कंपाउंडिंग का जादू: कैसे आपका पैसा आपके लिए काम करता है

कंपाउंडिंग का जादू: कैसे आपका पैसा आपके लिए काम करता है 

Published: 25th Feb 2025

शॉर्ट-टर्म सोच: नुक़सानदायक रवैया 

40% से ज़्यादा व्यक्तिगत निवेशक दो साल के भीतर अपने इक्विटी निवेश को बंद कर देते हैं. ये जल्दी निवेश से निकल जाना एक आम लेकिन नुक़सान देने वाला व्यवहार है.

बाज़ार का शोर: संदेह का कारण 

बाज़ार का बेकार शोर भी संदेह पैदा कर सकता है. निवेशक अक्सर सुर्खियों और अटकलों पर आधारित भविष्यवाणियों के आधार पर जल्दबाज़ी में निर्णय लेते हैं.

कंपाउंडिंग: एक गणितीय वास्तविकता 

कंपाउंडिंग एक गणित है. ये हमारे आस-पास की दुनिया जितना ही वास्तविक है. कंपाउंडिंग को काम करने के लिए समय चाहिए.

10 साल: निर्णायक बिंदु 

आपके निवेश की यात्रा के पहले 10 साल में, आपके SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट स्कीम) में डाले गए पैसे बड़ी भूमिका निभाते हैं. लेकिन समय बीतने के साथ इसमें नाटकीय रूप से बदलाव आता है.

कंपाउंडिंग का प्रभाव: एक उदाहरण 

अगर आप 10 साल के लिए हर महीने ₹10,000 रुपये का निवेश करते हैं, तो आपका कुल निवेश ₹12 लाख होगा. 15वें साल तक, ₹18 लाख का SIP योगदान बढ़कर ₹56.35 लाख हो जाएगा.

जल्दी शुरुआत: ज़्यादा फ़ायदा 

जितनी जल्दी आप शुरू करेंगे, कंपाउंडिंग के उतने ही ज़्यादा साइकल आप पकड़ पाएंगे. और नतीजे चौंका देने वाले हैं.

समय: उतार-चढ़ाव को क़ाबू करता है 

लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट से न केवल मुनाफ़ा बढ़ता है; बल्कि ये बाज़ार के उतार-चढ़ाव के असर को भी कम करता है.

इक्विटी कंपाउंडिंग > डेट कंपाउंडिंग 

इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में लंबी अवधि में PPF जैसे फ़िक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट्स से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है.

एक आख़िरी बात  

अपनी नज़र प्राइज़ पर रखें और कंपाउंडिंग की ताक़त को अपना जादू चलाने दें. आपका निवेश सुखद हो!