Published: 03rd Sep 2024
By: Value Research Dhanak
SIP पैसा बनाने के सबसे आसान तरीक़ों में से है. आसान होने की वजह से ये निवेशकों के बीच काफ़ी पॉपुलर हो रही है. हालांकि, इसे लेकर बहुत सी ग़लत-फ़हमियां हैं, जिनकी वजह से कई निवेशक अपना नुक़सान कर बैठते हैं.
SIP निवेश में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है. अगर आप इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं, तो आपका पैसा शेयर बाज़ार में लगेगा. बाज़ार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, जिससे कुछ हद तक जोख़िम और अस्थिरता बनी रहती है.
SIP आपको नुक़सान से नहीं बचा सकती है और आपके निवेश क़ीमत कभी-कभी नकारात्मक भी हो सकता है, ख़ासकर जब बाज़ार में गिरावट आती है. ये ख़ास तौर से इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फ़ंड के मामले में सच होता है.
SIP आपको बहुत लचीलापन देती है. आप किसी भी समय निवेश की रक़म और उसकी अवधि बदल सकते हैं. अगर आपकी आमदनी बढ़ती या कम होती है या अगर आप ज़्यादा निवेश करना चाहते हैं तो आप SIP की रक़म बदल सकते हैं.
साप्ताहिक और मासिक SIP के बीच रिटर्न में अंतर भी बहुत बड़ा नहीं है. इसलिए साप्ताहिक SIP में मेहनत ज़्यादा है मगर फ़ायदा बहुत कम.
आपको अपनी SIP क़िश्त मिस करने से बचना चाहिए, लेकिन आप एक या दो महीने के लिए उन्हें मिस कर सकते हैं. आपको जुर्माना भरने की ज़रूरत नहीं है; न ही आपका निवेश बंद होगा.
ये सच नहीं है क्योंकि ग़ैर-इक्विटी फ़ंड के लिए भी SIP का रास्ता समझदारी भरा होता है. बेशक़, SIP निवेश को आसान बनाती है.
बहुत से लोग सोचते हैं कि SIP सिर्फ़ छोटे निवेशकों के लिए होती है क्योंकि ये आपको 500-1,000 रुपये प्रति माह से भी कम निवेश शुरू करने की सहूलियत देती है.