Published 25th June 2024
जब म्यूचुअल फ़ंड अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा हो या दूसरी फ़ंड स्कीम बेहतर नज़र आ रही हो, तो अक्सर स्कीम स्विच करने का विचार आता है. हालांकि, स्कीम स्विच करने से पहले कुछ बातों पर ग़ौर कर लेना चाहिए.
अगर निवेशक जहां पहले से रक़म लगी हुई थी, उसी फ़ंड हाउस की नई स्कीम में निवेश कर रहा है तब भी निवेशक को कैपिटल गेन टैक्स देना होता है. फ़ंड स्विच करने को फ़ंड रिडीम करना माना जाता है.
Mutual Fund Scheme Switching: अब इस पर टैक्स कितना लगेगा ये फ़ंड पर निर्भर करता है, जैसे - पुरानी स्कीम इक्विटी फ़ंड थी या नॉन-इक्विटी फ़ंड थी.
Equity Fund में निवेश को एक साल से ज़्यादा समय तक रखा जाए तो ये लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में आता है. निवेशक का फ़ायदा ₹1 लाख से ज़्यादा है, तो उसे 10% टैक्स देना होता है.
अगर निवेशक इक्विटी फ़ंड को एक साल या उससे कम समय होल्ड रखता है, तो इसे शार्ट-टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और इस पर 15% टैक्स देना होता है.
अगर नॉन-इक्विटी फ़ंड को तीन साल से कम समय होल्ड किया गया है तो ये शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन के तहत आता है. इसे इनकम में जोड़ दिया जाता है और इस पर निवेशक के इनकम स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है.
अगर निवेशक फ़ंड को तीन साल से ज़्यादा समय तक होल्ड करता है, तो ये लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन के तहत आता है और इस पर इंडेक्सेशन के बाद 20% का टैक्स लगता है.
इस लेख का उद्देश्य निवेश से जुड़ी जानकारी देना है. इसे निवेश की सलाह न समझें. ज़्यादा जानकारी के लिए अगली स्लाइड में दिए गए लिंक पर जाएं.