Income Tax Bill 2025: इनकम टैक्स बिल 2025 लोकसभा में पेश कर गया है, जो भारत के टैक्स फ़्रेमवर्क की रिस्ट्रक्चरिंग की दिशा में एक कदम है. 1961 के इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेने के लिए तैयार इस बिल में मौजूदा 819 सेक्शन की तुलना में 536 सेक्शन शामिल की गई हैं. नए बिल की कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
1. 'एसेसमेंट ईयर' और 'पिछले साल' की जगह लेगा ‘टैक्स ईयर’
वर्तमान में, भारत का टैक्स सिस्टम दो अलग-अलग समय अवधियों पर काम करता है:
- पिछला साल- वह फ़ाइनेंशियल ईयर (1 अप्रैल से 31 मार्च) जिसमें इनकम अर्जित की जाती है।
- एसेसमेंट ईयर- पिछले वर्ष के बाद का वर्ष जिसमें टैक्सपेयर रिटर्न दाखिल करता है और अर्जित इनकम पर टैक्स का भुगतान करता है. नया बिल इस दोहरी प्रणाली को समाप्त करता है और एक एकल शब्द - 'टैक्स ईयर' (tax year) प्रस्तुत करता है, जो 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के फ़ाइनेंशियल ईयर के बाद आएगा. इसका उद्देश्य भ्रम को कम करना है.
2. भाषा और स्ट्रक्चर का सरलीकरण
नए बिल को जटिलता कम करने और इसको पढ़े जाने को आसान बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा कहा जा रहा है कि इसकी लंबाई आधी कर दी गई है.
3. वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) के टैक्सेशन पर स्पष्टता
भले ही क्रिप्टोकरेंसी टैक्सेशन 2022 में पेश किया गया था, नया बिल औपचारिक रूप से वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) और उन पर लगने वाले टैक्स के बारे में बताया गया है. इससे सुनिश्चित होता है कि क्रिप्टोकरेंसी, NFT और अन्य डिजिटल एसेट्स एक विशिष्ट कानूनी ढांचे के अंतर्गत आती हैं, जिससे उनके टैक्सेशन और कंप्लायंस की ज़रूरतों में निश्चितता आती है.
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4. मौजूदा इनकम कैटेगरीज को बनाए रखना
पांच मौजूदा इनकम टैक्स मद अपरिवर्तित रहेंगे: वेतन; हाउस एसेट्स से इनकम; बिज़नस या पेशे से फ़ायदा और प्राप्ति; कैपिटल गेन्स; अन्य स्रोतों से इनकम.
5. गैर-लाभकारी संगठनों के लिए प्रावधान
गैर-लाभकारी संगठनों के लिए अधिक विस्तृत रूपरेखा स्थापित की गई है, जिसमें टैक्सेबल इनकम, कंप्लायंस नियम और वाणिज्यिक गतिविधियों पर बंदिशों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है.
लागू करने का टाइमलाइन
बिल पर अभी संसद में चर्चा होनी है और विचार-विमर्श जारी रहने पर आगे की डिटेल सामने आएंगी. अगर ये पारित हो जाता है, तो ये इनकम टैक्स बिल 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी हो जाएगा, जो 1961 के इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेगा.
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