हर माह जानी है। तो इसके बारे में घर खरीदने से पहले सोचें कि अगर ऐसा होता है तो आप ईमएआई कैसे दे पाएंगे। वित्तीय मामलों पर सलाह देने वाली कंपनी लैडर 7 फाइनेंशियल एडवाइजर्स के फाउंडर सदगोपन का कहना है कि सबसे पहले यह हिसाब लगाना चाहिए कि आपात जरूरतों और कम अवधि के लक्ष्यों के लिए आपके पास पर्याप्त रकम है या नहीं।
आपको मंथली और सालाना दोनों तरह के खर्च की लिस्ट बनानी चाहिए। इसके अलावा आपको तय करना चाहिए कि अगले 3 से 5 साल में आपके लक्ष्य क्या हैं और इन्हें पूरा करने के लिए आपको कितनी रकम की जरूरत पड़ेगी।
क्या उठा पाएंगे होम लोन का बोझ
अगर आप घर खरीदने जा रहे हैं तो इस बात पर गंभीरता से सोचना होगा कि आप होम लोन का बोझ उठा पाएंगे या नहीं। इसके लिए आपको आपात फंड में रखी रकम का सहारा नहीं लेना है। साथ ही आपको अपने कम अवधि और लंबी अवधि के लक्ष्यों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करनी है। आपके पास इतना पैसा होना चाहिए कि आप एक ठीक - ठाक रकम डाउन पेमेंट के तौर पर चुका सकें।
सदगोपान के मुताबिक आपको देखना होगा कि आपके पास डाउनपेमेंट के लिए कम से कम घर की कुल कीमत का 25 फीसदी है या नहीं। डाउनपेमेंट की रकम 25 फीसदी से जितनी ज्यादा हो यह उतना ही अच्छा है। अगर आप डाउनपेमेंट के तौर पर 40 से 50 फीसदी रकम चुका पाते हैं तो आपके लिए लोन चुकाना बहुत आसान होगा।
अब बात आती है ईएमआई की। एक अच्छा नियम याद रखें कि आपका मंथली ईएमआई अकाउंट में आने वाली सैलरी के 40 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। आपको यह भी सोचना होगा कि अगर आपकी नौकरी चली जाती है या आपका खर्च अचानक बढ़ जाता है तो आप होम लोन ईएमआई कैसे चुकाएंगे।
अपनी क्षमता से अधिक लोन लेने के अलावा रवि और स्वाति ने एक और गलती की। जब उनके पास कुछ अतिरिक्त पैसा आया तो उन्होंने लोन का प्री पेमेंट करना बेहतर समझा। अगर वे यह पैसा लोन का प्री पेमेंट करने के बजाए कहीं और निवेश करते तो यह पैसा धीरे धीरे बढ़ता और आज उनके काम आता।
घर में रहना है या किराए पर देना है
अब सवाल आता है कि क्या आप नए घर में रहने वाले हैं। सदगोपन का कहना है कि यह सवाल बेहद अहम है। अक्सर लोग बेहतर नौकरी या अवसर की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर और दूसरे देश जाते हैं। जब यह तय नहीं है कि आप कहां रहेंगे तो आपके लिए घर खरीदने का कोई मतलब नहीं है। एक तरफ तो आप घर खरीद कर होम लोन की ईएमआई चुकाएंगे वहीं दूसरे शहर में आप किराए पर रहेंगे। इससे आप पर बोझ ही बढ़ेगा।
अगर आप अपने मौजूदा शहर में अगले पांच सात साल नहीं रहने वाले हैं तो बेहतर है कि किराए पर रहें। गिरिलाल का कहना है कि अगर अगले कुछ सालों में आपकी रिहाइश किसी दूसरे में होगी तो आपको यह पहले से सोचना होगा कि आप घर का किराया और ईएमआई दोनों कैसे देंगे। आप यह कह सकते हैं कि अगर दूसरे शहर रहना पड़ा तो घर बेच देंगे। लेकिन वास्तव में घर बेचना इतना आसान नहीं होता है। इसके लिए काफी प्रयास करना होता है और जरूरी नहीं कि कीमत आपके हिसाब से मिले। अब अगर आप तय करते हैं कि दूसरे शहर जाने पर घर किराए पर दे देंगे तो यह भी जरूरी नहीं है कि किराएदार तुरंत मिल जाए। कई बार किराएदार मिलने में महीनों लग जाते हैं।
बच्चों की शिक्षा और रिटायरमेंट पर न आए आंच
ओर सबसे जरूरी बात। घर खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपके ऐसा करने से दूसरे जरूरी लक्ष्य जैसे बच्चों की शिक्षा और रिटायरमेंट पर आंच न आए। घर खरीदने का असर आपके जीवन स्तर पर भी नहीं आना चाहिए। गिरिलाल का कहना है कि होम लोन ईएमआई की वजह से अक्सर लोग बाहर घूमने नहीं जा पाते हैं। अपना बिजनेस नहीं शुरू कर पाते हैं। यह भी हो सकता है कि इसकी वजह से आपको कुछ साल ज्यादा काम करना पड़े।
अगर आप घर खरीद रहे हैं तो होम लोन की ईएमआई चुकाने की क्षमता तो होनी ही चाहिए। साथ ही आपके पास इतनी बचत होनी चाहिए कि आप दूसरे लक्ष्य जैसे बच्चों की शिक्षा और रिटायरमेंट फंड के लिए निवेश कर सकें और अपने दूसरे खर्च पूरे सकें। घर खरीदने के लिए होम लोन लेना एक बड़ा फैसला है। इससे पहले आपको अपनी आय और आगे की जरूरतों के बारे में अच्छी तरह से सोचना चाहिए।