शॉर्ट-टर्म में कम रिस्क के साथ ज़्यादा रिटर्न पाने के आसान तरीके! 

शॉर्ट-टर्म में कम रिस्क के साथ ज़्यादा रिटर्न पाने के आसान तरीके! 

Published on: 4th March 2025

क्या म्यूचुअल फ़ंड से होने वाली कमाई पर टैक्स देना पड़ता है?

– हां! म्यूचुअल फ़ंड से होने वाले फ़ायदे पर टैक्स देना ज़रूरी है. यह फ़ंड के प्रकार और निवेश की अवधि पर निर्भर करता है.

शॉर्ट-टर्म गोल्स क्या होते हैं?

ये ऐसे लक्ष्य होते हैं जिनके लिए 2-3 साल में पैसे की ज़रूरत होती है, जैसे नई कार, बच्चों की पढ़ाई या ट्रिप की प्लानिंग. 

शॉर्ट-टर्म गोल्स के प्रकार 

1. नेगोशिएबल गोल्स: जिन्हें टाला जा सकता है (नई कार, महंगा फ़ोन). नॉन-नेगोशिएबल गोल्स: जिन्हें टाल नहीं सकते (बच्चों की पढ़ाई, घर ख़रीदना). 

शॉर्ट-टर्म इन्वेस्टमेंट में सतर्क रहें! 

कम समय में ज़्यादा रिटर्न का वादा करने वाले निवेश से बचें. जल्दबाज़ी में किया गया निवेश नुकसान दे सकता है. 

शॉर्ट-टर्म के लिए कहां करें निवेश? 

बैंक डिपॉज़िट (सुरक्षित लेकिन कम ब्याज) लिक्विड फ़ंड / अल्ट्रा शॉर्ट फ़ंड (बेहतर रिटर्न) कंज़रवेटिव हाइब्रिड फ़ंड (थोड़ा जोखिम, अच्छा रिटर्न) 

डेट फ़ंड vs. बैंक डिपॉज़िट 

डेट फ़ंड: बैंक से बेहतर रिटर्न और टैक्स में छूट. बैंक डिपॉज़िट: सुरक्षित लेकिन टैक्सेबल और कम ब्याज. 

डेट फ़ंड क्यों बेहतर है? 

– बैंक से ज़्यादा ब्याज – हाई लिक्विडिटी (जब चाहें पैसे निकाल सकते हैं) – टैक्स में राहत (जब तक बेचें नहीं, टैक्स नहीं)

समझदारी से करें शॉर्ट-टर्म निवेश! 

अपने गोल्स और ज़रूरतों के अनुसार सही निवेश चुनें ताकि आपका पैसा सुरक्षित रहे और बेहतर रिटर्न मिले. 

और जानने के लिए देखें वीडियो! 

शॉर्ट-टर्म निवेश पर हमारा एक्सपर्ट वीडियो देखने के लिए क्लिक करें.