Published: 14th Feb 2025
भारत का टैक्स स्ट्रक्चर बदलने की दिशा में एक बड़ा क़दम उठाते हुए, इनकम टैक्स बिल 2025 लोकसभा में पेश किया गया है. यह 1961 के इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेगा और मौजूदा 819 सेक्शन्स को घटाकर 536 सेक्शन्स में समेटेगा. आइए जानते हैं इसके बड़े बदलाव:
अभी तक, टैक्स सिस्टम दो अवधियों पर आधारित थी: 🔹 पिछला वर्ष - जिसमें आय अर्जित की जाती है (1 अप्रैल - 31 मार्च). 🔹 असेसमेंट ईयर - जिसमें इनकम टैक्स दाखिल किया जाता है. ➡️ नया बिल इन दोनों को हटाकर 'टैक्स ईयर' को लागू करेगा, जो वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल - 31 मार्च) के अनुसार चलेगा. इससे भ्रम की स्थिति दूर होगी.
बिल को सरल और संक्षिप्त बनाया गया है, जिससे इसकी समझ बढ़ेगी. इसकी कुल लंबाई आधी कर दी गई है.
पहली बार, क्रिप्टोकरेंसी, NFTs और डिजिटल एसेट्स की टैक्स व्यवस्था को औपचारिक रूप से परिभाषित किया गया है. इससे टैक्स कंप्लायंस में आसानी होगी.
इनकम टैक्स के पांच मौजूदा स्रोत पहले जैसे ही रहेंगे: ✅ सैलरी ✅ हाउस प्रॉपर्टी से आमदनी ✅ व्यवसाय या पेशे से लाभ ✅ कैपिटल गेन ✅ अन्य स्रोतों से आमदनी
NGO और ग़ैर-लाभकारी संस्थाओं के लिए टैक्स और कंप्लांयस के नियमों को स्पष्ट किया गया है, जिससे उनकी गतिविधियों पर ज़्यादा पारदर्शिता आएगी.
बिल फ़िलहाल संसद में चर्चा के दौर में है. अगर पारित होता है, तो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा और पुराने 1961 एक्ट की जगह लेगा. क्या यह नया टैक्स बिल आपके लिए फ़ायदेमंद होगा? 🤔 हमें कमेंट में बताएं!
📌 यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है. 📌 निवेश करने से पहले अपनी रिसर्च करें या फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह लें. ✔️ सही जानकारी, सही फैसला!