– ELSS, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फ़ंड, लॉक-इन पीरियड, निवेश रणनीति, लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट

– ELSS, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फ़ंड, लॉक-इन पीरियड, निवेश रणनीति, लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट

Published: 27th Feb 2025

सिर्फ़ टैक्स बचाने के लिए नहीं

ELSS म्यूचुअल फ़ंड केवल टैक्स सेविंग का ज़रिया नहीं है, बल्कि ये लंबी अवधि के लिए अच्छा रिटर्न भी देता है. इसमें रियल रिटर्न (महंगाई दर से ज़्यादा 2-3%) मिलता है, जो इसे दूसरे टैक्स-सेविंग विकल्पों से बेहतर बनाता है.

लॉक-इन पूरा, अब क्या करें?

ELSS का लॉक-इन पीरियड 3 साल का होता है, लेकिन इसे पूरा होने पर निवेश भुनाना ज़रूरी नहीं है. अगर आपको पैसों की ज़रूरत नहीं है, तो निवेश जारी रखना बेहतर हो सकता है.

ELSS में बने रहने के फ़ायदे

लॉन्ग-टर्म ग्रोथ: ELSS इक्विटी फ़ंड है, जो लंबे समय में अच्छा रिटर्न दे सकता है. – टैक्स डिफ़रल: जब तक आप फ़ंड से पैसा नहीं निकालते, तब तक कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती.

ELSS से पैसा निकालने पर टैक्स कैसे लगेगा? 

– अगर ELSS से निकाला गया लाभ ₹1 लाख से कम है, तो कोई टैक्स नहीं लगेगा. – ₹1 लाख से ज़्यादा मुनाफ़े पर 10% LTCG (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स) देना होगा. – जितनी देर निवेश बनाए रखेंगे, टैक्स देनदारी उतनी ही टलती जाएगी.

निवेश शिफ़्ट करने से पहले सोचें

अगर आप ELSS से पैसे निकालकर किसी दूसरे फ़ंड में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पहले टैक्स इम्पैक्ट पर ध्यान दें. बिना ठोस कारण के निवेश शिफ़्ट करना सही नहीं होगा.

ELSS बनाम फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड 

ELSS को फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड जैसा माना जा सकता है, क्योंकि ये अलग-अलग सेक्टर और सभी कैटेगरी (लार्ज, मिड, स्मॉल) की कंपनियों में निवेश करता है.

कब निकालें और कब रखें? 

– पैसे की ज़रूरत हो, तभी निकालें. – अगर कोई बेहतर निवेश विकल्प नहीं है, तो ELSS में निवेश बनाए रखना सही रहेगा. – टैक्स बचाने के लिए ELSS को बेचना और किसी दूसरी स्कीम में निवेश करना फ़ायदेमंद नहीं है.

🚨 डिस्क्लेमर 

ये स्टोरी सिर्फ़ जानकारी के लिए है. किसी भी निवेश से पहले अपनी रिसर्च ज़रूर करें और फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र से सलाह लें.