Published on: 19th Mar 2025
– स्मॉल-कैप शेयरों में हाल ही में 25% तक की गिरावट आई है. – कई तथाकथित एक्सपर्ट SIP रोकने और निवेशकों को बाहर निकलने की सलाह दे रहे हैं. – निवेशक कन्फ़्यूज़न में हैं – निवेश में बने रहें या बाहर निकलें?
– जब बाज़ार ऊपर जाता है, तो ‘धैर्य’ और ‘दूरदृष्टि’ की बात होती है. – गिरावट आते ही यही धैर्य ‘मूर्खता’ में बदल जाती है. – आठ महीने पहले, स्मॉल-कैप के लिए ज़बरदस्त मांग थी, अब बेचने की होड़ है.
– स्मॉल-कैप शेयरों की प्रकृति ही ज़्यादा उतार-चढ़ाव वाली होती है. – यही उतार-चढ़ाव उन्हें ऊंचा रिटर्न देने का कारण भी बनता है. – निवेशकों को ये रिस्क शुरुआत में ही स्वीकार करना चाहिए.
– फ़ैसला बाज़ार की गिरावट पर नहीं, आपकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है. – अगर आपके निवेश की समय-सीमा लंबी है (7-15 साल), तो घबराने की ज़रूरत नहीं. – बाज़ार साइकल्स में चलता है – बूम के बाद बस्ट और फिर रिकवरी.
– व्यक्तिगत स्मॉल-कैप स्टॉक्स जोखिम वाले हो सकते हैं. – स्मॉल-कैप म्यूचुअल फ़ंड्स में प्रोफ़ेशनल मैनेजमेंट से रिस्क कम होता है. – अच्छी क्वालिटी वाली कंपनियां ही फ़ंड्स का मुख्य हिस्सा होती हैं.
– ‘क्या मुझे स्मॉल-कैप फ़ंड बेचने चाहिए?’ इसके बजाय, आप सोचिए – – ‘क्या मैं स्मॉल-कैप निवेश के लिए मानसिक रूप से तैयार था?’ – अगर गिरावट से डर लग रहा है, तो शायद यह निवेश आपके लिए सही नहीं था.
– जो निवेशक गिरावट में धैर्य रखते हैं, वे लंबे समय में फ़ायदा पाते हैं. – स्मॉल-कैप फ़ंड्स पोर्टफ़ोलियो का अहम हिस्सा बने रह सकते हैं. – बाज़ार में रहना ही लंबी अवधि में सही रणनीति साबित होती है.
अगर आपका निवेश लंबी अवधि के लिए है तो ये आपके लिए एक मौक़ा हो सकता है. पूरी बात विस्तार से समझने के लिए आदे दिए लिंक पर जाएं और धीरेंद्र कुमार का संपादकीय पढ़ें.