ओवरव्यू
हमारा पहले से चला आ रहा क्लासिफ़िकेशन सिस्टम दो-स्तर का था: सेक्टर और इंडस्ट्री क्लासिफ़िकेशन. हालांकि, बिज़नस की बढ़ती जटिलता और ग्लोबलाइज़ेशन के कारण एक नए मल्टी-लेवल क्लासिफ़िकेशन सिस्टम की ज़रूरत थी. पहले का सिस्टम पुराना हो गया था. ये इंडस्ट्री का पूरा-पूरा असेसमेंट नहीं दे पा रहा था, और उससे एक जैसे बिज़नस के बीच तुलना करना भी संभव नहीं था.
चार-स्तर वाला क्लासिफ़िकेशन सिस्टम को एक यूनिफ़ाइड सिस्टम की ज़रूरत पूरी करने के लिए विकसित किया गया है, जो आजकल की अलग-अलग तरह की कंपनियों को अपनी कैलकुलेशन में शामिल करता है. क्लासिफ़िकेशन के नए लेवल काफ़ी फ़्लेक्सिबल हैं और ग्लोबल कंपनियों और न्यू-एज बिज़नस को भी शामिल करते हैं, पहले ऐसा नहीं हो पाता था.
नए क्लासिफ़िकेशन सिस्टम में 12 सेक्टर, 28 इंडस्ट्री ग्रुप, 63 इंडस्ट्री और 437 सब-इंडस्ट्री शामिल हैं.
वैल्यू रिसर्च इंडस्ट्री क्लासिफ़िकेशन की बड़ी-बड़ी विशेषताएं
- सबकुछ शामिल करता है: चार-स्तर वाला ये सिस्टम, सेक्टरों के अलग-अलग आयाम और बढ़ती हुई विविधता को शामिल कर सकता है.
- कई आयाम समेटता है: ये 4-टियर सिस्टम ऑपरेशन की नेचर, जैसे - सर्विस, मैन्युफ़ैक्चरिंग या ट्रेडिंग और जिस इंडस्ट्री के संपर्क में आता है, उसे कैप्चर कर सकता है.
- ये लचीला है: क्लासिफ़िकेशन के कई लेवल ग्रुप बनाने के काम को ज़्यादा लचीला बना देते हैं, जैसे - दो कंपनियां एक ही प्रोडक्ट पेश करती हैं लेकिन अलग-अलग सेगमेंट, जैसे B2B और B2C, को अलग-अलग क्लासिफ़ाई किया जाता है.
- एक जैसे बिज़नस की आसान तुलना: क्लासिफ़िकेशन सिस्टम मज़बूत है ताकि एक जैसी सब-इंडस्ट्री वाली कंपनियां एक-दूसरे के काफ़ी करीब रहें. इसके अलावा, मोटे तौर पर एक जैसा ग्रुप पाने के लिए इंडस्ट्री लेवल से एक लेवल ऊपर जाना संभव है.
- बारीक़ निगरानी और अपडेट: हम बिज़नस की गतिविधियों में किसी भी बड़े बदलाव को क़रीब से मॉनिटर करते हैं और सिस्टम को अपडेट करते रहते हैं.
वैल्यू रिसर्च इंडस्ट्री क्लासिफ़िकेशन स्ट्रक्चर
सेक्टर्स
सेक्टर सबसे ऊंचे लेवल के क्लासिफ़िकेशन हैं. ये कंपनियों को उनके आर्थिक व्यवहार या प्रकृति के मुताबिक़ ग्रुप में रखता है. हरेक सेक्टर का भाग्य मोटे तौर पर दूसरे सेक्टर से सीधे जुड़ा हुआ नहीं है. सेक्टर्स की अपनी अलग-अलग इकोनॉमिक साइकल और ग्रोथ को ड्राइव करने वाले कारण होते हैं.
मिसाल के तौर पर, कन्ज़्यूमर स्टेपल एक नॉन-साइक्लिकल कन्ज़्यूमर सेक्टर है. कन्ज़्यूमर डिस्क्रेशनरी एक साइक्लिकल कन्ज़्यूमर सेक्टर है.
अलग-अलग सेक्टर इस तरह से हैं:
- कन्ज़्यूमर स्टेपल (उपभोक्ता का मुख्य भोजन)
- कन्ज़्यूमर डिस्क्रेशनरी (उपभोक्ता स्वनिर्णयगत)
- एनर्जी और यूटीलिटीज़ (ऊर्जा एवं उपयोगिताएं)
- मटीरियल (सामग्री)
- रियल एस्टेट (अचल संपत्ति)
- इंडस्ट्री (औद्योगिक)
- टेक्नोलॉजी (तकनीकी)
- हेल्थकेयर (स्वास्थ्य देखभाल)
- फ़ाइनेंशियल (वित्तीय)
- डाइवर्सिफ़ाइड (विविध)
- एंटिटीज़ (इकाइयां)
- अनक्लासिफ़ाइड (अवर्गीकृत)
इंडस्ट्री ग्रुप
इंडस्ट्री ग्रुप, दूसरे लेवल के क्लासिफ़िकेशन हैं. ये एक जैसी ऑपरेशन मेट्रिक्स वाली इंडस्ट्री को एक साथ लाता है और मॉनिटर किए जाने लायक़ बड़े बिज़नस मेट्रिक्स के आधार पर दूसरे ग्रुप से अलग करके भी देख सकता है.
मिसाल के तौर पर, इंडस्ट्री ग्रुप – टेक्नोलॉजी हार्डवेयर और इक्विपमेंट में टेक्नोलॉजी सेक्टर की सभी मैन्यूफ़ैक्चरिंग कंपनियां शामिल हैं, और टेक्नोलॉजी सर्विस में, सर्विस कंपनियां शामिल हैं. इंडस्ट्री ग्रुप के पास अपने बिज़नस के परफ़ॉर्मेंस को मापने के लिए अलग पैमाना है.
इंडस्ट्री
इंडस्ट्री क्लासिफ़िकेशन का तीसरा लेवल है, जो बिज़नस की विशेषताओं और सेगमेंट के आधार पर एक जैसी कंपनियों को जोड़ता है. ये, एक तरह से, अंतर्निहित अलग-अलग सब-इंडस्ट्री सेगमेंट वाले ग्रुप का भी प्रतिनिधित्व करते हैं.
सब-इंडस्ट्री
चौथा लेवल, सब-इंडस्ट्री, ज़्यादा डिटेल में काम करता है और कंपनियों को उनके आख़िरी प्रोडक्ट या सर्विस के आधार पर क्लासिफ़ाई करता है. सब-इंडस्ट्री पूरे तौर पर ग्लोबल लेवल पर पेश किए सभी तरह के प्रोडक्ट और सर्विस को, और एक जैसी सब-इंडस्ट्री के भीतर की नज़दीकी प्रतिस्पर्धी कंपनियां को शामिल करने की कोशिश करता है.
क्लासिफ़िकेशन का तरीक़ा
- इंडस्ट्री का क्लासिफ़िकेश इकाई के स्तर (एंटिटी लेवल) पर किया जाता है. ये उस इकाई के लिए एक जैसा होगा जिसने इक्विटी शेयर, डिबेंचर, या कोई दूसरी प्रतिभूतियां (सिक्योरिटीज़) जारी की हैं.
- चार लेवल का सिस्टम किसी कंपनी को उसकी प्रमुख व्यावसायिक गतिविधि के आधार पर कैटेगराइज़ करता है. वो व्यावसायिक गतिविधि जो कंपनी के लिए ज़्यादातर रेवेन्यू पैदा करती है उसे ही प्रमुख गतिविधि माना जाता है. हालांकि, अगर अलग-अलग व्यावसायिक गतिविधियों के बीच रेवेन्यू का विभाजन स्पष्ट नहीं है, तो इंडस्ट्री या सब-इंडस्ट्री को साफ़ तौर पर पहचानने के लिए सेगमेंट से होने वाली कमाई पर ग़ौर किया जाता है.
- एक कंपनी को उस सब-इंडस्ट्री में कैटेगराइज़ किया जाता है जिसकी परिभाषा कंपनी की व्यावसायिक गतिविधि का बारीक़ी से वर्णन करती है.
- अगर कोई कंपनी कई सेगमेंट और प्रोडक्ट में, लेकिन एक ही इंडस्ट्री में काम करती है, तो इसे इस तरह से कैटेगराइज़ किया जाता है - उस इंडस्ट्री का एक डाइवर्सिफ़ाइड वर्ज़न. मिसाल के तौर पर, एक कंपनी कई प्रोडक्ट, जैसे बेकरी, खाद्य तेल और जमे हुए खाद्य पदार्थों के क्षेत्र में है, तो इसे खाद्य प्रसंस्करण (फ़ूड प्रोसेसिंग) – डाइवर्सिफ़ाइड सब-इंडस्ट्री के तौर पर कैटेगराइज़ किया जाएगा.
- मान लीजिए कि किसी कंपनी की व्यावसायिक गतिविधियां बहुत अलग-अलग तरह की हैं और अलग-अलग सेक्टर और इंडस्ट्री में बंटी हुई हैं. तो ऐसे में, उन कंपनियों को डाइवर्सिफ़ाइड सेक्टर के तहत कैटेगराइज़ किया जाता है और एक सब-इंडस्ट्री के तौर पर मान लिया जाता है.
- एक 'अनक्लासिफ़ाइड' सेक्टर को उन सिक्योरिटीज़ के लिए बनाया जाता है जिन्हें किसी दूसरे सेक्टर में कैटेगराइज़ नहीं किया जा सकता है, जैसे कि म्यूचुअल फ़ंड, ETF, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड, आदि.
- किसी कंपनी को सब-इंडस्ट्री के तौर पर बांटते समय सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा, जैसे एनुअल रिपोर्ट, ईयरली और क्वार्टर्ली सेगमेंट रिज़ल्ट और कंपनी की वेबसाइट आदि का इस्तेमाल किया जाता है.
- नया चार-लेवल का क्लासिफ़िकेशन एक कंपनी को एक सब-इंडस्ट्री के तौर पर बांटता है, और फिर इससे जुड़ी हुई इंडस्ट्री, इंडस्ट्री ग्रुप और सेक्टर को तय करता है.
- क्लासिफ़िकेशन सख़्ती से लेवल तय करता है और ये यूनीक है. एक कंपनी को केवल एक सब-इंडस्ट्री में बांटा जा सकता है, जो अंततः इसे केवल एक इंडस्ट्री, एक इंडस्ट्री ग्रुप एक सेक्टर में रखता है. क्लासिफ़िकेशन के स्तर इस तरह से हैं:
उदाहरण के लिए: एक ऐसी कंपनी जिसके रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा जूते के मैन्युफ़ैक्चरिंग से होता है, तो इसे इस तरह से बांटा जाएगा:
सब-इंडस्ट्री: जूते
इंडस्ट्री: परिधान और जूते
इंडस्ट्री ग्रुप: टैक्सटाइल, परिधान और सहायक उपकरण
सेक्टर कंज़्यूमर डिस्क्रेशनरी (उपभोक्ता विवेकाधीन)