Published on: 4th March 2025
– हां! म्यूचुअल फ़ंड से होने वाले फ़ायदे पर टैक्स देना ज़रूरी है. यह फ़ंड के प्रकार और निवेश की अवधि पर निर्भर करता है.
– 1 साल से पहले बेचने पर: 20% शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स. – 1 साल बाद बेचने पर: ₹1.25 लाख तक का लाभ टैक्स-फ़्री, उसके बाद 12.5% LTCG टैक्स.
– पहले 3 साल से अधिक होल्डिंग पर इंडेक्सेशन के साथ 20% LTCG टैक्स था. – 1 अप्रैल 2023 के बाद यह नियम बदल गया है. अब इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा.
– हर SIP किश्त की ख़रीद तारीख़ अलग होती है, इसलिए हर निवेश पर अलग से STCG या LTCG लगेगा. – इक्विटी फ़ंड: 1 साल से पहले बेचने पर 20% STCG, 1 साल बाद 12.5% LTCG. – डेट फ़ंड: इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा.
– पहले डिविडेंड टैक्स-फ़्री था, लेकिन अब इसे निवेशक की आय में जोड़कर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है. – अगर ₹5000 से ज़्यादा का डिविडेंड मिलता है, तो 10% TDS कटेगा.
– हर निकासी पर LTCG या STCG लागू होता है. – इक्विटी फ़ंड में 1.25 लाख तक का लॉन्ग टर्म गेन टैक्स-फ़्री रहेगा. – डेट फ़ंड में अब इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा.
– अगर इक्विटी निवेश 65% से ज़्यादा है, तो इक्विटी फ़ंड की तरह टैक्स लगेगा. – अगर 65% से कम है, तो डेट फ़ंड की तरह टैक्स लगेगा.
– ELSS फ़ंड: 80C के तहत ₹1.5 लाख तक टैक्स छूट. – लॉन्ग टर्म निवेश: 1 साल बाद इक्विटी फ़ंड में ₹1.25 लाख तक टैक्स-फ़्री लाभ. – ग्रोथ ऑप्शन चुनें: डिविडेंड टैक्स से बच सकते हैं.
– सही रणनीति से टैक्स कम कर सकते हैं. – इक्विटी फ़ंड को 1 साल से अधिक होल्ड करने से लाभ. – डेट फ़ंड में निवेश से पहले नए टैक्स नियम समझें.
याद रखें, निवेश एक गंभीर फ़ैसला है. सही जानकारी और प्लानिंग से ही बेहतर कल की शुरुआत होती है. इस लेख का उद्देश्य निवेश से जुड़ी जानकारी देना है, निवेश से पहले एक्सपर्ट की राय ज़रूर लें.